मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे राहुल गांधी, सजा बरकरार रखने के हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती....
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। हाई कोर्ट ने उन्हें मोदी सरनेम मामले में सज़ा सुनाई, जिसके चलते उन्हें अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी।
Jul 15, 2023, 17:29 IST
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी उपनाम मामले में सजा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कांग्रेस नेता ने 2019 मानहानि मामले के संबंध में 7 जुलाई को दिए गए गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। 7 जुलाई को, उच्च न्यायालय ने राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी और दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सत्र अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।READ ALSO:-आजम खान: नफरती भाषण मामले में सपा नेता आजम खान दोषी करार, कोर्ट ने दो साल कैद और 2500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई
इससे पहले गुजरात में कांग्रेस नेता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर उन्हें सजा दिलाने वाले बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। दरअसल, 23 मार्च को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने 2019 में मोदी सरनेम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी।
ये मामला क्या है ?
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है?' इसे लेकर बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (Defamation) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'सभी चोरों का उपनाम मोदी कैसे है?' इसे लेकर बीजेपी विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (Defamation) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
निचली अदालतों में अब तक क्या हुआ?
23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई। राहुल को अपना सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ राहुल ने 2 अप्रैल को हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद 7 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी।
23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई। राहुल को अपना सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ राहुल ने 2 अप्रैल को हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद 7 जुलाई को कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी।
राहुल को 2 साल की सजा हुई, फिर सांसदी भी गई
24 मार्च को दोपहर करीब 2.30 बजे राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा के सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने एक पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी थी। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है।
24 मार्च को दोपहर करीब 2.30 बजे राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा के सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने एक पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी थी। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि निचली अदालत में दोषी ठहराए जाने की तारीख से कोई भी सांसद या विधायक संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएगा।
कोर्ट ने यह आदेश लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में दिया था। इससे पहले कोर्ट के अंतिम फैसले तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।