भारत के इस गांव में पुरुषों से गर्भवती होने के लिए आती हैं विदेशी महिलाएं, आइये जानते हैं इसके पीछे का कारण....

 प्रेगनेंसी टूरिज्म क्या है? क्यों बड़ी संख्या में विदेशी महिलाएं गर्भवती होने के लिए भारत आती हैं? आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह
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Pregnancy Tourism Ladakh
प्रेग्नेंसी टूरिज्म लद्दाख: दुनियाभर में एडवेंचर, वाइल्डलाइफ, इको, धार्मिक जैसे कई तरह के टूरिज्म हैं। बड़ी संख्या में लोग दुनिया के कोने-कोने की यात्रा करते हैं और भारत भी आते हैं। वैसे तो भारत विदेशियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है, लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि देश के एक हिस्से में विदेशी महिलाएं प्रेग्नेंट होने के लिए क्यों आती हैं? आखिर इसके पीछे क्या वजह है, आइए जानते हैं।READ ALSO:-90 फीट ऊंची हनुमान जी की मूर्ति का अमेरिका में विरोध क्यों? लोगों ने क्यों किया हंगामा?

 

देश और दुनिया में एडवेंचर, वाइल्ड लाइफ, इको जैसे कई तरह के पर्यटन हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे पर्यटन के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में सुनकर आप चौंक जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में भारत में एक ऐसे पर्यटन की चर्चा हो रही है, जिसके बारे में लोग खुलकर बात नहीं कर रहे हैं। यह प्रेग्नेंसी टूरिज्म है। जानकारी के मुताबिक, लद्दाख में एक ऐसा गांव है, जिसके बारे में दावा किया जाता है कि विदेशी महिलाएं, खासकर यूरोपीय देशों से, वहां गर्भवती होने के लिए आती हैं। 

 

आपको जानकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि, इस गांव में ऐसा क्या खास है कि यूरोप से लड़कियां यहां खुद गर्भवती होने के लिए आती हैं। इसका जवाब है ब्रोकपा जनजाति के लोग। जिनके बारे में कहा जाता है कि ये लोग सिकंदर महान की सेना के वंशज हैं। शायद यही वजह है कि, कारगिल से करीब 70 किलोमीटर दूर आर्यन वैली गांव में अक्सर विदेश से महिलाएं घूमने नहीं बल्कि यहां के मर्दों से खुद को गर्भवती करने के लिए आती हैं। 

 

प्रेग्नेंसी टूरिज्म
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लद्दाख की राजधानी लेह से 163 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में बियामा, गरकोन, दारचिक, दाह और हनु गांव स्थित हैं। इन गांवों में ब्रोकपा समुदाय के लोग रहते हैं। इस समुदाय के लोगों का दावा है कि वे दुनिया में बचे हुए आखिरी शुद्ध आर्य हैं। ब्रोकपा इस विवादित दावे को अपने सिर का ताज मानते हैं और गर्व भी महसूस करते हैं। 

 

जानकारी के मुताबिक, जब सिकंदर महान हारकर भारत छोड़ रहा था, तो उसकी सेना का कुछ हिस्सा भारत में ही रह गया था। कहा जाता है कि सिकंदर महान के यहां से जाने के बाद से ही उसके वंशज आज तक इस गांव में रह रहे हैं। कहा जाता है कि पहले ब्रोकपा को लेकर कोई खास क्रेज नहीं था। इंटरनेट के प्रसार के बाद लद्दाख के गांवों में विदेशी महिलाओं के आने की कहानियां सुनने को मिलने लगीं। कहा जाता है कि यूरोप की महिलाएं 'शुद्ध आर्यन बीज' के लिए ब्रोकपा के गांवों में आती हैं।

 

क्या विदेशी महिलाएं यहां के पुरुषों से संबंध बनाने के लिए आती हैं? 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विदेश से, खास तौर पर यूरोप से महिलाएं सिकंदर महान के सैनिकों की तरह बच्चे पैदा करने की चाहत लेकर लद्दाख के इस मशहूर गांव में आती हैं। यहां आने के बाद विदेशी महिलाएं यहां रहने वाले पुरुषों से संबंध बनाती हैं। विदेशी महिलाएं यहां के पुरुषों से इस उम्मीद के साथ संबंध बनाती हैं कि उनके बच्चे भी सिकंदर महान के सैनिकों की तरह मजबूत और नीली आंखों वाले होंगे। 
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कहा जाता है कि, सेक्स करने के बदले में यूरोपियन महिलाएं गांव के पुरुषों को पैसे देती हैं। जब काम हो जाता है तो ये महिलाएं अपने देश वापस चली जाती हैं। खबरों के मुताबिक, अब ये चीजें यहां एक कारोबार की तरह हो गई हैं। विदेशी महिलाएं सिकंदर के सैनिकों की तरह बच्चे पैदा करने की चाहत लेकर यहां आती हैं और पुरुषों के साथ सेक्स करती हैं। जब वे गर्भवती हो जाती हैं तो वापस चली जाती हैं।
यही कारण है कि विदेशी महिलाएं सिकंदर की सेना जैसी अच्छी हाइट, शारीरिक बनावट, मजबूत शरीर वाले बच्चे की चाह में यहां आती हैं और गर्भवती होकर यहां से चली जाती हैं। यह भी कहा जाता है कि पहले इस समुदाय के लोगों का इतना क्रेज नहीं था लेकिन इंटरनेट पर प्रचार के बाद विदेशी महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी। विदेशी महिलाएं शारीरिक संबंध बनाने के बदले पुरुषों को पैसे देती हैं।

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दावा और प्रमाण
यह है कि ब्रोकपा लोगों के दावों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। जानकारी के अनुसार, उनका कोई डीएनए टेस्ट नहीं किया गया है। दरअसल, उन्हें सिर्फ़ इसलिए 'शुद्ध आर्य' नहीं माना जा सकता क्योंकि वे लद्दाखी संस्कृति से अलग हैं। हालांकि, वे अपनी लंबाई, शारीरिक बनावट, कुछ कहानियों, लोककथाओं और मिथकों के आधार पर शुद्ध आर्य होने का दावा करते हैं। ब्रोकपा लोगों के दावों को किसी वैज्ञानिक प्रमाण या विश्वसनीय इतिहास द्वारा समर्थित नहीं किया जाता है। लेकिन फिर भी ब्रोकपा अपने दावों के साथ मजबूती से खड़े हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आर्यों को लेकर इतिहास में एकमत नहीं है। वहीं, कई बुद्धिजीवियों का मानना ​​है कि प्रेग्नेंसी टूरिज्म एक मनगढ़ंत कहानी है।
SONU

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