सैयद अली शाह गिलानीः 92 साल की उम्र में अलगाववादी नेता का निधन, कश्मीर में कॉलिंग और इंटरनेट पर रोक

सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का अंतिम संस्कार श्रीनगर के स्थानीय क़ब्रिस्तान में हैदरपुरा में तड़के कर दिया गया है। 
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Gilani
कश्मीर के राजनीतिक दल ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (All Party Hurriyat Conference) के चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी (Syed Ali Shah Geelani) का बुधवार रात निधन हो गया। वे 91 साल के थे। PDP नेता महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने बुधवार रात सोशल मीडिया पर गिलानी के निधन की जानकारी दी। Read Also : एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से निधन, बिग बॉस 13 के थे विनर

 

मुफ्ती ने कहा- गिलानी साहब के इंतकाल की खबर से दुखी हूं। हमारे बीच ज्यादा मुद्दों पर एकराय नहीं थी, लेकिन उनकी त्वरित सोच और अपने भरोसे पर टिके रहने को लेकर उनका सम्मान करती हूं। अल्लाह उन्हें जन्नत में जगह दे। उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करती हूं। 

 

सैयद अली शाह गिलानी का अंतिम संस्कार श्रीनगर के स्थानीय क़ब्रिस्तान में हैदरपुरा में तड़के कर दिया गया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुबह पौने पाँच बजे गिलानी के परिजनों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। उधर, कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने कहा कि गिलानी के निधन की खबर मिलने पर कश्मीर में कुछ पाबंदियां लगाई गई हैं। कश्मीर घाटी में मोबाइल डेटा और मोबाइल कॉलिंग पर रोक लगा दी गई है, सिर्फ़ बीएसएनएल के फ़ोन नेटवर्क काम कर रहे।

 

इमरान खान ने शुरू की राजनीति

उधर गिलानी की मौत को पाकिस्तान ने ओछी हरकत करते हुए इसे राजनीतिक फायदे के लिए भुनाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करके सैयद अली शाह गिलानी की मौत पर दुख जताया और पाकिस्तानद में एक दिन का शोक भी घोषित किया है। पाकिस्तान का झंडा भी आधा झुका दिया गया है।

 

इमरान ने कहा- कश्मीर की आजादी के लिए लड़ने वाले सैयद अली गिलानी की मौत की खबर जानकर बहुत दुखी हूं। वो जिंदगी भर कश्मीर के लोगों और उनके आजादी के अधिकार के लिए लड़ते रहे। उन्हें भारत सरकार से प्रताड़ना मिली, लेकिन फिर भी वे अपने इरादों पर टिके रहे। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान में हम उनके हौंसले की लड़ाई को सलाम करते हैं और उनके लफ्जों को याद करते हैं- "हम पाकिस्तान के हैं और पाकिस्तान हमारा है।' पाकिस्तानी झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का शोक मनाएंगे।

 

पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने भी जताया दुख

गिलानी के निधन पर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि पाकिस्तान ने कश्मीर स्वतंत्रता आंदोलन के मशाल वाहक सैयद अली शाह गिलानी के निधन पर शोक व्यक्त किया। गिलानी ने भारतीय कब्जे की नजरबंदी के खिलाफ अंत तक कश्मीरियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। उन्हें शांति मिले और उनकी आजादी का सपना साकार हो।

 

कुरैशी पर कांग्रेस का पलटवार

कुरैशी के इस ट्वीट के जवाब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने  उनपर हमला बोलते हुए कहा कि मिस्टर कुरैशी आपने वास्तव में जिहाद के नाम पर निर्दोष कश्मीरियों को कट्टरपंथी बनाने के लिए भारत में काम करने वाली अपनी खुफिया एजेंसी का एक सदस्य खो दिया। निर्दोष कश्मीरियों की हत्या के लिए आपका देश और आपके सभी प्रतिनिधि इतिहास में दर्ज होंगे।

 

कश्मीर की सोपोर सीट से 3 बार विधायक रहे

गिलानी कश्मीर में सक्रिय अलगाववादी नेता थे। 29 सितंबर 1929 को सोपोर में जन्मे गिलानी को हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का उदारवादी चेहरा माना जाता था। गिलानी ने कॉलेज की पढ़ाई लाहौर से की थी। उस समय लाहौर भारत का हिस्सा था। वे कश्मीर की सोपोर विधानसभा सीट से 3 बार विधायक भी रहे थे।

 

1990 में हुर्रियत बनाई, अलगाववादी शामिल हुए

गिलानी कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते थे और उसे अलग करने की मांग करते थे। उन्होंने 1990 के दशक में आतंकी हिंसा और अलगाववाद की सियासत करने वाले धड़ों को मिलाकर ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन किया था। इसमें 1987 के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की खिलाफत करने वाले तमाम गुट शामिल हो गए थे।

 

टेरर फंडिंग के आरोप, देशद्रोह का केस भी दर्ज

गिलानी पर पाकिस्तान की फंडिंग के सहारे कश्मीर में अलगाववाद भड़काने के आरोप लगे। उन पर कई केस भी दर्ज हुए, जिसके बाद उनका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया। NIA और ED ने टेरर फंडिंग के मामले में जांच की थी, जिसमें उनके दामाद समेत कई रिश्तेदारों से पूछताछ हुई थी।

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