NDA की बैठक, नीतीश कुमार किन शर्तों पर NDA में?, बिहार के सीएम बोले-जल्द बननी चाहिए सरकार

NDA की बैठक में नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया है। सूत्रों से पता चला है कि NDA के नेता 7 जून को बैठक करेंगे। जिसके बाद वे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। बैठक में NDA के सभी सहयोगी दलों के नेता मौजूद रहे।
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एनडीए की बैठक में नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक 7 जून को एनडीए के सभी सांसदों की बैठक बुलाई गई है। जिसके बाद सभी सहयोगी दल राष्ट्रपति से मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव देंगे। राष्ट्रपति से शाम 5 से 7 बजे के बीच मुलाकात का समय मांगा गया है। बैठक में राजनाथ सिंह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह सहयोगी दलों के साथ सरकार के स्वरूप पर चर्चा करेंगे। बैठक में पीएम मोदी के सामने बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जल्द सरकार बनाने की बात कही। READ ALSO:-UP : मायावती ने चुनाव में हार के लिए मुसलमानों पर जाहिर किया गुस्सा, कहा-अब आगे सोच-समझकर ही चुनाव में मौका देंगे

 

एनडीए की अहम बैठक की अध्यक्षता नरेंद्र मोदी ने की। पीएम आवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुई बैठक में एनडीए के सभी नेता मौजूद रहे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू समेत एनडीए में शामिल सभी सहयोगी दलों के नेता मौजूद रहे। सभी नेताओं ने सबसे पहले नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई दी। इसके बाद उनको को अपना समर्थन पत्र सौंपा। सूत्रों के मुताबिक, नई एनडीए सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 8 जून को हो सकता है।

 

 

विशेष दर्जे की मांग सबसे ऊपर
सूत्रों के मुताबिक, बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग उन पर एंटी-इनकंबेंसी को दूर करने की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। जाहिर है, बिहार जैसे गरीब राज्य के लिए नीतीश विशेष दर्जे का दर्जा दिलाकर आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य के लोगों को खास तोहफा देना चाहते हैं। इतना ही नहीं, नीतीश गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 94 लाख लोगों को दो लाख रुपये देने का वादा भी पूरा करना चाहते हैं। इसलिए विशेष प्रावधान के तहत विशेष दर्जे की मांग नीतीश कुमार की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है।

 

बिहार को विशेष दर्जा देने के अलावा, चाहे बिहार में केंद्रीय विश्वविद्यालयों का मुद्दा हो या देश में जाति जनगणना का, माना जा रहा है कि विपक्ष के मुद्दे की धार को कुंद करने के लिए नीतीश इन मांगों पर भी जोर दे सकते हैं। जाहिर है, नीतीश अगले विधानसभा चुनाव में साल 2010 का प्रदर्शन दोहराना चाहते हैं। इसलिए, बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को मनवाकर नीतीश विपक्ष को इस नए हथियार से मात देना चाहते हैं। नीतीश चाहते हैं कि बिहार विधानसभा जल्द से जल्द हो और नीतीश और ताकतवर होकर एक बार फिर बिहार विधानसभा में सरकार बनाएं। इसलिए नीतीश ने बीजेपी से कह दिया है कि वो चुनाव के लिए तैयार हैं। 

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नीतीश को कितने और कौन से मंत्री पद चाहिए?
नीतीश कुमार इस बार अपनी शर्तों पर सरकार में शामिल होने को तैयार हुए हैं।  इसलिए नीतीश का जोर सांकेतिक हिस्सेदारी से ज्यादा आनुपातिक हिस्सेदारी पर है। नीतीश पिछली दो सरकारों में हुए कड़वे अनुभवों से वाकिफ हैं। इसलिए नीतीश किसी भी कीमत पर केंद्र सरकार में दो केंद्रीय मंत्री और एक राज्य मंत्री का पद चाहते हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि नीतीश ने चार मंत्री पद मांगे हैं। लेकिन तीन से कम पर बात बनने की गुंजाइश नहीं है। नीतीश कुमार की नजर कृषि, ग्रामीण विकास मंत्रालय और रेल विभाग पर है। नीतीश इनमें से दो मंत्रालय किसी भी कीमत पर चाहते हैं। साथ ही नीतीश किसी भी कीमत पर अपने हिस्से में एक राज्य मंत्री का पद भी चाहते हैं। 
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