Unique Traditions...शादी में दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा, वर और लड़की पक्ष द्वारा एक-दूसरे को गाली देने का रिवाज! जाने कहां की हैं ये धार्मिक मान्यताएं?

हमारे देश में एक जगह ऐसी भी है। जहां शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती है। बरात की चढ़त के दौरान लोग एक-दूसरे को गालियां देते हैं। आज हम आपको इस अनोखी परंपरा से जुड़ी शादी के बारे में कुछ अहम बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
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देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है। हर धर्म की अपनी-अपनी परंपरा होती है, जिसका लोग सख्ती से पालन करते हैं। हालाँकि, कुछ परंपराएँ ऐसी भी हैं जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शादी में आए मेहमानों और परिवार वालों को रिश्ते से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है।READ ALSO:-विश्व लिवर दिवस : सावधान रहे, शराब नहीं पीते तो भी खराब हो सकता है लिवर, लिवर शरीर में 400 तरह के कार्य करता है

 

मान्यता का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है।
राजस्थान देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोगों की संख्या कम नहीं है। हर धर्म की अपनी-अपनी परंपरा होती है, जिसका लोग सख्ती से पालन करते हैं। हालाँकि, कुछ परंपराएँ ऐसी भी हैं जिनके बारे में जानकर लोग हैरान रह जाते हैं। आज हम आपको एक ऐसी अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट्स की पूजा की जाती है। इसके साथ ही शादी में आए मेहमानों और परिवार वालों को रिश्ते से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है।

 

आइए अब जानते हैं कि देश में कहां पर लोग इस अनोखी परंपरा को निभाते हैं:-

बुसी क़स्बा पाली से लगभग 25 किलोमीटर दूर है। जहां मौजीराम जी और मौजनी देवी का मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि यहां मौजनी देवी और मौजीराम जी की पूजा भगवान शिव और माता पार्वती के रूप में की जाती है। हर साल यहां बड़ी संख्या में लोग मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने आते हैं।

 

आपको बता दें कि गांव में जब भी किसी की शादी होती है तो सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। उन्हें रंगों, मेहंदी और इत्र से सजाया जाता है। पूरे रीति-रिवाजों के साथ दोनों की शादी होती है। इसके बाद दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेते हैं।

 

दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां दूल्हा-दुल्हन की शादी से पहले एक अनोखी रस्म निभाई जाती है। दूल्हा-दुल्हन के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है। साथ ही उन्हें और शादी में शामिल होने वाले लोगों को रिश्ते से जुड़ी जानकारी भी दी जाती है।  ऐसा माना जाता है कि अगर दूल्हा-दुल्हन इस विवाह संस्कार को निभाते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। इसके अलावा उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

 

घराती और बाराती शादी में एक-दूसरे को गालियां देते हैं
यहां शादी से जुड़ी एक और अनोखी परंपरा निभाई जाती है। यहां शादी के दौरान बिंदौरी निकाली जाती है। बिंदौरी भी विवाह से जुड़ी एक महत्वपूर्ण रस्म है, जिसमें दूल्हा या दुल्हन की बारात निकाली जाती है। आमतौर पर बरात निकालते समय गाने बजाए जाते हैं। लेकिन यहां गाने की बजाय लोग एक-दूसरे को जोर-जोर से गालियां देते हैं, जिस पर लोग नाचते हैं।

 

इस रस्म को पूरा करने के बाद ही दूल्हा-दुल्हन की पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी कराई जाती है। शादी के बाद सुहागरात की रस्म निभाई जाती है। लेकिन शादी की रात के तुरंत बाद दूल्हा-दुल्हन को करीब एक साल तक अलग-अलग रहना पड़ता है। उन्हें एक-दूसरे से मिलने की इजाजत भी नहीं होती है। 

 

संतान सुख के लिए भी पूजा की जाती है
इस जगह से जुड़ी एक और मान्यता प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि जिन दम्पत्तियों को संतान नहीं हो रही है। अगर वह यहां आकर मौजीराम जी और मौजनी देवी की पूजा करते हैं। जल्द ही उनके घर में किलकारियां गूंजने लगती हैं। 

 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। Khabareelal.com इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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