इनकम टैक्स नोटिस: नगद लेन-देन पर कहीं घर न आए आयकर (Income Tax) का नोटिस, आईटी (Income Tax) विभाग कर रहा निगरानी (Monitoring)...
आयकर नोटिस: आयकर विभाग हमेशा बचत और चालू बैंक खातों में किए गए उच्च मूल्य के लेनदेन पर नजर रखता है।
Updated: Sep 20, 2022, 19:43 IST
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इनकम टैक्स नोटिस: अगर आप कैश लेन करते हैं तो आपको इस स्थिति में भी सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि कैश ट्रांजैक्शन पर भी आपके घर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ सकता है। बता दें कि प्रत्येक करदाता को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते समय अपनी आय, लेनदेन और निवेश के सभी स्रोतों की रिपोर्ट करनी चाहिए। खासकर अगर आप कोई हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन करते हैं तो इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आईटीआर में आपको उसका जिक्र करना होगा। अगर आपने इस साल के आईटीआर में इसका रिकॉर्ड नहीं दिया है तो आपको रिवाइज्ड आईटीआर फाइल करना चाहिए। यदि इसका विवरण आपके कर रिकॉर्ड (Tax Records) में शामिल नहीं है, तो आयकर विभाग की ओर से आपके पास एक नोटिस आ सकता है।Read Also:-सरकारी नौकरी: कोल इंडिया लिमिटेड में वेकेन्सी, मिलेगी 2 लाख तक सैलरी
इसके साथ ही आपको बता दें कि वार्षिक सूचना रिटर्न (AIR) स्टेटमेंट में आपके सभी वित्तीय लेनदेन का विवरण रहता है, टैक्स अधिकारी इस स्टेटमेंट की जांच करते हैं। फॉर्म 26A के E भाग में आपके उच्च-मूल्य के लेनदेन का विवरण होता है। आईटी विभाग एक निश्चित सीमा से अधिक मूल्य के लेनदेन की निगरानी करता है। इसमें बैंक जमा, संपत्ति की खरीद और बिक्री से संबंधित लेनदेन, म्यूचुअल फंड में निवेश या शेयरों की ट्रेडिंग सहित कई अन्य लेनदेन हैं, जिसमें एक सीमा से ऊपर के लेनदेन नोटिस के लिए बुला सकते हैं। ऐसे में अगर आपने ऐसा कोई ट्रांजैक्शन किया है और अपने आईटीआर में उसकी डिटेल्स बताना भूल गए हैं। तो इसके लिए आपके लिए इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
बैंक जमा और सावधि जमा
आयकर विभाग हमेशा बचत और चालू बैंक खातों में किए गए उच्च मूल्य के लेनदेन पर नजर रखता है। अगर आप एक वित्तीय वर्ष में बचत बैंक खाते में 10 लाख रुपये से अधिक जमा करते हैं तो आपको यह जानकारी आईटीआर में देनी होगी। वहीं, चालू खाते में एक वित्तीय वर्ष में यह सीमा 50 लाख रुपये है। जबकि बैंक एफडी खाते में 10 लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा करते हैं, तो इसकी सूचना आईटी विभाग को दी जानी चाहिए। अगर सिंगल या मल्टीपल FD अकाउंट में जमा कैश 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो बैंकों को यह जानकारी फॉर्म 61A के जरिए देनी होगी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके घर इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।
आयकर विभाग हमेशा बचत और चालू बैंक खातों में किए गए उच्च मूल्य के लेनदेन पर नजर रखता है। अगर आप एक वित्तीय वर्ष में बचत बैंक खाते में 10 लाख रुपये से अधिक जमा करते हैं तो आपको यह जानकारी आईटीआर में देनी होगी। वहीं, चालू खाते में एक वित्तीय वर्ष में यह सीमा 50 लाख रुपये है। जबकि बैंक एफडी खाते में 10 लाख रुपये से अधिक की नकदी जमा करते हैं, तो इसकी सूचना आईटी विभाग को दी जानी चाहिए। अगर सिंगल या मल्टीपल FD अकाउंट में जमा कैश 10 लाख रुपये से ज्यादा है तो बैंकों को यह जानकारी फॉर्म 61A के जरिए देनी होगी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपके घर इनकम टैक्स का नोटिस आ सकता है।
भूमि या ऐसी अचल संपत्ति की खरीद या बिक्री पर या विदेशी मुद्रा की बिक्री पर
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को 30 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर ट्रांजैक्शन डिटेल देनी होती है, इसलिए यह जरूरी है कि आप आईटीआर फाइल करते समय अपनी डिटेल्स भरें। विदेशी मुद्रा बेचने की भी एक सीमा है। यदि आप एक वित्तीय वर्ष में विदेशी मुद्रा बेचकर 10 लाख या उससे अधिक की राशि एकत्र करते हैं, तो इसका खुलासा करना आवश्यक है।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार और सब-रजिस्ट्रार को 30 लाख से ऊपर की प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री पर ट्रांजैक्शन डिटेल देनी होती है, इसलिए यह जरूरी है कि आप आईटीआर फाइल करते समय अपनी डिटेल्स भरें। विदेशी मुद्रा बेचने की भी एक सीमा है। यदि आप एक वित्तीय वर्ष में विदेशी मुद्रा बेचकर 10 लाख या उससे अधिक की राशि एकत्र करते हैं, तो इसका खुलासा करना आवश्यक है।
शेयर, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड जैसी संपत्तियों में निवेश
यदि आप शेयरों, एमएफ, बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश करते हैं, तो ध्यान दें कि एक वित्तीय वर्ष में नकद लेनदेन की सीमा 10 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड भुगतान बिल का भुगतान नकद में कर रहे हैं, तो यह लेनदेन 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं अगर क्रेडिट कार्ड बिल का सेटलमेंट एक साल में 10 लाख से ऊपर जा रहा है तो उसका भी आईटीआर में खुलासा करना होगा, नहीं तो आपको इनकम टैक्स नोटिस मिल सकता है।
यदि आप शेयरों, एमएफ, बॉन्ड या डिबेंचर में निवेश करते हैं, तो ध्यान दें कि एक वित्तीय वर्ष में नकद लेनदेन की सीमा 10 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। वहीं अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड भुगतान बिल का भुगतान नकद में कर रहे हैं, तो यह लेनदेन 1 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं अगर क्रेडिट कार्ड बिल का सेटलमेंट एक साल में 10 लाख से ऊपर जा रहा है तो उसका भी आईटीआर में खुलासा करना होगा, नहीं तो आपको इनकम टैक्स नोटिस मिल सकता है।