भारत ने स्वदेशी हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी का सफल परीक्षण किया, जानें इसकी विशेषताएं
यह स्वदेशी रूप से विकसित हाई-स्पीड यूएवी है। DRDO ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें यूएवी को उड़ान भरते और उतरते देखा जा सकता है। इस परीक्षण के साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने फ्लाइंग विंग कॉन्फ़िगरेशन के नियंत्रण में महारत हासिल कर ली है।
Dec 16, 2023, 12:01 IST
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![DRDO](https://khabreelal.com/static/c1e/client/88667/uploaded/7575f0463daa0a61a7ddbbcc0f6b2eb7.jpg)
DRDO ने शुक्रवार को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) से ऑटोनॉमस फ्लाइंग विंग टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। इसके साथ ही भारत उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने फ्लाइंग विंग कॉन्फ़िगरेशन के नियंत्रण में महारत हासिल कर ली है। यह स्वदेशी रूप से विकसित हाई-स्पीड यूएवी है।READ ALSO:-Free आधार अपडेट: 3 महीने के लिए बढ़ी सुविधा, आधार में मुफ्त में नाम, पता और फोन नंबर कैसे अपडेट करें?
DRDO ने इसका एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें यूएवी को उड़ान भरते और उतरते देखा जा सकता है. इस यूएवी को DRDO के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस परीक्षण के लिए DRDO को बधाई दी। उन्होंने कहा कि स्वदेश में विकसित यह विकास सशस्त्र बलों को और मजबूत करेगा।
#DRDOUpdates | DRDO successfully conducted flight trial of Autonomous Flying Wing Technology Demonstrator with Tailless configuration from Aeronautical Test Range, Chitradurga @DefenceMinIndia @SpokespersonMoD pic.twitter.com/42XQki1seV
— DRDO (@DRDO_India) December 15, 2023
आपको बता दें कि इस यूएवी की पहली उड़ान का प्रदर्शन जुलाई 2022 में किया गया था। इसके बाद दो घरेलू स्तर पर निर्मित प्रोटोटाइप का उपयोग करके छह उड़ान परीक्षण किए गए।
UAV स्वदेशी विमान की तरह उड़ान भरेगा
आपको बता दें कि हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी को हल्के कार्बन प्रीप्रेग के साथ डिजाइन किया गया है। इसे स्वदेशी विमान की तरह बनाया गया है। इसकी स्वास्थ्य निगरानी के लिए इसमें फाइबर इंट्रोगेटर्स को जोड़ा गया है, जो एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
आपको बता दें कि हाई-स्पीड फ्लाइंग विंग यूएवी को हल्के कार्बन प्रीप्रेग के साथ डिजाइन किया गया है। इसे स्वदेशी विमान की तरह बनाया गया है। इसकी स्वास्थ्य निगरानी के लिए इसमें फाइबर इंट्रोगेटर्स को जोड़ा गया है, जो एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
इससे पहले DRDO ने सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। इस मिसाइल का नाम प्रलय रखा गया है. इसे भी DRDO ने ही विकसित किया है।
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