Hathras भगदड़ : दूर-दराज के लाखों भक्त आते थे 'चमत्‍कारी चाय' पीने, भोले बाबा खुद को बताता था भगवान, 

साकार विश्व हरि की ख्याति उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा, समेत कई राज्यों में फैली हुई है। उनके अलावा सत्संग में किसी अन्य देवी-देवता की तस्वीर या मूर्ति भी नहीं होती। सत्संग में सबसे ज्यादा महिलाएं आती हैं। साकार हरि ने बच्चों और बुजुर्गों को सत्संग में न लाने की सलाह दी है।
 
नारायण साकार विश्व हरि ने लाखों लोगों को अंधविश्वास के जाल में फंसा रखा है। वह अपनी जादुई बातों और तरीकों से खुद को भगवान बताता है। इसी के चलते लोग चमत्कार की उम्मीद करते हैं। इसी के आधार पर विश्व हरि ने अपना साम्राज्य खड़ा किया। दूर-दूर से लाखों भक्त आशीर्वाद और चमत्कार के जरिए अपने सभी कष्टों से मुक्ति की उम्मीद लेकर सिकंदराराऊ के सत्संग में आते हैं।READ ALSO:-UP : हाथरस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों ने प्रशासन पर उठाए सवाल, मृतकों का ब्योरा आया सामने, यहां देखें पूरी लिस्ट

 

एक भक्त के अनुसार बाबा की बिना दूध वाली चाय बहुत चमत्कारी होती है, इसके सेवन मात्र से दर्द, बीपी, शुगर, थायराइड, किडनी, पेट के असाध्य रोग आदि ठीक हो जाते हैं। सत्संग के बीच में यह चाय भक्तों में बांटी जाती है और हर कोई इसे पाने के लिए दौड़ पड़ता है। कुछ लोग तो चमत्कारी चाय के लिए ही दूर-दूर से सत्संग में आते हैं। जिन लोगों को यह चाय मिल जाती है, वे खुद को बहुत भाग्यशाली मानते हैं।

 

ऐसे कथित चमत्कारों ने साकार विश्व हरि की ख्याति उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में फैला दी है। सत्संग में उनके अलावा किसी अन्य देवता की तस्वीर या मूर्ति नहीं होती। भोले शंकर की भी नहीं। धूपबत्ती, फूल, बताशा या कोई भी अन्य प्रसाद प्रसाद के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता। सत्संग में अधिकांश लोग महिलाएं होती हैं। साकार हरि बच्चों और बुजुर्गों को सत्संग में न लाने की सलाह देते रहे हैं।

 

महिलाओं के बैठने के लिए अलग से व्यवस्था की गई है महिलाओं को आगे की पंक्ति में बैठाने की व्यवस्था की गई है। सत्संग में किसी खास दिन 150-200 महिलाएं पीली-लाल साड़ी पहनकर पहुंचती हैं। उन्हें साकार हरि के आसन के पास प्राथमिकता के आधार पर स्थान दिया जाता है। सेवादार महिलाओं को आश्वस्त करते हैं कि प्रवचन के दौरान अगर साकार हरि की उन पर एक नजर पड़ जाए तो वे धन्य हो जाएंगी। दांपत्य जीवन सुखी रहेगा। सुहागन का आशीर्वाद स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा।

 

बाबा के चरणों की धूल (रज) के लिए तरसते हैं भक्त। बाबा के चरणों की धूल (रज)  को भी भक्त चमत्कारी मानते हैं। इस चरण-धूल को एकत्रित करते समय सिकंदराराऊ के फुलेराई गांव में एक भयानक घटना घटी। साकार हरि किसी भी भक्त से व्यक्तिगत रूप से मिलते या संवाद नहीं करते। इसलिए भक्तजन उनकी चरण-धूल (रज) को अपने साथ ले जाते हैं।

 

कभी-कभी जब उनका काफिला गुजरता है तो वे दौड़कर अपने माथे पर रज लगाते हैं। कभी-कभी लेट जाते हैं ताकि रज उनके पूरे शरीर पर लग जाए। महिलाएं उनके चरणों की रज को अपने आंचल या अन्य कपड़ों में ले जाती हैं ताकि कोई शारीरिक समस्या होने पर वे इसका उपयोग कर सकें। भक्तों का यह भी मानना ​​है कि अगर रज घर में रहेगी तो घर मई उनका वास रहेगा। ऐसे तथाकथित चमत्कारों ने साकार हरि की एक बहुत ही भ्रामक दुनिया बना दी है।