अब उत्तर प्रदेश में दलाल या एजेंट के भरोसे नहीं बनवा पाएंगे ड्राइविंग लाइसेंस, पास करनी होगी कड़ी परीक्षा.....

उत्तर प्रदेश में बढ़ते सड़क हादसों को देखते हुए परिवहन विभाग गंभीर रुख अपनाने जा रहा है। अब दलालों या एजेंटों के भरोसे डीएल बनवाना मुश्किल होगा। विभाग की योजना है कि चालक को प्रशिक्षित करने के बाद उसका सामान्य टेस्ट लिया जाएगा। इस कठिन टेस्ट में पास होने के बाद ही डीएल (Driving License) जारी किया जाएगा।
 
उत्तर प्रदेश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए परिवहन विभाग गंभीर रुख अपनाने जा रहा है। अब दलालों या एजेंटों के भरोसे डीएल बनवाना मुश्किल होगा। विभाग की योजना चालक को प्रशिक्षण देने के बाद उसका सामान्य टेस्ट लेने की है। इस कठिन टेस्ट में पास होने के बाद ही डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) जारी किया जाएगा। READ ALSO:-Tata Group: भारत की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी कंपनी, नमक से लेकर सोना बेचती है, कार से लेकर हवाई जहाज तक में कराती है सफर

 

इस संबंध में बुधवार को परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के नेतृत्व में मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के साथ 10 ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट और दो एडीटीटी समेत कुल 12 केंद्रों के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। समझौते के तहत मारुति सुजुकी इन सभी 12 संस्थानों में ऑटोमेशन और ट्रैक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी लेगी। 

 

परिवहन विभाग के इस कदम के बाद आने वाले दिनों में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना आसान नहीं होगा। चालक के प्रशिक्षण और परीक्षण में पास होने के बाद ही डीएल जारी किया जाएगा। प्रदेश में कुल 17 ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट और ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हैं। मारुति सुजुकी कंपनी ने पहले डीटीटीआई के लिए परिवहन विभाग के साथ समझौता किया था और अब 12 डीटीटीआई में भी मारुति सुजुकी ड्राइवरों को प्रशिक्षित करेगी और ट्रैक का रखरखाव भी करेगी। यह काम सीएसआर फंड से किया जाएगा।

 

मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, बस्ती, मिर्जापुर, बरेली, झांसी, अलीगढ़, देवीपाटन गोंडा, आजमगढ़ और में ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट और आजमगढ़ और प्रतापगढ़ में एडीटीटी का ऑटोमेशन और रखरखाव मारुति सुजुकी के जिम्मे होगा। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज और मथुरा में केंद्रों के ऑटोमेशन और ट्रैक रखरखाव के लिए मारुति सुजुकी कंपनी के साथ समझौता किया था।

 

परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऑटोमेशन और ट्रैक रखरखाव का काम संभालने की जिम्मेदारी मारुति सुजुकी ने ली है, इसलिए परिवहन विभाग को करीब 40 करोड़ रुपये का फायदा होगा। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने कहा कि पहले मारुति सुजुकी सिमुलेटर उपलब्ध नहीं करा रही थी, लेकिन हमने अनुरोध किया, इसलिए अब परिवहन विभाग को सिमुलेटर नहीं खरीदने पड़ेंगे। यह व्यवस्था भी मारुति सुजुकी करेगी।

 

परिवहन मंत्री के मुताबिक उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है। यहां सबसे ज्यादा वाहन करीब 4.75 करोड़ हैं। सड़कों का सबसे ज्यादा नेटवर्क करीब तीन लाख किलोमीटर उत्तर प्रदेश में ही है। ऐसे राज्य में सुरक्षित परिवहन व्यवस्था मुहैया कराना चुनौतीपूर्ण है। प्रदेश में हर साल करीब 41 हजार सड़क हादसों में 22 हजार लोग असमय मर जाते हैं। ज्यादातर हादसे लापरवाही या अकुशल चालकों की वजह से होते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए कुशल और सक्षम चालकों का ड्राइविंग टेस्ट ऑटोमेटेड ट्रैक वाले प्रशिक्षण केंद्र में कराने का फैसला लिया गया है। 

 

