Women Reservation Law : महिला आरक्षण बिल अब बन गया कानून, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी बिल को मंजूरी

 महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना भी जारी कर दी है। इस विधेयक में लोकसभा के साथ-साथ राज्य विधानसभाओं में भी महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है।
 
महिला आरक्षण को लेकर शुक्रवार को एक अच्छी खबर आई। हाल ही में संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। इस बिल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हस्ताक्षर कर दिए हैं, जिसके बाद यह कानून का रूप ले चुका है।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलते ही भारत सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश की आधी आबादी से किया अपना वादा पूरा कर दिया है। आपको बता दें कि इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन बिल' के नाम से संसद में पेश किया गया था, जो अब कानून बन गया है।READ ALSO:-POCSO में सहमति से संबंध की उम्र 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए, विधि आयोग (Law Commission) ने सौंपी रिपोर्ट

महिला आरक्षण कानून बनने के बाद अब देश की संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित हो गई हैं। साथ ही देश के सभी राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का अधिकार मिल गया है। अब देश की संसद सहित सभी विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित कर दी गई हैं। इससे पहले सर्वदलीय बैठक में कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने महिला आरक्षण की पुरजोर वकालत की थी। 

 

महिला आरक्षण बिल पहली बार 1996 में पेश किया गया था
ये बिल करीब 27 साल तक अटका रहा. मालूम हो कि महिला आरक्षण बिल 1996 से ही अधर में लटका हुआ है। उस समय एचडी देवेगौड़ा सरकार ने 12 सितंबर 1996 को इस बिल को संसद में पेश किया था। लेकिन यह पारित नहीं हो सका था। इस विधेयक को 81वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में पेश किया गया था। जब यह विधेयक आखिरी बार 2008 में संसद में पेश किया गया था, तो इसमें प्रस्ताव था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएं, लेकिन यह पारित नहीं हो सका।

 

महिला आरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी जरूर मिल गई है, लेकिन इस कानून को लागू होने में अभी वक्त लगेगा क्योंकि अगली जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन होगा, उसके बाद ही आरक्षण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। कयास लगाए जा रहे हैं कि यह कानून 2029 में लागू हो सकता है। 

 

 

कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि जब राजीव गांधी 33 फीसदी आरक्षण लेकर आए थे तो BJP ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि एक सदन में बहुमत बिल के पक्ष में था लेकिन दूसरे सदन में विपक्षी दल BJP ने इसका विरोध किया था, जिसके बाद बिल गिर गया। 

 

आपको बता दें कि इस बिल के लोकसभा और फिर राज्यसभा में पेश होने के बाद से ही कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इसका श्रेय खुद को देने में पीछे नहीं रहे हैं। NCP समेत अलग-अलग पार्टियों के नेता राज्यों में अपनी सरकारों का हवाला देकर महिला आरक्षण का श्रेय लेते नजर आए हैं।