68 साल बाद घर लौटी Air India, 18000 करोड़ में टाटा ग्रुप ने खरीदी एयर लाइन कंपनी

Tata & Sons Buy Air India : टाटा समूह को एयर इंडिया में 100% हिस्सेदारी के अलावा इसकी दूसरी कंपनी एयर इंडिया सैट्स (AISATS) में 50% हिस्सेदारी भी मिलेगी। वहीं सब्सिडरी एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा। 

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Air India
देश की सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया का निजीकरण हो गया है। शुक्रवार को सरकार ने एयर इंडिया की बिक्री के लिए लगी बोली के विजेता का एलान करते हुए कर्ज में जूझ रही एयर इंडिया को टाटा समूह (Tata & Sons Buy Air India) को बेच दिया है। इस संबंध में डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेज मेनेजमेंट यानि दीपम के सचिव तुहिन कांत पांडे और सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के सचिव प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं।  Read Also : Air India को क्यों बेच रही है सरकार, कंपनी की है कितनी संपत्ति और खरीददार को क्या-क्या मिलेगा, जानिए सबकुछ

 

पांडे ने बताया कि कई बार बोली के लिए आवेदन मांगे गए थे, लेकिन अंत में सितंबर में दो बिडर के नाम पर मुहर लगी है। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया के सभी कर्मचारियों का ध्यान रखा जाएगा, उन पर इसका असर नहीं होगा। अब टाटा समूह को एयर इंडिया में 100% हिस्सेदारी के अलावा इसकी दूसरी कंपनी एयर इंडिया सैट्स (AISATS) में 50% हिस्सेदारी भी मिलेगी। वहीं सब्सिडरी एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी शत प्रतिशत नियंत्रण मिलेगा। 

 

एयर इंडिया स्पेसिफिक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म पैनल ने इसकी फाइनेंशियल बोली पर फैसला लिया है। इस पैनल में गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत कई अन्य मंत्री और अधिकारी शामिल हैं। 
कभी एयर इंडिया (Air India Sale) को शुरू करने वाले टाटा ग्रुप (Tata Group) ने एयर इंडिया को खरीद (Who is Air india Buyer) लिया। यानि 68 साल बाद एयर इंडिया फिर से अपने पुराने मालिक के पास चली गई। अब जल्दी ही कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी। टाटा ग्रुप के मालिकाना हक वाली दो  विस्तारा और एयर एशिया भी एविएशन सेक्टर में सक्रिय हैं। अब टाटा समूह के पास कुल तीन कंपनियां ऐसी हैं जिनकी एयरलाइन है।

 

 TATA Group  ने लगाई 18,000 करोड़ रुपए ज्यादा की बोली

तुहिन कांत पांडे ने बताया कि टाटा संस की टैलेस प्राइवेट लिमिटेड ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। लेनदेन दिसंबर 2021 के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है। नए मालिक को भारतीय एयरपोर्ट्स पर 4400 डोमेस्टिक और 1800 इंटरनेशनल लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट मिलेंगे। साथ ही विदेशी एयरपोर्ट पर भी करीब 900 स्लॉट मिलेंगे। इस डील के तहत एअर इंडिया का मुंबई में स्थित हेड ऑफिस और दिल्ली का एयरलाइंस हाउस भी शामिल है। मुंबई के ऑफिस की मार्केट वैल्यू 1,500 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

 

1932 में TATA Group ने शुरू की थी एयर इंडिया

1932 में टाटा ग्रुप ने ही एअर इंडिया को शुरू किया था। टाटा समूह के जेआरडी टाटा इसके फाउंडर थे। वे खुद पायलट थे, हालांकि जब यह शुरू हुई थी तब इसका नाम टाटा एयर सर्विस था। 1938 तक कंपनी ने अपनी घरेलू उड़ानें शुरू कर दी थीं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को इसे सरकारी कंपनी बनाते हुए पब्लिक लिमिटेड कर दिया गया था। वहीं आजादी के बाद 1953 में सरकार ने इसमें 49% हिस्सेदारी खरीदी।

 

Air india

2009 से घाटे में ही रही Air India

साल 2007 में इसका इंडियन एयरलाइंस में विलय कर दिया गया था, जिसके बाद से यह घाटे में ही रही।  मार्च 2021 में खत्म तिमाही में एयर इंडिया को लगभग 10,000 करोड़ रुपए का घाटा होने की आशंका जताई गई। कंपनी पर 31 मार्च 2019 तक कुल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज था, लेकिन अब टाटा संस को इसमें से 23,286.5 करोड़ रुपए के कर्ज का बोझ उठाना होगा।

 


माटे कर्ज से दबी है Air india

लगातार घाटे और कर्जे में डूब रही एयर इंडिया को सरकार साल 2000 से बेचने की योजना बना रही थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिल रहा था। एयर इंडिया को बेचने की काेशिश सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी (राजग) सरकार ने साल 2000 में की थी। उस समय 27 मई 2000 को सरकार ने एयर इंडिया में 40% हिस्सा बेचने का फैसला किया था। इसके अलावा 10% हिस्सा कर्मचारियों को शेयर देने के रूप में और 10% घरेलू वित्तीय संस्थानों को देने का फैसला किया था।

 

2018 में एयर इंडिया में 76% हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार ने टेंडर मांगे थे, लेकिन सरकार इसका मैनेजमेंट कंट्रोल अपने पास रखने की शर्त रख रही थी, जिसके चलते किसी ने इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद सरकार ने मैनेजमेंट कंट्रोल के साथ इसे 100% बेचने का फैसला किया।

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