‘‘मेरे पास आओ…वासना खत्म कर दूंगा’’…चरण सेवा के बहाने दाती महाराज ने मिटाई अपनी हवस, शिष्या से रेप मामले में तय हुए आरोप
दिल्ली की एक अदालत ने स्वयंभू बाबा मदनलाल उर्फ दाती महाराज और उनके दो भाइयों अशोक और अर्जुन के खिलाफ बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध और आपराधिक धमकी के आरोप तय किए हैं। यह आरोप एक महिला ने लगाया है जिसने आरोप लगाया है कि दाती महाराज और उनके भाइयों ने अपने आश्रम में उसके साथ बलात्कार किया।
Sep 22, 2024, 14:15 IST
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मदनलाल उर्फ दाती महाराज और उसके दो भाइयों अर्जुन और अशोक के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म मामले में आरोप तय हो गए हैं। दिल्ली की साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में तीनों आरोपियों पर आरोप तय करने और मुकदमा चलाने का आदेश जारी किया है। मामले में एक अन्य आरोपी दाती महाराज के भाई अनिल को राहत दी गई है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नेहा ने आरोप तय किए। तीनों के खिलाफ 18 अक्टूबर से सुनवाई शुरू होगी। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला और यह भी कि कौन हैं ये दाती महाराज?READ ALSO:-UP : प्रयागराज-लखनऊ और वाराणसी के बड़े मंदिरों में चढ़ने वाले प्रसाद की होगी जांच, तिरुपति लड्डू प्रसादम में मिलावट के बाद FSDA एक्शन में
क्या है पूरा मामला?
मामला साल 2016 का है। 7 जून 2018 को पीड़िता ने फतेहपुरबेरी थाने में केस दर्ज कराया था। 11 जून 2018 को पीड़िता का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। 2019 में दाती महाराज, अर्जुन, अशोक और अनिल को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोपी बनाया गया और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। 4 सितंबर 2020 को चारों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई।
मामला साल 2016 का है। 7 जून 2018 को पीड़िता ने फतेहपुरबेरी थाने में केस दर्ज कराया था। 11 जून 2018 को पीड़िता का बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज की गई थी। हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर 2018 को मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। 2019 में दाती महाराज, अर्जुन, अशोक और अनिल को आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 (सामान्य इरादा) के तहत आरोपी बनाया गया और कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। 4 सितंबर 2020 को चारों के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की गई।
पीड़िता की मां नीतू उर्फ श्रद्धा और नीमा जोशी का भी उसके बयान में नाम था, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया। दिसंबर 2019 में फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। आरोप तय होने में 5 साल लग गए। 3 मार्च 2020 को आरोप तय करने के लिए शुरू हुई बहस अब खत्म हो गई है। 17 मई 2023 से अब तक 6 बार आरोप तय करने की तारीखें दी गईं, लेकिन आरोपियों की सजा 21 सितंबर 2024 तय की गई।
पीड़िता ने सुनाई आपबीती
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़िता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह 10 साल से दाती महाराज की अनुयायी है। 9 फरवरी 2016 को वह दाती महाराज की सेवा करने उनके पास गई थी। महाराज की सेविका श्रद्धा उसे दिल्ली स्थित शनि धाम ले गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीड़िता ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह 10 साल से दाती महाराज की अनुयायी है। 9 फरवरी 2016 को वह दाती महाराज की सेवा करने उनके पास गई थी। महाराज की सेविका श्रद्धा उसे दिल्ली स्थित शनि धाम ले गई।
वहां चरण सेवा के बहाने उसे सफेद कपड़े पहनाए गए और एक कमरे में ले जाया गया। वहां दाती महाराज थे, उन्होंने उससे कहा कि जब मैं हूं तो तुम दूसरों के दर पर क्यों भटकती हो? मैं तुम्हें मोक्ष दूंगा, सत्य का मार्ग दिखाऊंगा और तुम्हारी वासना समाप्त करूंगा। इसके बाद उसने और उसके भाइयों ने चरण सेवा के नाम पर उसका यौन शोषण किया। तंग आकर वह 2016 में आश्रम से भाग गई। उस समय वह डिप्रेशन में थी, जिससे उबरने के बाद उसने पुलिस में शिकायत की।
कौन हैं दाती महाराज?
दाती महाराज का असली नाम मदन लाल है और वे राजस्थान के पाली जिले के अलावास गांव के रहने वाले हैं। माता-पिता की मौत के बाद वे ढोलक बजाकर पैसे कमाते थे, क्योंकि यही उनके पिता का काम था। इसी बीच वे अपने भाइयों के साथ दिल्ली आ गए। यहां उन्होंने एक चाय की दुकान पर काम किया। उन्होंने खानपान का भी कारोबार किया। 1996 में उनकी मुलाकात राजस्थान के एक ज्योतिषी से हुई। उनके साथ रहकर उन्होंने कुंडली देखना शुरू किया। जब उन्हें मुनाफा होने लगा तो उन्होंने खानपान का कारोबार बंद कर दिया और ज्योतिष केंद्र खोल लिया।
उन्होंने अपना नाम भी दाती महाराज रख लिया। 1998 में उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक नेता की जीत की भविष्यवाणी की और वे जीत गए। नेता ने खुश होकर फतेहपुर बेरी में अपना पुश्तैनी मंदिर उन्हें सौंप दिया, जिसकी देखभाल दाती महाराज करने लगे। उसके बाद हरिद्वार महाकुंभ में पंचायती महानिर्वाण अखाड़े ने दाती महाराज को महामंडलेश्वर बना दिया। इसके बाद उन्होंने शनि मंदिर का नाम बदलकर श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम पीठाधीश्वर रख दिया और खुद को श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर परमहंस दाती जी महाराज घोषित कर दिया।