Weather in UP: लू के समय में आंधी-बारिश, रोज बदल रहे मौसम से वैज्ञानिक भी चिंतित

 मई का महीना लू के लिए जाना जाता है, लेकिन मौसम में आए बदलाव ने मौसम विज्ञानियों को भी हैरान कर दिया है। तापमान कम हुआ है। शनिवार को भी बारिश की संभावना है।
 
आंधी और बारिश से गर्मी पड़ने की बजाय मौसम ठंडा है। मई को हीटवेव और तपिश  के लिए जाना जाता है लेकिन इस साल इस महीने में एक भी दिन लू का प्रकोप नहीं रहा। क्या यह मानसून के भटकने का संकेत नहीं है? मौसम के रोजाना बदलते मिजाज से मौसम विज्ञानी भी चिंतित हैं।READ ALSO:-WhatsApp पर नहीं होगा फ्रॉड! आपका मोबाइल नंबर छिपा दिया जाएगा; जाने कैसे होगा ये

जानकारों का कहना है कि मौसम का मिजाज बदलने में कम से कम 30 साल लग जाते हैं, लेकिन अब इसका मिजाज हर दिन बदल रहा है। मई खत्म होने को है, लेकिन लू का एक भी दिन नहीं बीता है। बीच के कुछ दिनों को छोड़कर पूरा महीना तेज हवा, कभी आंधी तो कभी बारिश के बीच बीता। चक्रवात फैबियन भी मानसून की राह से भटकने के संकेत दे रहा है।

 

छह दिन में पारा 9.8 डिग्री गिरा
राजधानी लखनऊ में बीते छह दिनों में अधिकतम पारा में 9.8 डिग्री की कमी दर्ज की गई है. 21 मई को 43 डिग्री था, जो 25 को 33.4 डिग्री पर आ गया। मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों को छोड़ दें तो पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लू नहीं चली। लखनऊ में भी लू का प्रकोप नहीं रहा। शुक्रवार को जारी मौसम विभाग की रिपोर्ट में मानसून सीजन में लखनऊ समेत यूपी में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है.

 

शनिवार को भी बारिश के आसार हैं
राजधानी में शुक्रवार को दिन का तापमान 31.2 डिग्री रहा, जो एक दिन पहले 33.4 डिग्री था। गुरुवार के 23.7 डिग्री के मुकाबले रात का तापमान 3.1 डिग्री गिरकर 20.6 डिग्री पर आ गया। शनिवार को भी बारिश के आसार हैं।

 

अल नीनो के कारण पहले की तुलना में कम बारिश हुई है।
वरिष्ठ भूगर्भ विज्ञानी डॉ. सीएम नौटियाल के मुताबिक, मौसम विभाग एक जून से पहले मानसून के केरल पहुंचने की बात कह रहा है. . तर्क दिया जा रहा है कि हिंद महासागर में फैबियन चक्रवात की मौजूदगी के कारण ऐसा होगा।

 

उत्तर प्रदेश में 20 जून तक और लखनऊ में 23 जून तक मॉनसून की बारिश हो जानी चाहिए। अल नीनो साल की बात करें तो यह देरी से शुरू हो तो बेहतर होगा। साल 2009, 2014, 2015 और 2018 में इसकी वजह से देश में कम बारिश हुई थी। अमेरिका की संस्था नोआ के मुताबिक अल नीनो 2023 के मध्य के बाद सक्रिय हो जाएगा। अल नीनो लगातार तीन ला-नीना साल के बाद आ रहा है।

 

जमीन और समुद्र में लगातार घटते तापमान के अध्ययन से जुड़ी बीएसआईपी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. स्वाति त्रिपाठी का कहना है कि लखनऊ समेत देश के उत्तरी इलाकों में 2022 की तुलना में इस साल अप्रैल तक अधिक ठंड देखी गई। हो भी सकता है, जो सामान्य नहीं है। इस साल सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ का विस्तार हुआ है और मई में बेमौसम बारिश हुई है। इसका असर मध्य भारत तक दिखेगा। इससे आने वाले दिनों में बारिश से राहत मिलेगी। आमतौर पर पश्चिमी विक्षोभ फरवरी तक सक्रिय रहता है।