UP : 7 साल के लड़के ने 5 साल की बच्ची से किया दुष्कर्म, लेकिन गिरफ्तार नहीं होगा;  पुलिस भी हैरान, जानिए अब क्या करेगी पुलिस?

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में हुई रेप की घटना से पुलिस भी हैरान है। पुलिस ने पीड़ित बच्ची की मां की शिकायत पर मामला तो दर्ज कर लिया है, लेकिन आरोपी बच्चे की उम्र सात साल होने के कारण उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती। जिले के एसपी ने भी इस घटना पर हैरानी जताई। 
 
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जिले में रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक सात साल के लड़के ने पांच साल की बच्ची से रेप किया। जानकारी के मुताबिक, वह बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया और फिर उसके साथ घिनौनी हरकत की। पुलिस ने मामले में केस तो दर्ज कर लिया, लेकिन आरोपी बच्चे का नाम न तो FIR में शामिल किया और न ही उसे गिरफ्तार किया। दरअसल, सात साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में बच्चे के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। READ ALSO:-UP : नोएडा एक्सप्रेसवे 5 दिनों तक भारी वाहनों के लिए रहेगा बंद, जानें वजह और वैकल्पिक मार्गों का पूरा प्लान

 

जानकारी के मुताबिक, पूरा मामला अकबरपुर कोतवाली के एक गांव का है। यहां शाम को बच्चे आपस में खेल रहे थे, तभी पड़ोसी दिव्यांग का 7 साल का बेटा 5 साल की बच्ची को बहला-फुसलाकर अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। कुछ देर बाद बच्ची रोते हुए घर आई और पूरी घटना अपनी मां को बताई। इसके बाद जब पीड़िता की मां आरोपी के घर शिकायत करने पहुंची तो आरोपी बच्चे के परिवार वालों ने पीड़िता की मां को पीटना शुरू कर दिया। 

 

इसके बाद पीड़िता की मां अकबरपुर कोतवाली पहुंची और पुलिस को पूरी घटना बताई. इस पूरे मामले में एसपी बीबीजीटीएस मूर्ति ने कहा कि अब तक उनकी नौकरी में पहली बार ऐसी घटना सामने आई है, जिसमें पीड़ित और आरोपी दोनों की उम्र 10 साल से कम है, लेकिन पीड़िता की मां की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया गया है। पीड़ित लड़की को मेडिकल के लिए भेजा गया है। 

 

कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद पुलिस मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई करेगी। इसके साथ ही प्रोबेशन के जरिए आरोपी की काउंसलिंग की जाएगी, ताकि वह भविष्य में ऐसे अपराध न करे। 

 

वरिष्ठ अधिवक्ता जीतेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि 7 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन 7 से 12 साल के बच्चों के मामले में पुलिस अपराध रिपोर्ट दर्ज कर सकती है। मौजूदा कानून के मुताबिक ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 82 के तहत सजा का कोई प्रावधान नहीं है. सिर्फ आरोपी बच्चे के लिए ही सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।

 

मनोचिकित्सक डॉ. राकेश यादव का तर्क है कि बच्चे मासूम होते हैं। मोबाइल और सोशल मीडिया पर ऐसी घटनाएं देखकर उनके मन में ऐसे विचार आते हैं और ऐसी घटनाओं को दोहराने की कोशिश करते हैं. उन्हें इसके परिणामों की कोई समझ नहीं है। बच्चों को मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया से दूर रखना चाहिए, लेकिन अगर बच्चे मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो इस बात पर भी नजर रखें कि वे क्या देख रहे हैं?