चंद्रयान-3 रोवर ने भेजी लैंडर की पहली तस्वीर, रोवर को चंद्रमा की सतह पर ऑक्सीजन समेत 9 तत्व मिले, हाइड्रोजन की तलाश जारी।
ISRO का चंद्रयान-3 लगातार चंद्रमा की जांच कर रहा है। प्रज्ञान रोवर की कई खोजें दुनिया के लिए अहम होने वाली हैं, क्योंकि अब ऑक्सीजन मिल गई है, समझिए इससे क्या लाभ मिलेंगे...
Aug 30, 2023, 14:31 IST
|
भारत के चंद्रयान-3 को बड़ी सफलता मिली है और चंद्रमा पर गए रोवर 'प्रज्ञान' ने एक बड़ी खोज की है। प्रज्ञान ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन की खोज की है। इसरो ने कहा कि प्रज्ञान अब दक्षिणी ध्रुव पर हाइड्रोजन की तलाश में है। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश बन गया; विश्व के वैज्ञानिक समुदाय ने इस ऐतिहासिक क्षण का जश्न मनाया। लेकिन अब चंद्रयान-3 चंद्रमा पर जो खोज कर रहा है वह न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए उपयोगी साबित होने वाली है।READ ALSO:-सब्सिडी नहीं, सीधे घटे गैस सिलेंडर के दाम, जानें आपके शहर में क्या है कीमत?
ISRO की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के साथ-साथ एल्यूमीनियम, कैल्शियम, मैंगनीज, लोहा, सिलिकॉन, टाइटेनियम, सल्फर के प्रमाण मिले हैं। यानी भारत वो देश बन गया है जिसने पहली बार दुनिया को बताया कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन होने के सबूत हैं। अब इसका अगला कदम यह होगा कि चंद्रमा के इस हिस्से में जीवन के सबूत खोजे जाएंगे।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 30, 2023
Smile, please📸!
Pragyan Rover clicked an image of Vikram Lander this morning.
The 'image of the mission' was taken by the Navigation Camera onboard the Rover (NavCam).
NavCams for the Chandrayaan-3 Mission are developed by the Laboratory for… pic.twitter.com/Oece2bi6zE
इस ऑक्सीजन से सीधे सांस नहीं ली जा सकती
हालाँकि चंद्रमा की मिट्टी पर पाई जाने वाली ऑक्सीजन उस रूप में नहीं है कि इसे सीधे सांस के रूप में लिया जा सके। यह ऑक्साइड के रूप में होता है। इससे पहले नासा ने चंद्रमा की मिट्टी में ऑक्सीजन का भी पता लगाया था। इसलिए यहां इसरो को पहले से ही ऑक्सीजन मिलने की संभावना थी.
ऑक्साइड रासायनिक यौगिक की एक श्रेणी है। इसकी संरचना में तत्व के साथ एक या अधिक ऑक्सीजन परमाणु होते हैं। जैसे Li2O, CO2, H2O आदि। H2O का मतलब पानी है। इसीलिए इसरो अब ऑक्सीजन मिलने के बाद एच यानी हाइड्रोजन की खोज कर रहा है।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 29, 2023
In-situ scientific experiments continue .....
Laser-Induced Breakdown Spectroscope (LIBS) instrument onboard the Rover unambiguously confirms the presence of Sulphur (S) in the lunar surface near the south pole, through first-ever in-situ measurements.… pic.twitter.com/vDQmByWcSL
इस प्रयोग में लेजर का प्रयोग किया जाता है
इस प्रयोग में सैंपल की सतह यानी चांद की मिट्टी या चट्टान पर हाई-फोकस लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। सतह के गर्म होने पर प्लाज्मा बनता है। उससे बने स्पेक्ट्रम का अध्ययन करके तत्व का पता लगाया जाता है। विभिन्न तत्वों का अलग-अलग स्पेक्ट्रा होता है।
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर क्या पाया?
- ऑक्सीजन
- लोहा
- क्रोमियम
- टाइटेनियम
- अल्युमीनियम
- कैल्शियम
- मैंगनीज
- सिलिकॉन
- गंधक
आपको बता दें कि चंद्रमा पर पहुंचने के लिए यह भारत का तीसरा मिशन है, पहले मिशन में भारत के चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया था। यह मिशन 2008 में भेजा गया था। चंद्रयान-2 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर सका, लेकिन इसके ऑर्बिटर ने काफी काम किया। अब चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच गया और इतिहास रच दिया।
इसरो का अगला मिशन चंद्रमा के इस हिस्से में हाइड्रोजन की खोज करना है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां ऑक्सीजन तो पहले से ही उपलब्ध है, अगर हाइड्रोजन भी उपलब्ध होगी तो पानी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। यानी अगर चांद पर ऑक्सीजन और पानी दोनों होंगे तो इंसानी बस्तियां बसाने का सपना सच साबित हो सकता है।
इसरो का महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा था, जिसके साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया था। भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला चौथा देश और इसके दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। 23 अगस्त को उतरे चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर 14 दिन पुराने हैं और यह समयसीमा 2 सितंबर को खत्म हो रही है।