परिवहन विभाग के अपर मुख्य सचिव एल वेंकटेश्वर लू ने कहा कि हम सड़क सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर हैं। उम्मीद है कि इस योजना से जरूर फायदा होगा। परिवहन आयुक्त चंद्र भूषण सिंह ने बताया कि पांच डीटीटीआई के बाद अन्य सभी डीटीटीआई में ऑटोमेशन और ट्रैक मेंटेनेंस के लिए मारुति सुजुकी कंपनी के प्रतिनिधियों से अनुरोध किया गया तो उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया। इससे प्रशिक्षित चालकों को ही लाइसेंस जारी होंगे। 

 

अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा) पुष्प सेन सत्यार्थी ने बताया कि परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा की दिशा में लगातार काम कर रहा है। उसी का नतीजा है कि अब हम प्रशिक्षण और परीक्षण के बाद ही चालक को डीएल जारी करेंगे। मारुति सुजुकी कंपनी के कार्यकारी निदेशक कॉरपोरेट अफेयर्स राहुल भारती ने कहा कि निश्चित रूप से यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम उत्तर प्रदेश में 17 स्थानों पर कार्य करने जा रहे हैं। यह देश में मारुति सुजुकी का सबसे बड़ा कार्य है। 

 

इस अवसर पर परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर, अपर परिवहन आयुक्त (प्रशासन) चित्रलेखा सिंह, अपर परिवहन आयुक्त (राजस्व) विजय कुमार, अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) वीके सिंह, उप परिवहन आयुक्त सगीर अंसारी, उप परिवहन आयुक्त राधेश्याम, आरटीओ लखनऊ संजय कुमार तिवारी, आरटीओ (प्रवर्तन) लखनऊ संदीप कुमार पंकज, आरटीओ नरेश वर्मा व आरटीओ अनीता सिंह सहित विभाग व निगम के अधिकारी मौजूद रहे। 

 

DL बनवाने की प्रक्रिया 
दोपहिया व चार पहिया वाहन चलाने के लिए सबसे पहले ड्राइविंग लाइसेंस अनिवार्य है। आइए आपको बताते हैं कि अगर आप ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो क्या करें। सबसे पहले लाइसेंस के लिए परिवहन विभाग के पोर्टल http://sarathi.parivahan.gov.in पर लॉगइन करें। इसके बाद आपको यहां लर्नर लाइसेंस व परमानेंट लाइसेंस के विकल्प दिखाई देंगे। 

 

अगर आप नया लर्नर लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें और जरूरी दस्तावेज अपलोड करने और टेस्ट पास करने के बाद घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस बनवा सकते हैं। लर्नर लाइसेंस के एक महीने पूरे होने से लेकर छह महीने के अंदर परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी यही प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। आप पोर्टल पर अप्लाई कर सकते हैं।

 

इतना लगता है समय
जहां तक ​​लर्नर लाइसेंस के लिए आवेदन करने के बाद लाइसेंस जारी होने की प्रक्रिया में लगने वाले समय की बात है तो आवेदक जिस दिन टेस्ट देता है, अगर वह पास हो जाता है तो उसी दिन घर से ड्राइविंग लाइसेंस का प्रिंट ले सकता है। या मोबाइल पर स्क्रीनशॉट ले सकता है। लर्नर लाइसेंस एक ही दिन में बन जाता है। परमानेंट लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए छह महीने का समय होता है। जिस दिन आरटीओ ऑफिस में टेस्ट के लिए स्लॉट उपलब्ध होता है, उस दिन ट्रैक पर टेस्ट देने के बाद अगर वह पास हो जाता है तो सात दिन के अंदर ड्राइविंग लाइसेंस आवेदक के घर डाक से पहुंच जाता है। 

 

लर्नर लाइसेंस और परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आधार कार्ड जरूरी होता है और उसमें अपना फोटो अपलोड करना होता है। इसके साथ ही डिजिटल सिग्नेचर अपलोड करना होता है। बायोमेट्रिक सुविधा फिलहाल उपलब्ध नहीं है, लेकिन परमानेंट डीएल के लिए आरटीओ ऑफिस में फोटो खींची जाती है। यह फोटो स्मार्ट कार्ड ड्राइविंग लाइसेंस पर आती है। 

 

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए शुल्क की बात करें तो परिवहन विभाग द्वारा लर्नर लाइसेंस के लिए ₹300 निर्धारित किया गया है, जबकि परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदक को ₹1000 का भुगतान करना होगा।