विपक्षी गठबंधन का नया नाम हो सकता है India, RJD ने कहा- BJP को अब इंडिया कहने में होगी तकलीफ, TMC ने कहा- चक दे इंडिया

 विपक्षी गठबंधन का नया नाम India हो सकता है। दरअसल इसके कयास विपक्षी नेताओं के ट्वीट से लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता माणिक टैगोर ने ट्वीट किया कि इंडिया जीतेगा। वहीं टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट में लिखा 'चक दे इंडिया'।
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बेंगलुरु में विपक्षी एकता की दूसरे दिन की बैठक जारी है. 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष की 26 पार्टियां एक साथ आई हैं। सूत्रों के मुताबिक बैठक में विपक्षी दलों के गठबंधन का नाम India रखने का प्रस्ताव रखा गया है। READ ALSO:-मोदी सरनेम मामले में सुप्रीम कोर्ट में 21जुलाई को सुनवाई, राहुल गांधी की तत्काल सुनवाई की अपील मंजूर, गुजरात HC ने सजा को बरकरार रखा था

 

बैठक में शामिल राष्ट्रीय जनता दल ने भी ट्वीट कर कहा कि विपक्षी दलों का गठबंधन भारत का प्रतिबिंब है। राजद ने इंडिया का फुल फॉर्म बताया- इंडिया यानी भारतीय राष्ट्रीय जनतांत्रिक समावेशी गठबंधन। इसके साथ RJD ने लिखा- अब प्रधानमंत्री मोदी को इंडिया कहने में दर्द होगा। 

 शिवसेना (UBT) के नेता उद्धव ठाकरे से बातचीत करतीं सोनिया गांधी।

TMC सांसद ने भी ट्वीट किया- चक दे इंडिया. वहीं कांग्रेस ने भी लिखा- जीतेगा भारत. हालांकि, नाम को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। शाम 4 बजे बैठक खत्म होने के बाद विपक्षी दलों के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। 

 


इन अहम बिंदुओं पर आज फैसला संभव:-

 

कौन है अध्यक्ष, कांग्रेस चाहती है कि सोनिया को मिले कमान?
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि कांग्रेस चाहती है कि सोनिया गांधी विपक्षी दलों की अध्यक्ष बनें। कारण यह है कि सोनिया सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी की नेता हैं और प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवार भी नहीं हैं। पटना में हुई बैठक में कुछ लोगों ने नीतीश कुमार को संयोजक बनाने का प्रस्ताव दिया था। अगर सभी दल इस पर सहमत होंगे तो कांग्रेस भी इसे स्वीकार करेगी। 

 

मुद्दों पर क्या रुख लेना है, अलग-अलग ग्रुप बनेंगे
2024 के चुनाव में विपक्षी दलों की एकजुटता के लिए संयोजक बनाया जाएगा। कौन से मुद्दे उठाने हैं और क्या रुख होगा, इसके लिए अलग-अलग ग्रुप बनेंगे और वही तय करेंगे। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर भी फैसला ऐसा ही होगा। 

 


चुनाव कैसे लड़ा जाएगा, मोदी VS नेता या कुछ और
सूत्रों ने बताया कि विपक्षी दल आम चुनाव को मोदी बनाम विपक्षी नेता बनाने के पक्ष में नहीं हैं। उनका मानना है कि इस चुनाव को मोदी बनाम जनता का रूप दे देना चाहिए। इसके लिए समसामयिक मुद्दों पर फोकस करना चाहिए। 

 


BJP और मोदी के खिलाफ रणनीति
सूत्रों के मुताबिक संयोजक के अलावा 2-3 ग्रुप बनाने का विचार है। इनके जरिए मोदी के खिलाफ उठाए जाने वाले मुद्दों पर फैसला लिया जाएगा। यह ग्रुप तय करेगा कि किन मुद्दों पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना है। यह भी तय किया जाएगा कि किन मुद्दों पर स्टैंड नहीं लेना है, ताकि BJP ध्रुवीकरण के लिए उनका फायदा न उठा सके। 

 RJD सुप्रीमो लालू यादव के साथ डी राजा, सीताराम येचुरी, राहुल, सोनिया और ममता बनर्जी

2024 के लिए सीट शेयरिंग फॉर्मूला
एक प्रस्ताव यह भी है कि एक ग्रुप बनाया जाए जो राज्यों में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय करेगा। इतने कम समय में 26 विपक्षी दलों के नेताओं के बीच बैठक नहीं हो सकती। ऐसे में एक ग्रुप बनाया जाना चाहिए जो सभी के बीच समन्वय बनाए रखे। 

 सपा प्रमुख अखिलेश यादव और शिवपाल यादव से बातचीत करते राहुल और सोनिया गांधी।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- हमारे बीच मतभेद हैं, लेकिन ऐसे नहीं जिन्हें दूर न किया जा सके
सूत्रों के मुताबिक बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम जानते हैं कि राज्य स्तर पर हमारे बीच कुछ मतभेद हैं। लेकिन ये मतभेद इतने बड़े नहीं हैं कि हम इन्हें पीछे छोड़कर उन लोगों के लिए आगे न बढ़ सकें जो कुचले जा रहे हैं। हर संस्था को विपक्ष के खिलाफ हथियार बना दिया गया है। इस बैठक को आयोजित करने के पीछे हमारा उद्देश्य संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय की रक्षा करना है।

 

26 पार्टियों के नेता शामिल हुए, 8 नई पार्टियों को मिला कर 
इस बार विपक्षी कुनबे को और मजबूत करने के लिए 8 और पार्टियों को आमंत्रित किया गया है। इनमें मरुमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (JOSEPH) शामिल हैं। और केरल कांग्रेस (Mani)) सहमत हो गए हैं। इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ थे। 

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1977 में पहली बार विपक्षी नेता एक साथ आये, गठबंधन सरकार बनी
देश में आपातकाल के बाद पहली बार 1977 में विपक्षी नेता एक साथ आए। तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। फिर कई पार्टियां एक साथ आईं। जनता पार्टी का गठन जयप्रकाश नारायण की पहल पर हुआ था। जनता पार्टी ने भी चुनाव जीतकर सरकार बनाई, लेकिन उस चुनाव में भी किसी को प्रधानमंत्री पद के लिए चेहरा नहीं बनाया गया। 

 NCP चीफ शरद पवार चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचे। कर्नाटक के मंत्रियों ने उनका स्वागत किया।

इसके बाद 1989 में अलग-अलग पार्टियों के समर्थन से वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता पार्टी ने सरकार बनाई। तब भी प्रधानमंत्री के लिए कोई चेहरा सामने नहीं रखा गया था। फिर 1996 में BJP ने अटल बिहारी वाजपेई को अपना चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा और सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री के चेहरे पर चुनाव लड़ने की परंपरा भी शुरू हो गई। 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने छोटे दलों की मदद से अकेले चुनाव लड़ा, तब UPA में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। 
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