उत्तराखंड: बेरोजगार युवकों पर लाठीचार्ज की मजिस्ट्रेट ने दिए जांच के आदेश, प्रदर्शनकारियों ने किया बंद का ऐलान; धारा 144 हुई लागू

उत्तराखंड पेपर लीक मामला : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को कानून व्यवस्था की स्थिति और पूरे लाठीचार्ज की विस्तृत मजिस्ट्रियल जांच कराने के निर्देश दिए हैं। 
 
उत्तराखंड पेपर लीक: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को भर्ती परीक्षा घोटाले का विरोध कर रहे बेरोजगार युवकों पर लाठीचार्ज की घटना की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस के साथ झड़प के बाद प्रदर्शनकारियों द्वारा कथित रूप से उन पर पथराव किए जाने के बाद उन पर लाठीचार्ज किया गया। सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार यहां गांधी पार्क में बुधवार और गुरुवार को बेरोजगार यूनियन के धरने के दौरान पथराव से कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव एसएस संधू को कानून व्यवस्था की स्थिति और लाठी चार्ज के पूरे प्रकरण की विस्तृत मजिस्ट्रियल जांच कराने का निर्देश दिया है।  वहीं, उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने कल हुए लाठीचार्ज के विरोध में आज राज्य में बंद का आह्वान किया है। प्रशासन ने राजधानी देहरादून और ऋषिकेश में धारा 144 लागू करने का ऐलान किया है। Read Also:-सुप्रीम कोर्ट ने बीबीसी पर बैन की मांग वाली याचिका की खारिज, कहा- सेंशरशिप नहीं लगा सकते, हमारा वक्त बर्बाद न करें.....

 

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भर्ती परीक्षा घोटाले के खिलाफ बेरोजगार युवाओं के विरोध के बीच उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (Measures for Prevention and Prevention of Unfair Means in Recruitment) अध्यादेश 2023 को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश में दोषियों के लिए जुर्माने से लेकर सजा तक के सख्त प्रावधान हैं। यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश में कड़े प्रावधान किए गए हैं और अपराध को संज्ञेय और गैर-जमानती बनाया गया है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंधन प्रणाली, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों में संलिप्त पाया जाता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा और दस करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। 

 

 

अध्यादेश के तहत यदि कोई अभ्यर्थी नकल करता पाया जाता है तो आरोपपत्र दाखिल होने की तारीख से दो से पांच साल के लिए व दोष साबित होने पर उसे दस साल के लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया गया है। है। यदि कोई अभ्यर्थी पुन: नकल करते पाया जाता है तो उसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से क्रमश: पांच से दस वर्ष तथा जीवन भर के लिए वंचित करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा अनुचित साधनों से अर्जित संपत्ति की कुर्की का भी प्रावधान किया गया है।