जब तक टॉप नहीं उतारा और ब्रेस्ट नहीं छुआ, तब तक यौन शोषण नहीं : HC का फैसला

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बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि शरीर पर थपकी देना या बाहर से किए स्पर्श को यौन उत्पीड़न नहीं कहा जा सकता। HC ने कहा, 'आरोपी ने बच्ची का टॉप उतारा था या नहीं, या फिर अपना हाथ टॉप के अंदर डाला था या नहीं, ये जाने बिना इसे यौन उत्पीड़न नहीं कह सकते।

कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शरीर का स्कीन टू स्कीन टच यानी शरीर को अथवा यौन अवयवों को प्रत्यक्ष व सीधा स्पर्श यौन उत्पीडऩ (sexual harassment) में आता है। केस के फैसले के लिए पुख्ता सबूतों की जरूरत थी।' आरोपी को नाबालिग की छाती दबाने के अपराध में सजा सुनाई गई थी।

दरअसल एक नाबालिग लड़की पर यौन शोषण के आरोपी ने उसे सुनाई गई सजा को हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए बेंच ने उक्त फैसला दिया। न्यूज 18 लोकमत की खबर के मुताबिक न्यायमूति पुष्मा गणेडीवाला की एक सदस्यीय खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया। उन्होंने इस दौरान छोटे बच्चों पर होने वाले लैंगिक शोषण (Sexual Harassment) के खिलाफ बने पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।

बेंच के निर्णय मेंं कहा गया है कि 12 साल की छोटी बच्ची का टॉप निकालना या छाती को दबाने संबंधी जानकारी के बिना इस प्रकरण के अपराध को यौन उत्पीडन नहीं कहा जा सकता। ये अपराध लैंगिक अत्याचार में नहीं आते। आरोपी की अन्य प्रकार की कृति यानी महिला की शलीनता भंग करने का अपरोध होकर ये अपराध भादंवि की धारा 354 अंतर्गत आते हैं।

दरअसल आरोपी को नाबालिग लड़की की छाती दबाने व उसे अर्धनग्र करने के अपराध में सजा सुनाई गई थी। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट की बेंच में याचिका लगाई। इस प्रकरण में आरोपी ने पीड़िता को अमरूद देने के बहाने घर लेकर गया था। पीड़िता की मां जब घटनास्थल पर पहुंची तो उसे लड़की रोते हुए मिली। जिसके बाद आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी।

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