बजट में 5 किलो मुफ्त राशन की डेडलाइन बढ़ाने की घोषणा, तीन चुनावी राज्यों में 1.5 करोड़ लाभार्थियों पर है नजर?

केंद्र सरकार के मुताबिक, महाराष्ट्र में 25 लाख परिवार प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मिलने वाले इस राशन के लाभार्थी हैं। इसी तरह झारखंड में 8.94 लाख परिवार इस योजना के तहत राशन पा रहे हैं। हरियाणा में 2.68 लाख परिवार इसके लाभार्थी हैं।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 की घोषणा करते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 5 किलो मुफ्त खाद्यान्न की समयसीमा बढ़ाने की घोषणा की है। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा है कि अब यह मुफ्त खाद्यान्न अगले 5 सालों तक दिया जाएगा। मुफ्त खाद्यान्न संबंधी इस घोषणा को हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। 

 

इन तीनों ही राज्यों में अब से 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। 3 में से 2 राज्यों (Maharashtra and Haryana) में फिलहाल बीजेपी गठबंधन की सरकार सत्ता में है, जबकि झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की सरकार सत्ता में है। 

 

फिर से मुफ्त खाद्यान्न देने की घोषणा क्यों? 
  • जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, वहां 35 लाख परिवार लाभार्थी हैं। 
  • तीनों को जोड़ दिया जाए तो यह 35 लाख से ज्यादा होता है। 

 

लाभार्थियों की संख्या को अगर संख्या के हिसाब से देखा जाए तो यह सीधे तौर पर 1.59 करोड़ के आसपास है। भारत सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र में 1 करोड़ 10 लाख लोग मुफ्त राशन का लाभ उठाते हैं। झारखंड में यह संख्या करीब 34 लाख है। वहीं हरियाणा में राशन का लाभ लेने वालों की संख्या करीब 12 लाख है।

 

यूपी से लेकर गुजरात तक बीजेपी को मिला फायदा
बीजेपी को कई राज्यों के विधानसभा चुनावों में मुफ्त राशन का फायदा मिला है। इनमें गुजरात और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव प्रमुख हैं। सीएसडीएस के मुताबिक गुजरात में वोट देने आए 10 में से 7 लोगों ने मुफ्त अनाज योजना का जिक्र किया। बीजेपी ने इस राज्य के चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की थी।

 

उत्तर प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी को मुफ्त अनाज योजना का फायदा मिला। सर्वे एजेंसी के मुताबिक हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में 67 फीसदी लोगों ने कहा कि उनके परिवार को इस मुफ्त राशन योजना का फायदा मिला है।

 

मुफ्त अनाज योजना पर सरकार कितना खर्च करती है?
वित्त मंत्रालय के मुताबिक साल 2020 में इस योजना पर सबसे ज्यादा 5.41 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए। 2021 में यह आंकड़ा 2.92 लाख करोड़ रुपये, 2022 में 2.72 लाख करोड़ रुपये, 2023 में 2.12 लाख करोड़ रुपये और 2023 में 2.05 लाख करोड़ रुपये था।

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केंद्र सरकार के मुताबिक, देशभर में करीब 80 करोड़ लोगों को इस योजना का लाभ मिलता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसे बजट पर बोझ मानते हुए कहा कि पांच साल की अवधि में इस पर करीब 10 लाख करोड़ रुपये खर्च होते हैं।

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इतना ही नहीं, कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि नीति आयोग ने इस योजना को बंद करने की सलाह दी थी। हालांकि, सरकार ने आयोग की इस सलाह को नहीं माना।
मुफ्त अनाज योजना मुफ्तखोरी के कारण भी विवादों में रही है। मुफ्तखोरी के दौरान जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई तो पक्षकारों की ओर से दलील दी गई कि इस योजना पर भी विचार किया जाना चाहिए। हालांकि, केंद्र ने कहा कि यह राहत के लिए है।
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