श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे आवास छोड़ कर भागे, प्रदर्शनकारियों ने किया राष्ट्रपति भवन पर कब्जा, राजपक्षे के देश छोड़ने की भी अटकलें
पुलिस के अनुसार, पश्चिमी प्रांत में सात पुलिस डिवीजनों में कर्फ्यू लगाया गया था, जिसमें नेगोंबो, केलानिया, नुगेगोडा, माउंट लाविनिया, उत्तरी कोलंबो, दक्षिण कोलंबो और कोलंबो सेंट्रल शामिल हैं।
Jul 9, 2022, 15:00 IST
श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर चल रहे विरोध के बीच प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर कब्जा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स में अटकलें लगाई जा रही हैं कि राजपक्षे देश छोड़ जा चुके हैं। श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के खिलाफ लंबे समय से 'गोटा गो गामा' और 'गोटा गो होम' आंदोलन चल रहे हैं।Read Also:-Amarnath cave rescue : पवित्र अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की घटना में दूसरे दिन सुबह से रेस्क्यू जारी, वीडियो देखें
गामा का मतलब सिंहली भाषा में गांव होता है। प्रदर्शनकारी तंबू लगाने के लिए एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं और वाहनों का हार्न बजाते हुए राष्ट्रपति और सरकार के खिलाफ गोटा-गो-गामा के नारे लगाते हैं। उनका उद्देश्य राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को सत्ता से हटने के लिए मजबूर करना था।
गाले में चल रहे ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका मैच के स्टेडियम के बाहर प्रदर्शनकारियों का एक समूह पहुंच गया है। प्रदर्शनकारियों में श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर सनथ जयसूर्या भी शामिल हुए। वहीं राजधानी कोलंबो में भी आंदोलन उग्र हो गया है। पुलिस के साथ हुई झड़प में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बिगड़ते हालात को लेकर प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने आपात बैठक बुलाई है।
श्रीलंका में आम लोगों की पुलिस, सेना और वायुसेना से रोजाना झड़प हो रही है, क्योंकि वे यहां पेट्रोल पंप पर नजर रखे हुए हैं। समाज में विद्रोह अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है, जो दंगों के रूप में सामने आता है। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल बंद हैं। इसलिए युवक अपने परिवार को घर में लाचारी से जूझते देखने को विवश है।
रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध के कारण देश में खाद्य संकट पैदा हो गया है। गैस की किल्लत से लोग अपने घरों में चूल्हा जला रहे हैं। श्रीलंका के मध्यमवर्गीय परिवारों ने भी अपने भोजन की खपत कम कर दी है, क्योंकि वे इतनी महंगी खाद्य सामग्री लेने से कतराते हैं।
मई में महंगाई जो 39.1% थी, वह जून में बढ़कर 54.6% हो गई है। अगर हम अकेले खाद्य मुद्रास्फीति को देखें, तो यह मई में 57.4% से बढ़कर जून में 80.1% हो गई है।
श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा की चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी हो रही हैं। विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो गया है, जिसके कारण वे आवश्यक वस्तुओं का भी आयात नहीं कर पा रहे हैं। सबसे बड़ी है ईंधन की कमी। पेट्रोल-डीजल पर कई किलोमीटर लंबी लाइनें हैं। विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं।