दिल्ली के बाद अब चुनाव आयुक्त पर बिल लाएगी मोदी सरकार, केजरीवाल बोले-सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देगी केंद्र सरकार

दिल्ली सेवा बिल के बाद केंद्र सरकार एक और ऐसा बिल लाने की तैयारी में है जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट देगा। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े इस विधेयक को लेकर विवाद भी हो रहा है। 
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Election Commission India - ECI
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा जारी है और सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान जारी है। इससे पहले केंद्र द्वारा लाए गए दिल्ली सेवा विधेयक पर भी चर्चा हुई, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया गया था। अब मोदी सरकार एक और बिल लाने की तैयारी में है, जिसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को पलट दिया जाएगा। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए लाए जा रहे इस विधेयक से अनुशंसा समिति में अहम बदलाव किए जा सकते हैं। READ ALSO:-

 

सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार जल्द ही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा बिल संसद में पेश करेगी। इसका मकसद समिति के गठन के प्रावधान में बदलाव करना है। सरकार नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा एक केंद्रीय मंत्री को भी नामित करना चाहती है। केंद्र सरकार की ओर से यह बिल तब लाया जा रहा है जब सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में सर्च कमेटी में प्रधानमंत्री और विपक्ष के नेता के अलावा मुख्य न्यायाधीश को भी शामिल करने की बात कही थी। 

 

संसद में लाए जाने वाले इस नए बिल पर सरकार के सूत्रों का कहना है कि कोर्ट ने अपने फैसले में अंतरिम व्यवस्था दी थी, जबकि बिल के जरिए हम स्थायी व्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। इसके साथ ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करना कार्यपालिका का अधिकार है, सरकार ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक कोर्ट के फैसले को दरकिनार करने या संशोधित करने के लिए नहीं, बल्कि स्थायी व्यवस्था बनाने के लिए लाया जा रहा है। 

 


हालांकि इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करते हैं। जो फैसला पसंद नहीं है उसके खिलाफ संसद में कानून लाया जा रहा है।  सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को पलट कर नरेंद्र मोदी जी ने ऐसी कमेटी बनाने की तैयारी कर ली है जो उनके अधीन होगी और चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा। 

 

केजरीवाल ने कहा- प्रधानमंत्री अपनी पसंद के व्यक्ति को सीईसी बना सकेंगे
केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा- मैंने पहले ही कहा था - प्रधान मंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ़ है - जो सुप्रीम कोर्ट का आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में क़ानून लाकर उसे पलट देंगे। यदि PM खुले आम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद ख़तरनाक स्थिति है। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनायी थी जो निष्पक्ष चुनाव आयुक्तों का चयन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी जो उनके कंट्रोल में होगी और जिस से वो अपने मन पसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इस से चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी। 

 

फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
  • 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने आदेश दिया था- पीएम, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। 5 सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह समिति राष्ट्रपति को नामों की सिफारिश करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया सीबीआई निदेशक की तर्ज पर होनी चाहिए। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बरकरार रखी जानी चाहिए। अन्यथा यह अच्छे परिणाम नहीं देगा। वोट की शक्ति सर्वोच्च है, इसके कारण सबसे मजबूत पार्टियां भी सत्ता खो सकती हैं। चुनाव आयोग का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन संविधान के प्रावधानों के अनुरूप और निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर करे।

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बिल में और क्या होगा?
मोदी सरकार इस सत्र के खत्म होने से पहले यह बिल ला सकती है, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से जुड़ा यह बिल कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक 2023 के मुताबिक इस पद के लिए सरकार में सचिव स्तर तक के अधिकारियों की पहचान की जाएगी। कैबिनेट सचिव और दो अन्य सचिवों की एक सर्च कमेटी कुल पांच नामों का चयन कर चयन समिति को भेजेगी। 

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चयन समिति में प्रधान मंत्री, विपक्ष के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। यह समिति सुझाए गए नामों में से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के नाम पर फैसला करेगी। बाद में इन नामों को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा और फिर इन पर मुहर लगेगी। सीईसी और ईसी का कार्यकाल केवल 6 साल का होगा और 65 साल की उम्र तक कोई भी व्यक्ति इस पद पर रह सकता है। उनका वेतन कैबिनेट सचिव के बराबर होगा। 
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