थ्री इडियट के फुंसुक वांगड़ू हाउस अरेस्ट, कहा, 'लद्दाख में सब ठीक नहीं है'
लद्दाख प्रशासन ने प्रसिद्ध इनोवेटर सोनम वांगचुक के आंदोलन को प्रतिबंधित कर दिया है। इसके साथ ही उन्हें हाउस अरेस्ट भी किया गया है। यह जानकारी थ्री इडियट के 'फुंगसुक वांगड़ु' ने खुद थी। सोनम संविधान की छठी अनुसूची और क्षेत्र के लिए अन्य सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर पांच दिवसीय अनशन पर हैं, इसके अलावा लोगों से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए अपनी कार्बन गहन जीवन शैली को बदलने का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यहां अंधेर नगरी हो गई है। सोनम ने डर जाहिर किया कि जो हालात हैं, उससे आने वाले समय में लेह-लद्दाक के लोग आतंक की राह पकड़ सकते हैं। सोनम वांगचुक पर बनी 2009 की बॉलिवुड फिल्म थ्री इडियट्स बहुत लोकप्रिय हुई थी। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर अपने हिमालयन इंस्टिट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख की छत पर अपना 5 दिवसीय उपवास शुरू किया। इलाके में इन दिनों माइनस 20 डिग्री का तापमान है। सोनम ने कहा, 'लद्दाख में सब ठीक नहीं है।'
I AM UNDER HOUSE ARREST OR WORSE...
— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) January 27, 2023
Ladakh UT shaken by my #ClimateFast
for safeguard of Ladakh under 6th schedule
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'खारदुंगला जाने से रोका'
'फुंसुक वांगड़ू' ने कहा, 'शून्य से 20 डिग्री कम तापमान में एचआईएएल कैंपस की छत पर अनशन का सोनम का तीसरा दिन है, आंशिक रूप से क्योंकि भारी बर्फबारी के कारण खारदुंगला दर्रा अवरुद्ध हो गया था और आंशिक रूप से क्योंकि प्रशासन ने मेरे अनशन को एचआईएएल परिसर तक सीमित कर दिया था और खतरों का हवाला देते हुए खारदुंगला दर्रे की अनुमति नहीं दी। मुझे लगता है कि इसके अलावा भी बहुत कुछ है क्योंकि खारदुंगला के आधार में सुरक्षा और स्वास्थ्य की सभी बुनियादी सुविधाएं हैं और मुझे उस जगह पर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।' दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में फिर पीएम नरेंद्र मोदी पर बनी BBC डॉक्यूमेंट्री पर संग्राम, बिजली काटी, धारा 144 लागू, 24 छात्र लिए गए हिरासत में
हिमालय में स्थित भारत के लद्दाख क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ रहा है। बढ़ते तापमान ने ग्लेशियरों के पिघलने का कारण बना है, जिससे हिमनदी झील फटने से बाढ़ आती है और उन स्थानीय समुदायों की आजीविका को खतरा है जो सिंचाई और पीने के पानी के लिए उन पर निर्भर हैं। ये बाढ़ बुनियादी ढांचे और मानव बस्तियों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। लद्दाख भी वर्षा के पैटर्न में बदलाव का अनुभव कर रहा है, जिससे पानी की कमी और अधिक सूखा पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन इस क्षेत्र की जैव विविधता को भी प्रभावित कर रहा है, क्योंकि यह अद्वितीय और नाजुक उच्च ऊंचाई वाले पारिस्थितिक तंत्र का घर है। तापमान और वर्षा के पैटर्न में बदलाव पारंपरिक कृषि पद्धतियों को भी प्रभावित कर रहे हैं, जो पानी की उपलब्धता और सही तापमान पर बहुत अधिक निर्भर करती हैं। यह खाद्य असुरक्षा पैदा कर रहा है और लोगों के लिए अपनी आजीविका को बनाए रखना कठिन बना रहा है।