किसी महिला के मांग में जबरन सिन्दूर भरने से क्या हो जाती है शादी? हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी

'पकड़वा विवाह' के 10 साल पुराने मामले में पटना हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि कानून के मुताबिक शादी न करके और जबरन मांग में सिन्दूर भरकर शादी को जायज नहीं ठहराया जा सकता। मामला 30 जून 2013 का है, जब सेना के एक जवान का अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद उसकी जबरन शादी करा दी गई। 
 

शादी से जुड़े एक मामले में पटना हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जबरन मांग में सिन्दूर भरने से शादी नहीं होती। इसके लिए पूरी प्रक्रिया का पालन करना होगा। कोर्ट ने कहा कि आप किसी लड़की की मांग में जबरदस्ती सिन्दूर नहीं भर सकते। अगर कई लोग ऐसा करते हैं तो वह शादी वैध नहीं मानी जा सकती। READ ALSO:- 60 बार चाकुओं से गोदा, डरावनी और रूह कंपा देने वाली हत्या, ₹367 लूटने के लिए 16 साल के लड़के ने दिया वारदात को अंजाम ; घटना CCTV में कैद

पटना हाई कोर्ट ने आगे कहा कि हिंदू धर्म में शादी के मामले में सात फेरों का विधान है। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन दोनों को अग्नि के सामने सात फेरे लेने होते हैं, जिसके बाद सिन्दूर दान की प्रक्रिया होती है। लड़की की मांग में सिन्दूर भरने के बाद ही शादी वैध मानी जाती है। विधि-विधान से शादी न करना और जबरदस्ती मांग में सिन्दूर भर देने से शादी को उचित नहीं ठहराया जा सकता।

 

सात फेरों के बिना ये शादी पूरी नहीं होगी
जस्टिस पीबी बजंथरी और अरुण कुमार झा की बेंच ने कहा कि दूल्हे को अपनी इच्छा के मुताबिक दुल्हन की मांग में सिन्दूर भरना चाहिए। दरअसल, जबरन शादी के एक मामले में पटना हाई कोर्ट ने 10 नवंबर को यह फैसला सुनाया था। 10 साल पहले सेना में तैनात सिपाही रविकांत की जबरन शादी करा दी गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा कि सात फेरों के बिना यह शादी पूरी नहीं होगी। 

 

क्या है पूरा मामला?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 साल पहले बिहार के लखीसराय में सेना के एक जवान का अपहरण कर लिया गया था इसके बाद उस पर शादी का दबाव बनाया गया जबकि पीड़ित इसके लिए तैयार नहीं था। 30 जून 2013 को पीड़ित और उसके चाचा का कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया था। यह घटना लखीसराय के एक मंदिर में पूजा के दौरान घटी थी। 

 

बाद में उसकी शादी करवा दी गई। पीड़ित सेना के चाचा रविकांत ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की। इसके बाद पीड़ित ने इसकी शिकायत लखीसराय के सीजेएम कोर्ट में की। उन्होंने फैमिली कोर्ट में भी आवेदन दिया लेकिन 27 जनवरी 2020 को अपील खारिज कर दी गई। निचली अदालत से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने पटना हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।