Mobile Number PortabilityRules : मोबाइल नंबर पोर्ट करना नहीं होगा आसान, ट्राई का प्लान तैयार; नियम हो जायेंगे सख्त, टेलीकॉम कंपनियों को रखनी होगी सावधानी 

ट्राई के नए नियम लागू होने के बाद टेलीकॉम कंपनियों को सिम कार्ड पोर्ट करने और पुराने नंबर पर नए सिम जारी करने में अधिक सावधानी बरतनी होगी।
 
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया: टेलीकॉम रेगुलेटर ट्राई की ओर से मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) नियमों में बदलाव की तैयारी की जा रही है। ट्राई यह बदलाव सिम कार्ड स्वैपिंग के जरिए होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए कर रहा है। इसके तहत मोबाइल ऑपरेटर द्वारा सिम कार्ड बदलने और जारी करने के नियम बदल जाएंगे। ट्राई ने इस संबंध में कंपनियों और ग्राहकों से 25 अक्टूबर तक सुझाव मांगे हैं। टेलीकॉम मंत्रालय ने सिम कार्ड स्वैपिंग के बढ़ते मामलों को गंभीरता से लिया है और ट्राई से नियम कड़े करने को कहा है।Read Also:-UP : बारावफात के जुलूस में राष्टीय ध्वज तिरंगे पर अशोक चक्र के स्थान पर अरबी में इस्लामिक स्लोगन लिखे, बनाई तलवार भी, पुलिस ने दर्ज किया केस, देखें वीडियो

 

टेलीकॉम कंपनियों को ज्यादा सावधान रहना होगा
इस संबंध में ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों और नंबर पोर्टिंग ऑपरेटर्स के साथ बैठक की है और मंत्रालय द्वारा दिए गए आदेश पर चर्चा की है। ट्राई के नए नियम के लागू होने के बाद टेलीकॉम कंपनियों को सिम कार्ड पोर्ट करने और पुराने नंबर पर नया सिम जारी करने में ज्यादा सावधानी बरतनी होगी। उन्हें यह जांचना होगा कि जिस नंबर के लिए पोर्ट करने का आवेदन प्राप्त हुआ है, उससे 10 दिन पहले सिम पोर्ट करने का अनुरोध तो नहीं किया गया है।Read Also:-पाकिस्तान में आत्मघाती विस्फोट, मस्जिद के पास 52 की मौत, 130 से ज्यादा घायल, ईद-ए-मिलाद जुलूस को बनाया निशाना

 

सिम स्वैप या पोर्ट अनुरोध अवरुद्ध कर दिए जाएंगे
अगर जांच में ऐसा पाया गया तो नंबर टेलीकॉम ऑपरेटर में पोर्ट नहीं किया जाएगा। नए नियम के तहत मोबाइल कंपनियों को नंबर पोर्ट कराने वाले ग्राहक की पूरी जानकारी पोर्टिंग ऑपरेटर के साथ साझा करनी होगी। इसकी जांच संचालक से करायी जायेगी। अगर कोई कमी पाई गई तो सिम स्वैप या पोर्ट रिक्वेस्ट रोक दी जाएगी। 

 

दरअसल, सिम कार्ड स्वैपिंग के जरिए जालसाज किसी व्यक्ति के सिम कार्ड को नकली सिम से बदल देते हैं। इसके बाद वे टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से उसी नंबर का दूसरा सिम जारी करवा लेते हैं। ऐसे में जब मोबाइल नंबर बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से लिंक होता है तो सभी तरह के ओटीपी जालसाज के पास चले जाते हैं। पिछले कुछ सालों में इस तरह की धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं।