ट्रैफिक नियम : ध्यान दें, वाहन दूसरे को देने से पहले हजार बार सोचें... नहीं तो काटनी पड़ सकती है जेल, और जुर्माना (Fine) भी भरना पढ़ सकता है......

अगर आप अपना वाहन किसी और को देते हैं तो सबसे पहले उसका कानून जान लें। नहीं तो घर बैठे आप इस हद तक मुसीबत में पड़ सकते हैं, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ जेल जाने की नौबत भी आ सकती है।
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traffic challan
आमतौर पर अक्सर हम अपने वाहन को  किसी किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा मांगे  जाने पर उसको सौंप देते हैं। अगर आप अपना वाहन किसी और को देते हैं तो सबसे पहले उसका कानून जान लें। नहीं तो घर बैठे आप इस हद तक मुसीबत में पड़ सकते हैं, जिसमें जुर्माने के साथ-साथ जेल भी काटनी पढ़ सकती है। दरअसल, हम मांग पर अपना वाहन उसी जरूरतमंद को देते हैं जो हमारा परिचित, दोस्त, रिश्तेदार होता है।READ ALSO:-उत्तर प्रदेश में रोजगार का नया मौका, ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी को 50 लाख तक की मदद देगी योगी सरकार, जानिए पूरी जानकारी

 

यह सोचकर कि चलो उसका काम करते हैं। अक्सर जब हमें इसकी आवश्यकता होती है, तो हम अपना काम करवाने के लिए किसी और का वाहन मांगने के बारे में भी सोचते हैं। ऐसा करते समय हम जाने-अनजाने उन परिवहन कानूनों की अनदेखी कर देते हैं जो इन सबके पीछे हैं, जो वाहन के मांगकर्ता और दूसरे को अपना वाहन देने वाले दोनों के लिए घातक साबित हो सकते हैं।

 

तो जानिए किस हद तक किसी को अपना वाहन चलाना और किसी का वाहन मांगना बवाल बन सकता है। यदि आप अपने नाम से पंजीकृत वाहन को अपने किसी नाबालिग बच्चे को चलाने के लिए देते हैं, तो पकड़े जाने पर आपकी जेब पर भारी जुर्माना लगेगा। वैसे कानून तो जेल भेजने तक का है। लेकिन जेल तभी होगी जब आपका नाबालिग बच्चा या कोई अन्य आपसे मांग कर वाहन चलाते समय गंभीर सड़क दुर्घटना का कारण बनता है।

 

नाबालिग द्वारा वाहन चलाते समय वाहन से दुर्घटना के बाद वाहन चलाने पर तीन साल की जेल का भी कानून है। साथ ही ऐसे मामलों में वाहन के मालिक पर जुर्माना भी लगाया जाता है। यह जुर्माना 25 हजार रुपये तक हो सकता है, जबकि 3 साल तक जेल जाने की स्थिति भी हो सकती है। इतना ही नहीं, अगर कोई नाबालिग आपका वाहन चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे 25 साल की उम्र तक भारत में किसी भी परिवहन कार्यालय द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं करने का भी कानून है। साथ ही ऐसे मामलों में संबंधित विभाग (Transport Department Or Traffic Police) द्वारा भेजे गए चालान की जुर्माना राशि 15 दिनों के भीतर जमा करना भी अनिवार्य है।

 

नियम के अनुसार यदि दोषी चालक निर्धारित समयावधि (Within 15 Days) में जुर्माने की राशि जमा नहीं कर पाता है तो उसे अधिक परेशां का सामना करना पड़ सकता है। फिर ऐसी विषम परिस्थितियों में यह मामला कोर्ट तक जाएगा। फिर लापरवाह वाहन मालिक को अदालत के कहने पर सहमत होना पड़ेगा। कोर्ट इस जुर्माने की रकम को घटा या बढ़ा भी सकता है। नियम यह है कि वाहन की चाबी 16 साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं सौंपनी चाहिए। भले ही वह आपका बच्चा ही क्यों न हो, क्योंकि उम्र के हिसाब से कानून बनता है, बच्चों और परिचितों के नजरिए से नहीं।

 

इस उम्र के बच्चे गियर वाले वाहन चला सकते हैं
हां, यहां यह बताना जरूरी है कि 16 से 18 साल के बच्चे (Minor) बिना गियर के वाहन चला सकते हैं। अगर ईमानदारी से अमल किया जाए तो देश में 27 से 30 फीसदी सड़क हादसों में कमी लाई जा सकती है। हाँ, लेकिन हुआ बिलकुल उल्टा। अपने छोटे बच्चों के प्यार में माता-पिता उन्हें जल्द से जल्द ड्राइवर बनाने की कोशिश करते हैं। यह उनकी अंधी इच्छा कभी-कभी माता-पिता और बच्चों के लिए ऐसी समस्या बन जाती है। जो सभी उम्र के लिए याद किया जाता है। सबक तब आता है जब कोई गलती हो चुकी होती है।

 

एक लाइन में कहा जाये तो न तो लोग कानून को जानते हैं और न ही आज के ट्रैफिक कानून को जानने में लोगों की दिलचस्पी है। ज्यादातर लोगों को बस यही करते देखा गया है कि उनका बच्चा किसी न किसी तरह से गाड़ी चलाने लगे  तो माता-पिता की जिम्मेदारी कम हो जाएगी। लेकिन अक्सर सच इसके विपरीत होता है। "नियम भी सख्त हैं कि अगर पंजीकृत वाहन (Registered Vehicle) किसी अपंजीकृत व्यक्ति (Unregistered Person) से किसी के नाम पर बरामद किया जाता है, तो यातायात पुलिस उस वाहन को जब्त कर सकती है। उसके बाद उसका निर्णय लिया कोर्ट में ही जाता है। 

 

ताकि जिस वाहन के मालिक के नाम पर वाहन पंजीकृत है उसे हमेशा के लिए सबक मिल सके। हालांकि आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में सब कुछ उल्टा होता जा रहा है। कुछ मामलों में, माता-पिता अपने बच्चों को वाहन चलाते हुए देखने की इच्छा से घर बैठे परेशानी में पड़ जाते हैं। वहीं कई मामलों में जिद्दी बच्चों ने मां-बाप को कोर्ट, थाना चौकी के घेरे में डाल दिया। और जब सड़क पर ट्रैफिक नियम तोड़ने के आरोप में पकड़े जाते हैं तो सभी एक दूसरे की तरफ देखते हैं। अपनी गलती न समझकर सब एक दूसरे पर जिम्मेदारी का इल्जाम लगाते हैं।

 

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