पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लेने वाले हो जाएं सावधान! RBI ने अपनाई सख्ती, पड़ेगा ये असर!

गौरतलब है कि देश में पिछले कुछ सालों में असुरक्षित पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड लोन तेजी से बढ़े हैं। सितंबर 2023 को समाप्त 12 महीनों में ऐसे ऋणों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आइए जानते हैं इस पर क्या है नया अपडेट...
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असुरक्षित माने जाने वाले व्यक्तिगत ऋणों के लिए जोखिम भार बढ़ाकर उपभोक्ता ऋण मानदंडों को कड़ा करने के भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले से बैंकों की पूंजी पर्याप्तता में 0.6 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने शुक्रवार को यह बात कही। दरअसल, भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए असुरक्षित माने जाने वाले पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड जैसे लोन से जुड़े नियमों को सख्त कर दिया है। संशोधित मानदंड में जोखिम भार 25 प्रतिशत बढ़ाया गया।READ ALSO:-मोबाइल फ़ोन के बाद अब Xiaomi ला रही है तूफानी E-Car कार! दिखती है गजब की स्टाइलिश; जानिए कब होगी लॉन्च

 

गैर-बैंकिंग सेक्टर पर दबाव की संभावना
इस कदम से उपभोक्ताओं को जोखिम भरा बैंक ऋण कम मिलेगा। साथ ही खास तौर पर गैर-बैंकिंग सेक्टर पर भी दबाव रहने की आशंका है। S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने कहा कि इससे ऋण पर ब्याज दरें बढ़ेंगी, ऋण वृद्धि कम होगी और कमजोर वित्तीय संस्थानों के लिए पूंजी जुटाने की जरूरत बढ़ेगी। दूसरी ओर, उच्च जोखिम भार से अंततः बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता प्राप्त होगी।

 

S&P ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने एक बयान में कहा कि धीमी ऋण वृद्धि और जोखिम प्रबंधन पर बढ़ते जोर से भारतीय बैंकिंग प्रणाली में संपत्ति की गुणवत्ता में सुधार होने की संभावना है। उन्होंने कहा, "हालांकि, इसका तत्काल प्रभाव उधारकर्ताओं के लिए उच्च ब्याज दरें, वित्तीय संस्थानों के लिए धीमी ऋण वृद्धि, पूंजी पर्याप्तता में कमी और मुनाफे पर कुछ प्रभाव पड़ने की संभावना है।" "हमारा अनुमान है कि बैंकों की शेयर पूंजी (Tier-1) पर्याप्तता में लगभग 0.6 प्रतिशत की गिरावट आएगी।"

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वित्तीय कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी
गीता चुघ ने कहा, "वित्तीय कंपनियां इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी क्योंकि उनकी बैंक ऋण बढ़ाने की लागत बढ़ जाएगी, साथ ही पूंजी पर्याप्तता भी प्रभावित होगी।" रेटिंग एजेंसी ने यह भी कहा कि इन बदलावों से भारत के वित्तीय प्रदर्शन पर नकारात्मक असर पड़ेगा। वित्तीय क्षेत्र की विश्वसनीयता पर तत्काल कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इससे रेटेड बैंकों और वित्तीय कंपनियों के जोखिम-समायोजित पूंजी अनुपात पर भी असर नहीं पड़ेगा।

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