कन्या पूजन 2024: किस दिन करें कन्या पूजन, 10 या 11 अक्टूबर? सही तिथि और मुहूर्त के लिए दूर करें अष्टमी-नवमी का कंफ्यूजन

Kanya Pooja 2024: तीन अक्टूबर से शुरू हुए नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विधान माना गया है। इस बार चतुर्थी तिथि बढ़ने और नवमी तिथि घटने के कारण अष्टमी और नवमी की पूजा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। 
 
तीन अक्टूबर से शुरू हुए नवरात्रि के आठवें और नौवें दिन कन्या पूजन का विधान माना गया है। इस बार चतुर्थी तिथि में वृद्धि और नवमी तिथि में कमी होने से अष्टमी और नवमी के पूजन को लेकर असमंजस की स्थिति है। कोई 10 तो कोई 11 अक्टूबर को अष्टमी मनाने की बात कह रहा है। काशी विद्वत परिषद के पूर्व पदाधिकारी और ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने इस बारे में स्थिति स्पष्ट की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को लग रही है लेकिन उदया तिथि होने के कारण इसका मान और पूजन 11 अक्टूबर को ही माना जाएगा। ऐसे में नवमी तिथि भी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी। READ ALSO:-बेटे के साथ डांस करते समय गरबा किंग को आया हार्ट अटैक, मौके पर ही मौत…बस पिता को देखता रह गया मासूम, मौत का लाइव वीडियो वायरल

 

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि इस नवरात्रि में चतुर्थी तिथि में वृद्धि और नवमी तिथि में कमी हो रही है। इसलिए महाष्टमी व्रत और महानवमी व्रत दोनों 11 अक्टूबर को रखे जाएंगे। महाअष्टमी तिथि 10 अक्टूबर को सुबह 07:29 बजे से शुरू होकर 11 अक्टूबर को सुबह 06:52 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि सुबह 06:52 बजे से शुरू होकर 12 अक्टूबर को सुबह 05:47 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू हो जाएगी। नवमी का हवन-पूजन आदि नवमी को ही करना चाहिए।

 

कन्या पूजन और अष्टमी हवन 11 को 
पंडित ऋषि द्विवेदी का मानना ​​है कि नवमी तिथि क्षीण हो रही है और अष्टमी तिथि 10 तारीख को सूर्योदय के बाद लग रही है। इसलिए दर्शन पूजन आदि 10 अक्टूबर को किए जा सकते हैं, लेकिन अष्टमी का कन्या पूजन और अष्टमी का हवन 11 अक्टूबर को ही करना होगा। यानी अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को सुबह 6:52 बजे तक रहेगी। इससे पहले अष्टमी पूजन और हवन करना होगा। नवमी तिथि सुबह 7:29 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी। इस कारण नवमी भी उसी दिन मनाई जाएगी। इसी दिन हवन के साथ नवमी पूजन और कन्या पूजन भी किया जाएगा।

 

उन्होंने बताया कि महागौरी माता अन्नपूर्णा की परिक्रमा 11 अक्टूबर को सुबह 06:52 बजे से पहले करनी होगी। नौ दिन का व्रत रखने वाले 12 अक्टूबर को उदयकालीन दशमी में अपना नवरात्रि व्रत पारण किया जाएगा। शाम को मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाएगा। महाष्टमी व्रत 11 अक्टूबर को रखा जाएगा। व्रत का पारण 12 अक्टूबर को सुबह 05:47 बजे से पहले करना होगा। नवरात्रि व्रत का पारण 12 अक्टूबर को सुबह 06:13 बजे के बाद करना चाहिए। महानिशा पूजा 10/11 अक्टूबर को निशितकाल में की जाएगी।

 

मनोकामना पूर्ति के लिए करें कन्या पूजन 
ज्योतिषाचार्य विमल ने बताया कि मनोकामना पूर्ति के लिए विभिन्न वर्ग की कन्याओं का पूजन करना चाहिए। देवी भागवत ग्रंथ के अनुसार ब्राह्मण वर्ग की कन्याओं का पूजन शिक्षा व धनार्जन प्रतियोगिता के लिए, क्षत्रिय वर्ग की कन्याओं का पूजन यश व सरकार से लाभ के लिए, वैश्य वर्ग की कन्याओं का पूजन आर्थिक समृद्धि व धन वृद्धि के लिए, शूद्र वर्ग की कन्याओं का पूजन शत्रुओं पर विजय व कार्य में सफलता के लिए करना चाहिए। 

 

2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी का स्वरूप माना गया है, जिनकी नवरात्रि में भक्ति भाव से पूजा करने से भगवती प्रसन्न होती हैं। धर्म शास्त्रों में 2 वर्ष की कन्या को कुमारी, 3 वर्ष की कन्या को त्रिभूति, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी, 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी, 6 वर्ष की कन्या को काली, 7 वर्ष की कन्या को चंडिका, 8 वर्ष की कन्या को शाम्भवी, 9 वर्ष की कन्या को दुर्गा व 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहा गया है। इनकी पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।