राइट टू रिपेयर : कंपनियां मॉडल की एक्सपायरी डेट क्यों नहीं बतातीं? सरकार ने की कार्रवाई, अब उपभोक्ता रहें अलर्ट
पिछले डेढ़ दशक में कंपनियों ने बड़े पैमाने पर ग्राहकों को खुलेआम बेवकूफ बनाया है, लेकिन अब जब सरकार ने इस बारे में निर्देश जारी कर दिए हैं तो आम उपभोक्ता को भी सतर्क रहना होगा। हालांकि अमेरिका में कंपनियों के लिए ऐसा करना आसान नहीं है, लेकिन वहां के लोगों ने इसके लिए लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन किया और उन्हें उनका हक मिला।
Jun 25, 2024, 00:00 IST
|
अभी एक साल और एक दिन ही हुआ था कि अचानक डिजिटल घड़ी खराब हो गई। यह देखकर पार्थ ने मन ही मन सोचा कि यह तो विश्व प्रसिद्ध कंपनी है और फिर भी यह हाल है। दिन भर व्यस्तता थी और घड़ी ठीक करवाने जाना उसे बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन वह कर भी क्या सकता था। वह सीधा घड़ी के शोरूम में गया, जहां उसने बड़े अधिकार के साथ कंपनी के प्रतिनिधि को घड़ी और बिल देते हुए कहा, "देखिए, यह बहुत महंगी घड़ी है। एक साल पूरा होने से पहले ही यह खराब हो गई है, कृपया इसे ठीक करवा दीजिए।" उसे जवाब मिला, "सर, यह मॉडल बंद हो चुका है और अब इसकी मरम्मत नहीं हो सकती।"READ ALSO:-TV, Fridge, AC की वारंटी को लेकर आ रहे हैं नए नियम, यहां जानिए नियम की पूरी डिटेल....
यह सुनकर पार्थ दंग रह गया कि आखिर मामला क्या है। उसने प्रतिनिधि से कहा, "भाई, मैंने इसे ठीक एक साल और एक दिन पहले खरीदा था। आपने घड़ी की कोई एक्सपायरी डेट नहीं बताई और न ही यह बताया कि अगर मॉडल बंद हो गया है, तो इसकी मरम्मत नहीं हो सकती।" हालांकि, यह सब कहने का कोई फायदा नहीं हुआ और उसे दो टूक जवाब मिला। “मैंने बिल में देखा है सर, लेकिन मॉडल बंद होने के बाद हम कुछ नहीं कर सकते।”
शिकायत पत्र के बाद मंत्रालय हरकत में आया
यह सुनते ही पार्थ भड़क गए, “आपका क्या मतलब है कि आप कुछ नहीं कर सकते, मैं आपकी कंपनी के शीर्ष अधिकारियों से बात करूंगा।” जवाब में प्रतिनिधि ने कहा, “ज़रूर, उनसे बात करें।” पार्थ कई दिनों तक संघर्ष करते रहे, कंपनी के कई अधिकारियों से बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला। अंत में एक ऑफर के तहत कंपनी ने नई घड़ी खरीदने के एवज में उस महंगी घड़ी की कीमत 20 प्रतिशत कम कर दी। पार्थ को ठगा हुआ महसूस हुआ, लेकिन कोई दूसरा विकल्प नहीं था। क्योंकि देश में ग्राहक को मरम्मत का अधिकार नहीं था।
यह सुनते ही पार्थ भड़क गए, “आपका क्या मतलब है कि आप कुछ नहीं कर सकते, मैं आपकी कंपनी के शीर्ष अधिकारियों से बात करूंगा।” जवाब में प्रतिनिधि ने कहा, “ज़रूर, उनसे बात करें।” पार्थ कई दिनों तक संघर्ष करते रहे, कंपनी के कई अधिकारियों से बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला। अंत में एक ऑफर के तहत कंपनी ने नई घड़ी खरीदने के एवज में उस महंगी घड़ी की कीमत 20 प्रतिशत कम कर दी। पार्थ को ठगा हुआ महसूस हुआ, लेकिन कोई दूसरा विकल्प नहीं था। क्योंकि देश में ग्राहक को मरम्मत का अधिकार नहीं था।
अंत में उन्होंने तय किया कि जो उनके साथ हुआ, वह दूसरों के साथ न हो, लोग ऊंचे दामों पर सामान बेचने वालों के सामने खुद को ठगा हुआ महसूस न करें। इसके लिए उन्होंने अपने वकील मित्र से चर्चा की और उनकी सलाह पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय को शिकायत पत्र भेजा। मामला बेहद गंभीर था, पत्र अनुभाग अधिकारी, संयुक्त सचिव, अपर सचिव, सचिव और फिर सीधे मंत्री के टेबल पर पहुंचा। मंत्रालय में यह शिकायत दर्ज की गई और इसका समाधान निकालने की योजना तैयार की गई।
मंत्रालय ने तैयार किया पोर्टल
पिछले साल भारत सरकार ने भी लंबी चर्चा के बाद देश में राइट टू रिपेयर को लागू किया था। फिलहाल खेती के उपकरण, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटोमोबाइल उपकरण इसके दायरे में लाए गए हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने righttorepairindia.gov.in पोर्टल भी तैयार किया है और इसमें 5 दर्जन से ज्यादा बड़ी भारतीय और विदेशी कंपनियों ने अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई है। कंपनियों ने खुद ही सरकारी पोर्टल पर ग्राहकों को उत्पादों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई है। इसके पीछे मुख्य वजह वारंटी शर्तों में भ्रम को रोकना, उत्पाद और सेवाओं की एक्सपायरी डेट के बारे में अनिवार्य जानकारी उपलब्ध कराना है।
पिछले साल भारत सरकार ने भी लंबी चर्चा के बाद देश में राइट टू रिपेयर को लागू किया था। फिलहाल खेती के उपकरण, मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और ऑटोमोबाइल उपकरण इसके दायरे में लाए गए हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने righttorepairindia.gov.in पोर्टल भी तैयार किया है और इसमें 5 दर्जन से ज्यादा बड़ी भारतीय और विदेशी कंपनियों ने अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई है। कंपनियों ने खुद ही सरकारी पोर्टल पर ग्राहकों को उत्पादों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराई है। इसके पीछे मुख्य वजह वारंटी शर्तों में भ्रम को रोकना, उत्पाद और सेवाओं की एक्सपायरी डेट के बारे में अनिवार्य जानकारी उपलब्ध कराना है।
केंद्रीय मंत्रालय ने चार प्रमुख सेक्टर की सभी कंपनियों को भारतीयों को राइट टू रिपेयर का अधिकार देने के निर्देश जारी किए हैं, लेकिन मुद्दा यह है कि अब ग्राहक का सतर्क रहना जरूरी है। सबसे पहले तो लोगों को यह नहीं पता कि ऐसा भी कोई अधिकार है जब कोई कंपनी किसी उत्पाद का मॉडल बंद होने के बाद उसे ठीक करने के लिए मरम्मत सेवाएं देने से मना कर दे। ऐसी स्थिति में क्या करें, कहां शिकायत करें और उस शिकायत पर कंपनी के खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा।
कंपनियां उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाती हैं
दरअसल, जब कोई प्रतिष्ठित कंपनी ग्राहक को दो टूक जवाब देती है कि यह मॉडल बंद हो चुका है, उपकरण बना ही नहीं है। अब इसकी मरम्मत नहीं हो सकती। यहीं से राइट टू रिपेयर की जरूरत शुरू होती है और ग्राहक को इस अधिकार का एहसास होता है। तब ग्राहक सोचता है कि क्या कंपनी ने उत्पाद की कोई एक्सपायरी डेट (When Will The Model Be Discontinued) बताई थी। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि अगर मॉडल बंद हो गया तो इसकी मरम्मत सेवाएं भी नहीं मिलेंगी।
