दुनिया का पहला कोविड नेजल वैक्सीन हुई लॉन्च, बूस्टर डोज के तौर पर होगा इसका इस्तेमाल; सरकारी अस्पताल में 325 और प्राइवेट में 800 रूपये में मिलेगी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को दुनिया का पहला इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन आईएनसीओवीएसीसी लॉन्च किया।
Thu, 26 Jan 2023
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया और विज्ञान-प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने गुरुवार को दुनिया का पहला इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन आईएनसीओवीएसीसी लॉन्च किया। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक, जो Covaxin बनाती है, ने इसे वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के सहयोग से विकसित किया है। नाक से लिए जाने वाले इस टीके को बूस्टर डोज के तौर पर लगाया जा सकता है।Read Also:-74वां गणतंत्र दिवस 2023 परेड लाइवः राफेल की गर्जना, जवानों की हुंकार, भारतीय सेना के हेलीकॉप्टरों के हैरतअंगेज करतब, कर्तव्य पथ पर भारत का शौर्य प्रदर्शन
भारत सरकार ने 23 दिसंबर को इस वैक्सीन को मंजूरी दी थी। सबसे पहले नाक का टीका निजी अस्पतालों में उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए लोगों को पैसे देने होंगे। दिसंबर में भारत बायोटेक ने घोषणा की थी कि यह वैक्सीन सरकारी अस्पतालों में 325 रुपये में उपलब्ध होगी। जबकि निजी अस्पतालों में इसके लिए 800 रुपये देने होंगे। इस वैक्सीन की बुकिंग काउइन पोर्टल से ही की जाएगी।
दुनिया की पहली कोविड नेजल वैक्सीन!
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) January 26, 2023
आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर मंत्री @DrJitendraSingh जी, डॉ कृष्णा एल्ला व उनकी टीम के साथ 'नेजल वैक्सीन' लॉन्च किया।
यह वैक्सीन भारत के सामर्थ्य और क्षमता की मिसाल है। PM @NarendraModi जी के सशक्त नेतृत्व और नए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। pic.twitter.com/317uqA4ZKB
नाक के टीके को सामान्य स्प्रे की तरह ले सकेंगे
अभी हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए टीका लगाया जा रहा है। इस टीके को इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन कहा जाता है। नाक का टीका वह है जो नाक के माध्यम से दिया जाता है। क्योंकि यह नाक के माध्यम से दिया जाता है, इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। यानी इसे इंजेक्शन द्वारा देने की जरूरत नहीं है और न ही इसे ओरल वैक्सीन की तरह लगाया जाता है। यह एक नेजल स्प्रे की तरह है।
प्राथमिक और बूस्टर के रूप में दिया जा सकता है
कोवाक्सिन और कोविशील्ड जैसे टीके लेने वालों को इंट्रानेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी। हालांकि इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष डॉ. कृष्णा एल्ला ने कुछ समय पहले कहा था कि पोलियो की तरह इस टीके की 4 बूंदें भी काफी हैं। दोनों नथुनों में दो-दो बूंद डाली जाएगी।
कोवाक्सिन और कोविशील्ड जैसे टीके लेने वालों को इंट्रानेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जाएगी। हालांकि इसे प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत बायोटेक के प्रबंध निदेशक और अध्यक्ष डॉ. कृष्णा एल्ला ने कुछ समय पहले कहा था कि पोलियो की तरह इस टीके की 4 बूंदें भी काफी हैं। दोनों नथुनों में दो-दो बूंद डाली जाएगी।
नाक का टीका संक्रमण-प्रसार को रोक देगा
इस नेजल वैक्सीन को iNCOVACC नाम दिया गया है। पहले इसका नाम BBV154 था। इसकी खास बात यह है कि यह शरीर में प्रवेश करते ही कोरोना के संक्रमण और संचरण दोनों को रोक देता है। यह टीका इंजेक्शन द्वारा नहीं दिया जाता है, इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता है। इसे देने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स को भी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।
इस नेजल वैक्सीन को iNCOVACC नाम दिया गया है। पहले इसका नाम BBV154 था। इसकी खास बात यह है कि यह शरीर में प्रवेश करते ही कोरोना के संक्रमण और संचरण दोनों को रोक देता है। यह टीका इंजेक्शन द्वारा नहीं दिया जाता है, इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता है। इसे देने वाले हेल्थकेयर वर्कर्स को भी खास ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी।
Proud to launch iNCOVACC®️, the world's 1st intranasal vaccine for COVID, along with Minister @DrJitendraSingh Ji, on #RepublicDay.
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) January 26, 2023
A mighty display of India's research & innovation prowess under PM @NarendraModi Ji's leadership.
Congratulations to @BharatBiotech for this feat! pic.twitter.com/DS9rm8wN9T
नाक का टीका मौजूदा टीकों से कैसे अलग है?
- फिलहाल भारत में इस्तेमाल हो रही वैक्सीन के दो डोज दिए जा रहे हैं। टीका लगवाने वाले व्यक्ति को दूसरी खुराक के 14 दिन बाद सुरक्षित माना जाता है। ऐसे में नेजल वैक्सीन 14 दिनों के अंदर अपना असर दिखाना शुरू कर देती है।
- प्रभावी नाक की खुराक न केवल कोरोना वायरस से बचाव करेगी, बल्कि बीमारी को फैलने से भी रोकेगी। मरीज में हल्के लक्षण भी नहीं दिखेंगे। वायरस शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा।
- यह सिंगल डोज वैक्सीन है, जिससे ट्रैकिंग आसान है। इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन की तुलना में इसके साइड इफेक्ट भी कम होते हैं। इसका एक और बड़ा फायदा यह होगा कि सुई और सीरिंज की बर्बादी कम होगी।
नाक का टीका कैसे काम करता है?
कोरोना वायरस सहित कई सूक्ष्म जीव म्यूकोसा (The Moist, Sticky Substance That Lines The Nose, Mouth, Lungs, And Digestive Tract) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। नाक का टीका सीधे म्यूकोसा में ही एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करता है।
कोरोना वायरस सहित कई सूक्ष्म जीव म्यूकोसा (The Moist, Sticky Substance That Lines The Nose, Mouth, Lungs, And Digestive Tract) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। नाक का टीका सीधे म्यूकोसा में ही एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा करता है।
यानी नाक का टीका लड़ने के लिए फौज को खड़ा करता है जहां से वायरस शरीर में घुसपैठ करता है। नाक का टीका आपके शरीर को इम्युनोग्लोबुलिन ए (IgA) का उत्पादन करने का कारण बनता है। प्रारंभिक अवस्था में संक्रमण को रोकने में IgA को अधिक प्रभावी माना जाता है। यह संक्रमण को रोकता है और साथ ही संचरण को रोकता है।