बीमा क्लेम के लिए चेहरे के साथ बीमार अंग की तस्वीर भेजने की सरकारी स्कीम पर बवाल, ऐसे में प्राइवेट पार्ट की तस्वीर भेजना भी जरूरी!

 आयुष्मान योजना कई लोगों के लिए संजीवनी साबित हुई है। लेकिन, राजस्थान में चल रही मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर एक चौंकाने वाला सच सामने आया है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?
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Rajasthan CM Ayushman Health Insurance Scheme
प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना की तर्ज पर राजस्थान सरकार ने भी मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है। इस योजना के तहत गरीबों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। लेकिन इलाज की शर्तें सुनकर सबके कान खड़े हो जाते हैं।READ ALSO:-UP : हाथरस हादसे पर राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र, क्या मांग की? लिखा- आपके हर संभव सहयोग के लिए कांग्रेस पार्टी उपलब्ध

 

योजना का लाभ उठाने के लिए मरीजों को अपने चेहरे के साथ रोगग्रस्त अंग की तस्वीर भी जमा करानी होती है। ये नियम महिलाओं पर भी लागू होते हैं। ऐसे में अगर किसी महिला के प्राइवेट पार्ट में कोई समस्या है तो इलाज से पहले महिला को उस अंग की फोटो बीमा कंपनी को जमा करानी होगी। इसके बाद ही महिला का इलाज किया जाएगा, अन्यथा क्लेम खारिज हो जाएगा।

 


तस्वीरों के वायरल होने का भी डर
सरकारी योजना में चल रही इस मनमानी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में इलाज से पहले महिलाओं का घबराना स्वाभाविक है। दरअसल, कई महिलाएं स्तन, कूल्हे और आंतरिक अंगों से जुड़ी बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। वहीं, मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत जब महिलाएं इलाज के लिए अस्पताल पहुंचती हैं तो मरीज के चेहरे के साथ रोगग्रस्त अंग की फोटो भी खींची जाती है। यह फोटो डॉक्टर की बजाय किसी गैर क्लीनिकल व्यक्ति लेता है। मोबाइल पर फोटो लेने के बाद कर्मचारी उसे कंप्यूटर में डालते हैं और फिर बीमा कंपनी की वेबसाइट पर अपलोड कर देते हैं। क्लेम पास होने तक यह फोटो कर्मचारी के कंप्यूटर में रहती है। जाहिर है फोटो लेना मरीजों की निजता का हनन है। इन फोटो के वायरल होने का भी डर बना रहता है।

 

फोटो अपलोड न करने पर नहीं मिलेगा क्लेम
बता दें कि मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मरीजों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है। हालांकि, बीमा क्लेम करने के लिए चेहरे के साथ फोटो की शर्त का पालन करना अनिवार्य है। पहले यह शर्त सिर्फ निजी अस्पतालों तक ही सीमित थी।

 


अब इसे सरकारी अस्पतालों में भी लागू कर दिया गया है। बेशक, योजना में सिर्फ चेहरे की फोटो देने की बात कही गई है, लेकिन रोगग्रस्त अंग की फोटो अपलोड न करने पर बीमा क्लेम रद्द हो जाता है। इस मांग के खिलाफ कई लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई है।

 KINATIC

सरकार नहीं ले रही संज्ञान
जोधपुर के मथुरादास अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन किशोरिया के अनुसार इस संबंध में कई यूनिट हेड ने लिखित शिकायत दर्ज कराई है। इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र भी लिखा गया है।

 

पोर्टल पर फोटो अपलोड करने का काम राज्य स्वास्थ्य बीमा का है, लेकिन जब तक राज्य सरकार मामले का संज्ञान नहीं लेती, तब तक योजना में कोई बदलाव करना संभव नहीं है।
SONU

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