'पत्नी को चरित्रहीन साबित करने के लिए बच्चों का DNA टेस्ट नहीं कराया जा सकता', हाईकोर्ट ने डॉक्टर पति की मांग को किया खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पेशे से डॉक्टर पति को बड़ा झटका देते हुए उसकी बेटियों का डीएनए टेस्ट कराने की मांग खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की है।
 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पेशे से डॉक्टर की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उसने पत्नी के चरित्रहीन होने को साबित करने के लिए बेटियों का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की थी। लाइव लॉ के मुताबिक पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी चरित्रहीन है। पति को शक था कि बच्चे किसी और के हो सकते हैं। इसलिए डीएनए टेस्ट कराने की इजाजत दी जाए।READ ALSO:-मेरठ : सगे भाई ने ही की थी बहन की हत्या, सुनीता हत्याकांड में हत्यारा भाई गिरफ्तार, चोरी के जेवरात भी बरामद....

 

दरअसल, पत्नी गुजारा भत्ता मांग रही थी, जिसे डॉक्टर पति नहीं देना चाहता। पत्नी और बेटियों को गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी के चरित्रहीन होने को साबित करने के लिए बच्चों का डीएनए टेस्ट नहीं कराया जा सकता। डीएनए टेस्ट गुजारा भत्ता से बचने का हथियार नहीं है। जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की कोर्ट ने यह टिप्पणी कासगंज निवासी डॉ. इफराक उर्फ ​​मोहम्मद इफराक हुसैन की याचिका खारिज करते हुए की।

 

वर्ष 2013 में हुई थी दोनों की शादी
प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना गंजडुंडवारा क्षेत्र के डॉ. इफराक की शादी 12 नवंबर 2013 को शाजिया परवीन से हुई थी। करीब चार साल तक दोनों के बीच संबंध ठीकठाक चले। इस बीच उनकी दो बेटियां हुईं। वर्ष 2017 में संबंध टूट गए। शाजिया अपने मायके आ गई। इस बीच शाजिया गुजारा भत्ता मांगने कोर्ट चली गई। पति ने पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट से दोनों बेटियों का डीएनए टेस्ट कराने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इसकी अनुमति नहीं दी।