दरअसल, जब कोई प्रतिष्ठित कंपनी ग्राहक को दो टूक जवाब देती है कि यह मॉडल बंद हो चुका है, उपकरण बना ही नहीं है। अब इसकी मरम्मत नहीं हो सकती। यहीं से राइट टू रिपेयर की जरूरत शुरू होती है और ग्राहक को इस अधिकार का एहसास होता है। तब ग्राहक सोचता है कि क्या कंपनी ने उत्पाद की कोई एक्सपायरी डेट (When Will The Model Be Discontinued) बताई थी। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि अगर मॉडल बंद हो गया तो इसकी मरम्मत सेवाएं भी नहीं मिलेंगी।
पिछले डेढ़ दशक में कंपनियों ने बड़े पैमाने पर ग्राहकों को खुलेआम बेवकूफ बनाया है, लेकिन अब जब सरकार ने इस बारे में निर्देश जारी किए हैं, तो आप भी पीछे न रहें और शिकायत करने में आलस न करें। मंत्रालय ने कंपनियों से कहा है कि ऐसा उत्पाद जिसकी मरम्मत नहीं हो सकती, जो अब काम नहीं करेगा या केवल ई-कचरा बन जाएगा।
ऐसी स्थिति में मरम्मत के अभाव में उपभोक्ता को मजबूरन नया उत्पाद खरीदना पड़ता है। इसलिए कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जब कोई उपभोक्ता कोई उत्पाद खरीदे, तो उस उत्पाद की एक्सपायरी डेट क्या है? इस बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए। मरम्मत के अधिकार को लेकर कंपनियां सीधा जवाब देने से डरती हैं। दरअसल, यह कंपनियों का जिम्मेदारी से पीछे हटना है, लेकिन भारत में कंपनी के प्रतिनिधि ग्राहकों से कहते हैं कि स्पेयर पार्ट्स नहीं बन रहे हैं। मॉडल बंद हो गया है, आप जुगाड़ से इसे ठीक करवा सकते हैं।
पोर्टल में निवारण और निगरानी की पुख्ता व्यवस्था
यहीं से ग्राहक की भूमिका शुरू होती है, जब उसे अपने मरम्मत के अधिकार का प्रयोग करना होता है और कंपनी को उसकी गैरजिम्मेदारी का एहसास कराना होता है। ताकि भविष्य में कोई भी ग्राहक इस तरह से इससे बच न सके।
यहीं से ग्राहक की भूमिका शुरू होती है, जब उसे अपने मरम्मत के अधिकार का प्रयोग करना होता है और कंपनी को उसकी गैरजिम्मेदारी का एहसास कराना होता है। ताकि भविष्य में कोई भी ग्राहक इस तरह से इससे बच न सके।
पोर्टल बनाने के साथ ही उपभोक्ता मंत्रालय ने इस दिशा में शिकायतों के निवारण और निगरानी के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए हैं। ऐसे में ग्राहक के तौर पर खुद भी इसका इस्तेमाल करें और लोगों को भी इसके बारे में जागरूक करें। इससे मरम्मत का खर्च कम हो सकता है, सही उपकरण और सेवा मिल सकती है।
सरकार इसे और बेहतर बनाने पर विचार-विमर्श कर रही है, भविष्य में ग्राहक को मरम्मत के अधिकार से वंचित करने वाली कंपनी पर आर्थिक जुर्माना लगाने और ग्राहक को मुआवजा देने जैसे कदम भी उठाए जाएंगे। हालांकि, यह तभी होगा जब अमेरिकी की तर्ज पर भारतीय भी इस दिशा में शिकायतों का अंबार लगाएंगे।
मूल रूप से, अमेरिका में ग्राहकों को यह अधिकार एक दशक से भी पहले मिल गया था, जहां मोटर वाहन मालिकों को मरम्मत का अधिकार अधिनियम, 2012 लाया गया था। हालांकि, यह तब हुआ जब ग्राहकों ने बड़े पैमाने पर इस बारे में शिकायतें कीं और आंदोलन शुरू किया। इसके बाद संघीय व्यापार आयोग ने निर्माताओं को अनुचित प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं को हटाने का निर्देश दिया।
साथ ही कहा कि कंपनियां खुद या तीसरे पक्ष के जरिए मरम्मत की व्यवस्था सुनिश्चित करें। इसके बाद अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ समेत दुनिया के कई देशों में मरम्मत के अधिकार को मान्यता दी गई।