आधार और वोटर आईडी लिंक करने को चुनाव आयोग ने दी मंजूरी, फर्जी वोटरों पर लगेगी लगाम

 चुनाव आयोग ने आधार को EPIC से जोड़ने के लिए जारी किया आदेश, फर्जी वोटरों की पहचान में मिलेगी मदद
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Election Commission
नई दिल्ली: अब आधार कार्ड और वोटर आईडी (EPIC) को आपस में जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में देश के निर्वाचन आयोग ने इसकी अनुमति दे दी है। चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के अनुसार ही वोटर आईडी को आधार से जोड़ा जाएगा। इससे पहले सरकार ने पैन कार्ड को भी आधार से जोड़ने का फैसला किया था।READ ALSO:-एलन मस्क की Starlink सेवा भारत में, Reliance Jio और SES से 80-90 गुना तेज इंटरनेट स्पीड का दावा

 

निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वह 1950 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 326 और इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का पालन करते हुए ही वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में निर्वाचन सदन में चुनाव आयुक्त (EC) डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी ने केंद्रीय गृह सचिव- विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MEITY) के सचिव, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के सीईओ और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की।

 


बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार, मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिकों को ही प्राप्त है, जबकि आधार कार्ड केवल एक व्यक्ति की पहचान स्थापित करने का प्रमाण है। इसलिए, यह निर्णय लिया गया कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने का कार्य संविधान के अनुच्छेद 326, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों और डब्ल्यूपी (सिविल) संख्या 177/2023 में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुरूप ही किया जाएगा। इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू करने के लिए UIDAI और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच जल्द ही तकनीकी परामर्श शुरू किया जाएगा।

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चुनाव आयोग का मानना है कि आधार को वोटर आईडी से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य वोटर लिस्ट में मौजूद गड़बड़ियों को दूर करना और इसे और अधिक स्वच्छ बनाना है। आयोग का यह भी मानना है कि इस कदम से फर्जी मतदाताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, आधार को वोटर आईडी से जोड़ने से फर्जी वोटिंग पर भी लगाम लगाई जा सकेगी, जिससे एक ही व्यक्ति के कई स्थानों पर वोट डालने की संभावना समाप्त हो जाएगी और चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।

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प्रक्रिया और अगला कदम:
चुनाव आयोग के मुताबिक, इस नई प्रणाली को लागू करने के लिए यूआईडीएआई और चुनाव आयोग के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी बातचीत जल्द शुरू होगी, ताकि फर्जी वोटिंग और डुप्लिकेट वोटर की समस्या का समाधान किया जा सके।

 

यह कदम भारत में चुनावी प्रक्रिया को और भी सशक्त और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा।

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