अब कोरोना के Lambda variant ने बढ़ाई चिंता, यह उन देशों में तेजी से फैल रहा जहां बड़ी आबादी वैक्सीनेटेड
Jul 11, 2021, 17:07 IST
बीते डेढ़ साल से दुनिया के लिए मुसीबत बन चुका कोरोना वायरस लगातार रूप बदल रहा है। अब कोरोना का खतरनाक लैम्ब्डा वेरिएंट दुनिया की चिंता का कारण बना हुआ है। WHO का मानना है कि कई देशों में फिर से बढ़ रहे केस लोड के पीछे लैम्ब्डा वैरिएंट ही जिम्मेदार है। gisaid के मुताबिक अभी तक ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन समेत दुनिया के 29 देशों में इस वेरिएंट के मरीज मिल चुके हैं और यह तेजी से बाकी देशों तक भी पहुंच रहा है। बड़ी बात यह है कि ये वे देश हैं जहां बड़ी आबादी के वैक्सीन लग चुकी है।
लैम्ब्डा वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानने-समझने के लिए WHO इसकी निगरानी कर रहा है इसीलिए इसे फिलाहल ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ की कैटेगरी में रखा है। राहत की बात यह है कि अभी तक इस वेरिएंट का एक भी केस भारत व अन्य पड़ोसी देशों में दर्ज नहीं हुआ है। एशिया में केवल इजराइल में इस वैरिएंट से जुड़े 25 केस सामने आए हैं।
क्या नया आया है लैम्ब्डा वेरिएंट
नहीं कोरोना का लैम्ब्डा वेरिएंट दुनिया में नया नहीं है। दक्षिण अमेरिकी देश पेरू में अगस्त 2020 में ही इसके मामले आने शुरू हो गए थे, लेकिन दिसंबर 2020 में इसकी पहचान हुई थी। WHO के मुताबिक पेरू के 80% केस के लैम्ब्डा वैरिएंट के ही थे। यानि पेरू से इस वेरिएंट की उत्पत्ति हुई। हालांकि तब इस वेरिंएट को लेकर जयादा चिंता नहीं थी, लेकिन मार्च 2020 के अंत से यह वेरिएंट 25 से ज्यादा देशों तक पहुंच गया और वहां इसके मामले सामने आने लगे। 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लैम्ब्डा को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ डिक्लेयर किया।
लैम्ब्डा वैरिएंट क्या है?
लैम्ब्डा वेरिएंट कोरोना वायरस का नया रूप है जिसे लैम्ब्डा (C.37) नाम दिया गया है। दरअसल हर वायरस खुद को मजबूत बनाने और लंबे समय तक जीवित रहने के लिए अपने जीनोम (संरचना) में बदलाव करता है। वायरस के इस जीनोम में आए परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं। वायरस की नईं संरचना के बाद सामने आए रूप को वेरिएंट कहते हैं।
लैम्ब्डा वेरिएंट कोरोना वायरस का नया रूप है जिसे लैम्ब्डा (C.37) नाम दिया गया है। दरअसल हर वायरस खुद को मजबूत बनाने और लंबे समय तक जीवित रहने के लिए अपने जीनोम (संरचना) में बदलाव करता है। वायरस के इस जीनोम में आए परिवर्तन को म्यूटेशन कहते हैं। वायरस की नईं संरचना के बाद सामने आए रूप को वेरिएंट कहते हैं।
क्या लैम्ब्डा वैरिएंट के लक्षण भी अलग हैं?
WHO के पास अभी लैम्ब्डा वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके लक्षण भी कोरोना के अन्य वेरिएंट की तरह ही है। लैम्ब्डा वेरिएंट से संक्रमित मरीज को तेज बुखार, सर्दी-खांसी, टेस्ट और स्मेल में बदलाव होना या बिल्कुल नहीं आना, सांस लेने में परेशानी, बदन दर्द और थकान आदि दिक्कतें होती हैं।
क्या खतरनाक है लैम्ब्डा वेरिएंट
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वैज्ञानिकों के मुताबिक लैम्ब्डा वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में 7 अलग-अलग म्यूटेशन देखे जा रहे हैं। इनमें से एक म्यूटेशन (L452Q) डेल्टा वैरिएंट में पाए गए L452R म्यूटेशन से मिलता जुलता है। माना जाता है कि डेल्टा वैरिएंट पर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के असर को कम करने के पीछे L452R म्यूटेशन ही जिम्मेदार है।
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साइंस जर्नल ‘सेल’ में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेल्टा वैरिएंट में L452R म्यूटेशन की वजह से ही इसकी संक्रामकता बढ़ी थी। L452R से मिलता-जुलता म्यूटेशन लैम्ब्डा में भी पाया गया है जिसका मतलब है कि इसकी संक्रामकता भी ज्यादा हो सकती है।
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प्रि-प्रिंट सर्वर medRxiv पर पब्लिश एक रिसर्च स्टडी के मुताबिक, लैम्ब्डा वैरिएंट का स्पाइक प्रोटीन वैक्सीन द्वारा बनाई गई एंटीबॉडी के असर को कम कर सकता है।
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लैम्ब्डा वैरिएंट अल्फा और गामा के मुकाबले ज्यादा संक्रामक है। साथ ही लैम्ब्डा वैरिएंट से संक्रमित लोगों में वैक्सीन से एंटीबॉडी बनने की संख्या भी 3 गुना तक कम हो गई है।
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हाल ही में चिली में हुई एक स्टडी में सामने आया है कि अल्फा और गामा वैरिएंट के मुकाबले लैम्ब्डा वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है। इस स्टडी में ये भी पता चला है कि इस वैरिएंट के खिलाफ चीनी वैक्सीन सिनोवेक की इफेक्टिवनेस कम हुई है।
क्या भारत के लिए भी खतरा है
भारत में अभी तक इस तो लैम्ब्डा वेरिएंट का एक भी केस नहीं सामने आया है, लेकिन पिछले 1-2 हफ्तों में यूरोप के उन देशों में लैम्ब्डा वेरिएंट के कारण कोरोना वायरस के नए मामले बढ़ने लगे हैं, जहां बड़ी आबादी को वैक्सीन लग चुकी है। यानि ये वैरिएंट वैक्सीन के जरिए मिली इम्यूनिटी को बायपास कर रहा है। आसान भाषा में कहे तो वैक्सीन लगे लोगों को भी इससे खतरा बना हुआ है, क्योंकि ये एंटीबॉडीज खत्म कर रहा है।
भारत बड़ी आबादी वाला देश है, भले ही देश में तेजी से वैक्सीनेशन का काम हो रहा हो, लेकिन आबादी के लिहाज से यह आंकड़ा 6% से भी कम है। यानी भारत में कम लोगों में ही वैक्सीन के जरिए वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हुई है। इससे पहले डेल्टा वैरिएंट की वजह से आई दूसरी लहर ने भारत में लाखों लोगों की जान ली है। लैम्ब्डा वैरिएंट डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है, इस वजह से भारत को अतिरिक्त सावधानियां बरतने की जरूरत है।
Country | Total #Lambda GR/452Q.V1 (C.37) |
Chile | 862 |
USA | 672 |
Peru | 328 |
Mexico | 115 |
Germany | 100 |
Argentina | 87 |
Spain | 56 |
Ecuador | 51 |
Israel | 25 |
Colombia | 20 |
France | 14 |
Italy | 11 |
Switzerland | 10 |
Saint Kitts and Nevis | 10 |
United Kingdom | 7 |
Canada | 4 |
Brazil | 4 |
Poland | 3 |
Netherlands | 2 |
Aruba | 2 |
Portugal | 2 |
Bolivia | 1 |
Uruguay | 1 |
Turkey | 1 |
Australia | 1 |
Belgium | 1 |
Curacao | 1 |
Denmark | 1 |
Czech Republic | 1 |