जेल से जमानत (Bail) मिलने पर तुरंत होगी रिहाई, सुप्रीम कोर्ट ने लॉन्च किया FASTER 2.0 पोर्टल....
फास्टर 2.0 पोर्टल इसलिए डिजाइन किया गया है ताकि जेल अथॉरिटी, ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को कैदी की रिहाई से संबंधित कोर्ट के आदेश के बारे में तुरंत जानकारी मिल सके। इससे उनकी रिहाई में तेजी आएगी। कल संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पोर्टल को लॉन्च किया।
Nov 28, 2023, 00:00 IST
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अदालती कार्यवाही में तेजी लाने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने फास्टर 2.0 पोर्टल लॉन्च किया है। नया पोर्टल कैदियों की रिहाई के संबंध में अदालती आदेशों की जानकारी तुरंत जेल प्राधिकरण, ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट को भेज देगा। इससे कैदियों को रिहा करने में समय की बचत होगी। मौजूदा व्यवस्था के तहत जेल से रिहा होने में काफी समय लगता है। नए पोर्टल के लॉन्च होने के बाद इस मामले में तेजी आएगी और कैदियों की तत्काल रिहाई संभव हो सकेगी। READ ALSO:-Muzaffarnagar : फैशन का अलग अंदाज, छात्राओं ने बुर्के में रैंप वॉक कर दिखाई क्रिएटिविटी...क्या बोले जमीयत उलेमा के मौलाना?
कल संविधान दिवस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने FASTER 2.0 पोर्टल लॉन्च किया। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि हम एक पोर्टल लॉन्च कर रहे हैं जहां किसी व्यक्ति की रिहाई के न्यायिक आदेश को तत्काल कार्यान्वयन के लिए जेलों, ट्रायल कोर्ट और उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित किया जाता है। आपको बता दें कि न्यायिक प्रक्रिया में टेक्नोलॉजी पर काफी जोर दिया जा रहा है।
अभी रिहाई में देरी होती है
मौजूदा नियम के तहत, जेल से रिहाई के आधिकारिक अदालती आदेश की भौतिक प्रति कई सरकारी विभागों से होकर गुजरती है। इसके बाद कोर्ट का आदेश जेल अथॉरिटी तक पहुंचता है। आदेश की कॉपी मिलने के बाद ही जेल प्रशासन कैदी को रिहा करता है। इसका मतलब यह है कि अदालत द्वारा रिहाई आदेश जारी होने के बाद भी कैदी को जेल से रिहा होने में काफी समय लगता है।
मौजूदा नियम के तहत, जेल से रिहाई के आधिकारिक अदालती आदेश की भौतिक प्रति कई सरकारी विभागों से होकर गुजरती है। इसके बाद कोर्ट का आदेश जेल अथॉरिटी तक पहुंचता है। आदेश की कॉपी मिलने के बाद ही जेल प्रशासन कैदी को रिहा करता है। इसका मतलब यह है कि अदालत द्वारा रिहाई आदेश जारी होने के बाद भी कैदी को जेल से रिहा होने में काफी समय लगता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश हिंदी में उपलब्ध होंगे
फास्टर 2.0 पोर्टल लाइव हो गया है। इससे संबंधित अधिकारियों के बीच त्वरित संचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की न्यायिक प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। FASTER 2.0 के अलावा, CJI चंद्रचूड़ ने e-SCR पोर्टल का हिंदी संस्करण भी पेश किया। यह पोर्टल सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को हिंदी में देखने की सुविधा प्रदान करता है।
फास्टर 2.0 पोर्टल लाइव हो गया है। इससे संबंधित अधिकारियों के बीच त्वरित संचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की न्यायिक प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। FASTER 2.0 के अलावा, CJI चंद्रचूड़ ने e-SCR पोर्टल का हिंदी संस्करण भी पेश किया। यह पोर्टल सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को हिंदी में देखने की सुविधा प्रदान करता है।
People should not be afraid to come to courts: CJI DY Chandrachud https://t.co/kTevRy8m4d
— Bar & Bench (@barandbench) November 26, 2023
लोगों को अदालतों से नहीं डरना चाहिए- CJI
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने 'जनता की अदालत' के रूप में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने लोगों से कहा कि उन्हें कोर्ट जाने से नहीं डरना चाहिए। सीजेआई ने आगे कहा कि संविधान के तहत किसी भी विवाद का समाधान लोकतांत्रिक तरीके से किया जा सकता है। ऐसा करने में, अदालतें सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।