चुनाव आयुक्त की नियुक्ति: चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, अब ये कमेटी करेगी चुनाव

मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जाएगी जिसमें प्रधान मंत्री, मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है।
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DELHI HIGH COURT
ECs CEC की विवादास्पद नियुक्ति: सुप्रीम कोर्ट ने आज चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मुताबिक अब प्रधानमंत्री (PM), लोकसभा में विपक्ष के नेता और CJI संयुक्त रूप से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन करेंगे। सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी सीबीआई निदेशक की तर्ज पर होनी चाहिए। Read Also:-अडाणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बनाई विशेषज्ञ समिति, नंदन नीलकेणी समेत 6 सदस्य, गौतम अडानी बोले- सच की जीत होगी

 

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 5-0 के सर्वसम्मत फैसले में कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों का चयन तीन सदस्यीय समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा  जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा है, यह नियम तब तक जारी रहेगा जब तक संसद इन नियुक्तियों के लिए कानून नहीं बनाती। 

 

सीधी नियुक्ति सही नहीं : सुप्रीम कोर्ट 
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा सीधे चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को सही ठहराया है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस रस्तोगी ने जस्टिस जोसेफ के फैसले से सहमति जताई। इस दौरान जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया भी केंद्रीय चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया की तरह होनी चाहिए। 

 

इस दौरान जस्टिस जोसेफ ने कहा, 'चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता (या सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) और सीजेआई (CJI) की एक समिति की सलाह पर की जाएगी।' यह नियुक्ति प्रक्रिया तब तक लागू रहेगी जब तक कि संसद द्वारा कोई कानून नहीं बना दिया जाता। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि केंद्र को एक समेकित कोष से केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI) के वित्त पोषण और एक अलग सचिवालय बनाने के लिए आवश्यक बदलाव करना चाहिए।

 

चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी: जस्टिस जोसेफ
जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की स्पष्टता बनाए रखनी चाहिए। नहीं तो यह शुभ फल नहीं देगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का लोगों की शक्ति से गहरा संबंध है। उन्हें अलग नहीं किया जा सकता। हमें एक ठोस और उदार लोकतंत्र की पहचान अपने दिमाग में रखनी होगी। वोट की ताकत सबसे बड़ी होती है, इससे मजबूत पार्टियां भी सत्ता गंवा सकती हैं। इसलिए चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी है।

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