UP : सौ लाओ, सरकार बनाओ!!…केशव प्रसाद का नाम लिए बिना अखिलेश यादव का खुल्लमखुला मानसून ऑफर, ट्वीट से मचा घमासान
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सोशल मीडिया अकाउंट X पर की गई एक पोस्ट ने घमासान मचा दिया है। उन्होंने मानसून ऑफ़र दिया कि सौ लाओ, सरकार बनाओ!।
Updated: Jul 18, 2024, 15:46 IST
भारतीय जनता पार्टी में अंदरूनी कलह की चर्चाओं के बीच समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव मानसून ऑफर लेकर आए हैं। उन्होंने बिना किसी का नाम लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा 'मानसून ऑफर: 100 लेकर आओ, सरकार बनाओ!' सूत्रों के मुताबिक यह ऑफर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दिया गया है। READ ALSO:-अलीगढ़ : दरोगा की गोली से SOG कांस्टेबल की मौत, पिस्टल अनलॉक करते हुए चली गोली, दरोगा के पेट को चीरते हुए सिपाही के सिर में लगी,
सूत्रों के मुताबिक अगर बीजेपी में कोई नेता 100 विधायकों का समर्थन जुटा लेता है तो समाजवादी पार्टी उसे मुख्यमंत्री पद के लिए समर्थन दे सकती है। इसे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि अखिलेश यादव ने केशव प्रसाद मौर्य को पहली बार ऑफर दिया हो। केशव प्रसाद मौर्य जब भी अपनी पार्टी, नेताओं से नाराजगी जाहिर करते हैं तो अखिलेश उन्हें ऑफर देते हैं। इस बार भी अखिलेश ने उन्हें यह मानसून ऑफर दिया है।
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में मचे घमासान पर अखिलेश यादव पहले भी बयान दे चुके हैं। उन्होंने बुधवार को कहा था कि यह सरकार आपस में ही लड़ रही है। लखनऊ की सरकार कमजोर हो गई है। बीजेपी में सत्ता की लड़ाई में जनता परेशान हो रही है। केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश के हमले का पलटवार किया था। उन्होंने कहा, अखिलेश यादव भाजपा के पास देश और प्रदेश दोनों जगह मजबूत संगठन और सरकार है। समाजवादी पार्टी का पीडीए धोखा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की गुंडागर्दी की वापसी असंभव है। भाजपा 2027 के विधानसभा चुनाव में 2017 को दोहराएगी।
अखिलेश यादव पहले भी दे चुके हैं ऑफर
अखिलेश यादव पहले भी केशव प्रसाद मौर्य को ऑफर दे चुके हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि केशव प्रसाद मौर्य बहुत कमजोर आदमी हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बनने का सपना देखा था। वह आज भी 100 विधायक ले आएं। अगर उनमें हिम्मत है तो विधायक लेकर आएं। एक बार वह कह रहे थे कि उनके पास 100 विधायक हैं। आज भी अगर वह विधायक लेकर आते हैं तो समाजवादी पार्टी उनका समर्थन करेगी।
अखिलेश यादव ने कहा था कि मुख्यमंत्री बनना उनका सबसे बड़ा सपना है। उन्हें स्टूल पर बैठा दिया गया। उनकी नेम प्लेट हटा दी गई। कौन जाने उनके साथ क्या-क्या हुआ? फिर भी वह भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं। अगर उनका सीएम बनने का सपना है तो वह भाजपा को तोड़े, वहां से आ जाएं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा था। वह सिर्फ 33 सीटें ही जीत पाई थी। वहीं, समाजवादी पार्टी को 37 सीटें मिली थीं। भारतीय जनता पार्टी का प्रदर्शन खराब क्यों रहा, इसे लेकर पार्टी में लगातार चर्चा हो रही है। बैठकों का दौर भी चल रहा है। केशव प्रसाद मौर्य ने दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद केशव मौर्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है। उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी में चल रही इस उथल-पुथल पर अखिलेश यादव की भी नजर है। उन्हें भारतीय जनता पार्टी पर हमला करने का मौका मिल गया है।
विधानसभा में किसके कितने विधायक हैं?
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या 403 है। NDA के पास कुल 283 विधायक हैं। इसमें से 251 भारतीय जनता पार्टी के, 13 अपना दल के, 9 RLD के, 5 निषाद पार्टी के और 6 सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया के विधायकों की संख्या 107 है। समाजवादी पार्टी के पास 105 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 2 विधायक हैं। बहुजन समाज पार्टी के पास 1 विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास 2 विधायक हैं। वहीं 9 विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी अपनी सदस्यता खो चुके हैं, जिसके चलते विधानसभा की 10 सीटें खाली हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या 403 है। NDA के पास कुल 283 विधायक हैं। इसमें से 251 भारतीय जनता पार्टी के, 13 अपना दल के, 9 RLD के, 5 निषाद पार्टी के और 6 सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया के विधायकों की संख्या 107 है। समाजवादी पार्टी के पास 105 विधायक हैं और कांग्रेस के पास 2 विधायक हैं। बहुजन समाज पार्टी के पास 1 विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के पास 2 विधायक हैं। वहीं 9 विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं, जबकि समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी अपनी सदस्यता खो चुके हैं, जिसके चलते विधानसभा की 10 सीटें खाली हैं।