Electricity Rate : उत्तर प्रदेश में बिजली के रेट बढ़ेंगे या नहीं? विद्युत नियामक आयोग का आया फैसला; UPPCL का प्रस्ताव हुआ खारिज

उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक अच्छी खबर है। प्रदेश में इस साल बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। इस संबंध में UPPCL के प्रस्ताव को विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है।
 
उत्तर प्रदेश में इस साल बिजली की दरें नहीं बढ़ेंगी। UPPCL ने राज्य में बिजली की दरें बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा था। इसके पीछे कई तर्क भी दिए गए, लेकिन विद्युत नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। राज्य के बिजली उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ी खुशखबरी मानी जा रही है। दरअसल इस समय उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बहुत अधिक हैं। इसे लेकर खुद बिजली कर्मचारियों के संगठन ने भी सवाल उठाए थे। इसके बावजूद UPPCL ने घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था। इसमें तर्क दिया गया कि लाइन लॉस और बिजली चोरी की घटनाओं से बिजली कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है।READ ALSO:-न्यू पार्लियामेंट बिल्डिंग: नए संसद भवन का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति से इसका उद्घाटन करने की मांग की....

 

इसे लेकर खुद बिजली कर्मचारियों के संगठन ने भी सवाल उठाए थे। इसके बावजूद यूपीपीसीएल ने घाटे की भरपाई के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा था। इसमें तर्क दिया गया कि लाइन लॉस और बिजली चोरी की घटनाओं से बिजली कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है।

 

बता दें कि UPPCL ने पिछले साल एक अप्रैल को बिजली दरों में बढ़ोतरी की थी। UPPCL ने वर्ष 2010 के बाद वर्ष 2021 तक बिजली की कीमतों को स्थिर रखने के बाद एक बार में बिजली दरों में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि की थी। इसको लेकर खूब हो-हल्ला भी हुआ, लेकिन सरकार ने बिजली कंपनियों के घाटे का रोना रो कर सबका मुंह बंद कर दिया। इसी बीच एक बार UPPCL ने बिजली के दाम बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग को प्रस्ताव भेजा था।

 

ऐसे में इस बार बवाल होने की आशंका बनी हुई थी। हालांकि खुद नियामक आयोग ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए बिजली उपभोक्ताओं को तोहफा दिया है। 

 

उपभोक्ता परिषद का बड़ा ऐलान
उपभोक्ता परिषद ने ऐलान किया है कि जब तक बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का बकाया रहेगा, बिजली दर नहीं बढ़ने दी जाएगी। अब कुल सरप्लस बढ़कर 33,121 करोड़ रुपए हो गया है। अगले 10 साल तक दरें नहीं बढ़ सकती हैं।

 

नियामक आयोग ने कई प्रावधान किए
विद्युत नियामक आयोग द्वारा विद्युत कंपनियों की ओर से वर्ष 2023-24 के लिए दायर 92,564। वार्षिक राजस्व आवश्यकता 89 करोड़ की उपेक्षा करते हुए मात्र 86,579.51 करोड़ वार्षिक राजस्व आवश्यकता स्वीकृत की गई। इसके साथ ही विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों द्वारा दिखाई गई 140.96 करोड़ यूनिट के मुकाबले 133.45 अरब यूनिट की खरीद को मंजूरी दी।

 

बिजली कंपनियों द्वारा माना गया वितरण घाटा 14.90 प्रतिशत था। विद्युत नियामक आयोग द्वारा केवल 10.30 प्रतिशत को मान्यता दी गई थी। बिजली चोरी का खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को न भुगतना पड़े, इसके लिए आयोग ने बिजनेस प्लान के तहत नुकसान का आंकलन किया है। आयोग द्वारा 15,200 करोड़ की सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए स्लैब के हिसाब से टैरिफ निर्धारित किया गया है। इससे बिजली कंपनियों को करीब 85,105.59 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।