ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी : HDFC बैंक में कार लोन धोखाधड़ी, बैंक ने ऑटो सेगमेंट से 6 सीनियर और मिड लेवल के कर्मचारियों को निकाला

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देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी बैंक में कार के एवज में दिए जाने वाले कर्ज में धोखाधड़ी सामने आई है। इस मामले में बैंक ने कार्रवाई करते हुए 6 सीनियर और मध्यम स्तर के कर्मचारियों की छुट्‌टी कर दी है। यह ऐसे समय में मामला आया है, जब एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी कुछ महीनों में रिटायर हो रहे हैँ। पिछले हफ्ते ही उन्होंने एजीएम में कहा था कि वे एक ऐसे बैंक को छोड़ कर जा रहे हैं जो वर्ल्ड क्लास का बैंक है और जिसको उन्होंने 25 साल में तैयार किया।

कोड ऑफ कंडक्ट का पालन नहीं 

हाल के समय में यह पहला मामला है, जब बैंक में इस तरह की गड़बड़ी आई है। जानकारी के मुताबिक बैंक ने इस मामले में शिकायत के बाद आंतरिक जांच की थी। जांच में पाया गया कि इन कर्मचारियों ने कोड ऑफ कंडक्ट और गवर्नेंस स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया था। यह देखा गया कि ये लोग भ्रष्टाचार में शामिल थे। कर्मचारियों को बैंक से निकालकर बैंक प्रबंधन ने यह संदेश दिया है कि वह इस तरह के मामलों को स्वीकार नहीं करेगा।

मार्च में अशोक खन्ना हुए थे रिटायर

पिछले हफ्ते ही ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक बैंक के व्हीकल फाइनेंसिंग बिजनेस के पूर्व प्रमुख अशोक खन्ना को बैंक ने सेवा विस्तार देने से मना कर दिया था। क्योंकि इस मामले में उनकी जांच चल रही थी। अशोक खन्ना 31 मार्च 2020 को रिटायर हो गए थे। हालांकि खन्ना ने इस तरह के आरोपों से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें कोई एक्सटेंशन का ऑफर नहीं मिला था।

जीपीएस डिवाइस के नाम पर होती थी चीटिंग

बता दें कि बैंक के ऑटो लोन डिपार्टमेंट में इस तरह का काम काफी समय से चल रहा था। ये लोग ग्राहकों को कार लोन लेते समय जीपीएस डिवाइसेस लेने के लिए दबाव डालते थे। बैंक ने इस जीपीएस की बिक्री के लिए ट्रैक प्वाइंट जीपीएस के साथ टाईअप किया था। यह पाया गया कि कुछ ग्राहक इस प्रोडक्ट से परिचित नहीं थे। लेकिन जब वे लोन डाक्यूमेंट चेक करते थे तब उन्हें इसका पता चलता था।

बैंक हर महीने 50 हजार व्हीकल के लिए लोन देता था

बैंक ने हालांकि इस प्रोडक्ट को मंजूर किया था। बैंक इस तरह के जीपीएस डिवाइसेस की हर महीने चार से पांच हजार की बिक्री करता था। एक डिवाइस की कीमत 18 से 19 हजार रुपए होती थी। एचडीएफसी बैंक व्हीकल फाइनेंस के सेगमेंट में लीडिंग है और हर महीने यह 50 हजार कारों के लिए कर्ज देता था। इसका सालाना ऑटो बिजनेस 40 हजार करोड़ रुपए का है। शनिवार को जारी रिजल्ट के अनुसार जून 2020 तक बैंक का कुल व्हीकल लोन पोर्टफोलियो 81 हजार करोड़ रुपए का था।

इसी एजीएम में आदित्य पुरी ने कहा था कि हमें ऑटो लोन की शिकायत मिली है और हम इस मामले की जांच कर रहे हैं। दो दिन बाद ही बैंक ने इस मामले  में फैसला कर लिया और 6 लोगों को निकाल दिया।

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