हर साल कबाड़ होंगे 24 हजार वाहन, Maruti Suzuki ने नोएडा में शुरू किया स्क्रैपिंग प्लांट, पढ़ें

maruti suzuki और टोयोटा त्सुशो समूह की एंड-ऑफ-लाइफ वाहनों (ईएलवी) के लिए सरकार द्वारा अनुमोदित पहली स्क्रैपिंग और रीसाइक्लिंग सुविधा का शुभारंभ केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने किया।
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scraping and recycling plant Noida

Maruti Suzuki : देश में  पहला स्क्रैपिंग और रीसाइक्लिंग प्लांट नोएडा (scraping and recycling plant Noida) में शुरू हो गया है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Union Road and Transport Minister Nitin Gadkari) ने इस प्लांट का शुभारंभ कर दिया है। जानकारी हो कि Maruti Suzuki और टोयटा कंपनी ने मिलकर शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह प्लांट 44 करोड़ रुपये के निवेश से बनाया गया। यह स्क्रैपेज प्लांट, केंद्र सरकार की वाहन स्क्रैपेज नीति (वाहन कबाड़ नीति) के अनुसार है। इसकी क्षमता हर माह 2000 वाहन स्क्रैप करने की होगी।

जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने इस प्लांट का शुभारंभ करते हुए कहा कि  "प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए स्क्रैपेज नीति प्रमुख कारकों में से एक है। पुरानी कारें नई कारों की तुलना में बहुत अधिक प्रदूषणकारी होती हैं, इसलिए उन्हें चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की आवश्यकता है। हमें स्क्रैपेज पॉलिसी के कारण नई कारों की बिक्री 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।" उन्होंने कहा कि  "पुराने वाहन प्रदूषण का कारण बनते हैं जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है। स्क्रैपिंग देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। स्क्रैपिंग से हमें सभी कच्चे माल कम लागत पर मिलेंगे जिससे हम उत्पादन लागत को कम कर सकते हैं।"

scraping and recycling plant Noida

एक वाहन को स्क्रैप होने में लगते हैं 3 घंटे

अभी तक मिली जानकारी के अनुसार इस प्लांट में हर माह 2 हजार वाहन स्क्रैप किए जा सकेंगे। कंपनी के अनुसार एक वाहन को पूरी तरह स्क्रैप होने में 3 घंटे का समय लगता है। केंद्र सरकार का कहना है कि भारत में हर साल करीब 24 हजार वाहन स्क्रैप होंगे। इससे कहीं ना कहीं प्रदूषण और दुर्घटना में कमी आएगी। पूर्ण है।  यह भी पढ़ें - 499 रुपये में करें Bounce Infinity इलेक्ट्रिक स्कूटर की बुकिंग, 2 दिसंबर को हो रहा लॉन्च, Ola S1 से होगी टक्कर

हर जिले में बने रीसाइक्लिंग या स्क्रैपिंग केंद्र

केंद्रीय मंत्री गडकरी (Prime Minister Narendra Modi) ने यह भी कहा कि केंद्र देश के हर जिले में वाहन रीसाइक्लिंग या स्क्रैपिंग केंद्र शुरू करने की योजना बना रही है। मंत्री ने कहा कि इस तरह के कदम से न केवल पुरानी कारों को खत्म करने की प्रक्रिया में आसानी होगी बल्कि अधिक रोजगार भी पैदा होगा, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। गडकरी ने कहा कि ऑटो सेक्टर का सालाना टर्नओवर 7.5 लाख करोड़ रुपये है। इसे 5 साल में 15 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने का लक्ष्य है। भारत का लक्ष्य 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन करना है और यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। Read also :  Mahindra ने अक्टूबर में किया शानदार बिजनेस, बुलेरो सबसे ज्यादा बिकी, Mahindra XUV700 की 2 हफ्तों में हुई 65000 बुकिंग

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इसी साल हुई राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज नीति की घोषणा

जानकारी हो कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इस साल अगस्त में राष्ट्रीय ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज नीति (National Automobile Scrappage Policy) की घोषणा की थी। राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति अगले साल अप्रैल से लागू होगी। वाहन परिमार्जन नीति नियम, जिन्हें केंद्रीय मोटर वाहन (23 वां संशोधन) नियम, 2021 कहा जाएगा, 1 अप्रैल, 2022 से लागू होंगे।  यह भी पढ़ें - 499 रुपये में करें Bounce Infinity इलेक्ट्रिक स्कूटर की बुकिंग, 2 दिसंबर को हो रहा लॉन्च, Ola S1 से होगी टक्कर

15 साल से अधिक पुरान वाहनों के पंजीकरण पर 8 गुना भुगतान

नीति में निजी वाहनों के फिटनेस टेस्ट के लिए 20 साल और वाणिज्यिक वाहनों के लिए 15 साल की समय सीमा तय की गई है। यदि मालिक ऐसे पुराने वाहनों को स्क्रैप करने का निर्णय लेते हैं, तो नया वाहन खरीदने पर 5 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करने वाले वाहनों का क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) (Regional Transport Office) में पंजीकरण नहीं होगा। 15 साल से अधिक पुराने वाहनों के मालिकों को पंजीकरण नवीनीकरण के लिए आठ गुना अधिक भुगतान करना होगा।

scraping and recycling plant Noida

3-4 साल में वाहनों की फिटनेस की जांच की जाए

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (Maruti Suzuki India Limited) के एमडी और सीईओ केनिची आयुकावा (MD and CEO Kenichi Ayukawa) ने कहा, "कई देशों की तरह, हमें एक ऐसी नीति की आवश्यकता है, जहां हर 3-4 साल में वाहनों की फिटनेस की जांच की जाए। हमें 15 साल इंतजार करने की जरूरत नहीं है।"

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