सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का हलफनामा : मैरिटल रेप को नहीं बनाना चाहिए अपराध
सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में दायर एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार का तर्क है कि मैरिटल रेप के लिए पहले से ही कानूनी प्रावधान मौजूद हैं और इसे अलग से अपराध घोषित करने की जरूरत नहीं है।
Oct 4, 2024, 08:00 IST
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सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में दायर एक हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार का तर्क है कि मैरिटल रेप के लिए पहले से ही कानूनी प्रावधान मौजूद हैं और इसे अलग से अपराध घोषित करने की जरूरत नहीं है।READ ALSO:-UP : बुजुर्गों को जवान बनाने का दिया झांसा, 35 करोड़ ले कर पति-पत्नी हुए छूमंतर; 65 की उम्र में 30 का बनना संभव है?
- सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सरकार ने कहा है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करना कानूनी मुद्दा कम और सामाजिक मुद्दा अधिक है। यह फैसला समाज पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
- केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि विवाह को पारस्परिक दायित्वों का बंधन माना जाता है, जहां पति-पत्नी के बीच यौन संबंध को स्वाभाविक माना जाता है। हालांकि, सरकार ने यह भी स्वीकार किया कि महिलाओं की सहमति जरूरी है।
केंद्र सरकार के प्रमुख तर्क:
- सामाजिक मुद्दा: सरकार का मानना है कि मैरिटल रेप एक जटिल सामाजिक मुद्दा है और इसे कानून के माध्यम से हल करने से पहले समाज के सभी वर्गों की राय लेनी चाहिए।
- मौजूदा कानून पर्याप्त: सरकार का कहना है कि मैरिटल रेप से पीड़ित महिलाओं के लिए भारतीय दंड संहिता में पहले से ही पर्याप्त प्रावधान हैं।
- विवाह संस्था पर प्रभाव: सरकार का मानना है कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करने से विवाह संस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
याचिकाकर्ताओं का पक्ष:
दूसरी ओर, याचिकाकर्ता मानते हैं कि मैरिटल रेप एक गंभीर अपराध है और इससे पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए। उनका कहना है कि शादी के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाले शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, याचिकाकर्ता मानते हैं कि मैरिटल रेप एक गंभीर अपराध है और इससे पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए। उनका कहना है कि शादी के नाम पर महिलाओं के साथ होने वाले शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का रुख:
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने पहले ही इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के विभाजित फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया था, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने इस फैसले से असहमति जताई थी।
सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अंतिम फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने पहले ही इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट के विभाजित फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। दिल्ली हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया था, जबकि दूसरे न्यायाधीश ने इस फैसले से असहमति जताई थी।
क्या है मैरिटल रेप
मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जोड़े के बीच होने वाला बलात्कार एक गंभीर मुद्दा है। कई महिलाओं का मानना है कि शादी के बंधन में बंधी महिलाओं को बलात्कार का सामना करना पड़ता है और इस अपराध के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। वे मांग करती हैं कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।
मैरिटल रेप यानी शादीशुदा जोड़े के बीच होने वाला बलात्कार एक गंभीर मुद्दा है। कई महिलाओं का मानना है कि शादी के बंधन में बंधी महिलाओं को बलात्कार का सामना करना पड़ता है और इस अपराध के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं है। वे मांग करती हैं कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके।