Meerut : ग्राम पंचायतों का कूड़ा बनेगा रोजगार का साधन, 80 से अधिक गांवों में दो रुपये में उठाया जाएगा कूड़ा  

कभी ग्राम पंचायतों के लिए सिरदर्द रहा ग्रामीण क्षेत्रों से निकलने वाला कचरा अब योगी सरकार में रोजगार का जरिया बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत घरों से कूड़ा उठाने के लिए यूजर चार्ज तय कर रही है। 
 
कभी ग्राम पंचायतों के लिए सिरदर्द रहा ग्रामीण क्षेत्रों से निकलने वाला कचरा अब योगी सरकार में रोजगार का जरिया बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत घरों से कूड़ा उठाने के लिए यूजर चार्ज तय कर रही है। 
मेरठ। 11 सितंबर। आपने यह गाना "मेरे देश की मिट्टी सोना उगले उगले हिरे मोती" तो सुना ही होगा। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस बयान को सच करने जा रही है। जी हाँ! कभी ग्राम पंचायतों के लिए सिरदर्द रहा ग्रामीण क्षेत्रों से निकलने वाला कचरा अब योगी सरकार में रोजगार का जरिया बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायत घरों से कूड़ा उठाने के लिए यूजर चार्ज तय कर रही है। उनकी वसूली के लिए स्वयं सहायता समूहों का सहयोग लिया जा रहा है। बदले में उन्हें मानदेय दिया जाएगा। यानी इस कचरे से न सिर्फ निजात मिली, बल्कि रोजगार भी मिला।Read Also:-UP : अब किसी भी तहसील में हो सकेगी रजिस्ट्री, ज्यादा भीड़ या वेटिंग हो तो जिले के दूसरे रजिस्ट्री कार्यालय में करवा सकेंगे रजिस्ट्री

 

अभियान में शामिल हुए 10 गांव  
मेरठ के 80 से अधिक गांवों को इससे जोड़ा जा रहा है। इस पर भी भाटीपुरा, कुशवाली, मोहिउद्दीनपुर समेत 10 गांवों में काम शुरू हो गया है। ग्राम पंचायतों ने घरेलू कूड़ा-करकट व अन्य कचरे का रेट भी तय किया है। ग्रामीणों को अब अपने घरों का कूड़ा सड़क या जमीन पर नहीं फेंकना पड़ेगा, बल्कि कूड़ा उठाने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा चलाए जा रहे ई-रिक्शा में डालना होगा। गीला कचरा डंप करने के लिए अलग सिस्टम और सूखा कचरा डंप करने के लिए अलग सिस्टम है।

 

कूड़े को खाद और वेस्ट टू एनर्जी में किया जा रहा तब्दील 
कूड़ा उठाने के बाद ई-रिक्शा चालक ग्राम पंचायत द्वारा बनाए गए एकीकृत ठोस कचरा प्रबंधन केंद्र पर पहुंचते हैं। यहां गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डंप किया जाता है। गीला कचरा खाद बनाने के लिए गड्ढों में डाला जाता है। सूखे कचरे को अलग-अलग करके ऊर्जा में बदलने के लिए कई कंपनियों से बातचीत चल रही है।

 

सार्वजनिक स्थानों पर बने प्लास्टिक बैंक
योगी सरकार के निर्देश के बाद सभी सार्वजनिक स्थानों पर प्लास्टिक बैंक भी स्थापित किए गए हैं,ताकि प्लास्टिक या इससे जुड़ी चीजें खुले में न डालकर इसमें डाला जाए। दुष्परिणामों से बचाने के लिए प्लास्टिक बैंक की स्थापना की गई है, ताकि हर कोई इस बैंक में प्लास्टिक डाल सके। इस प्लास्टिक के निस्तारण के लिए ग्राम पंचायत ने  केकबाड़ियों साथ समझौता भी किया है। प्लास्टिक के बदले ग्राम पंचायत को न केवल आर्थिक लाभ मिल रहा है, बल्कि जनता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखा जा रहा है।

 

ग्रामीण अंचलों में निकाली जा रही जागरूकता रैली
जिला पंचायती राज अधिकारी रेणु श्रीवास्तव ने बताया कि ग्रामीण अंचलों में जागरूकता रैलियां निकालकर लोगों को अभियान से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों में कूड़ा उठाने के लिए प्रत्येक घर से 2 रुपये प्रतिदिन की दर से उपभोक्ता शुल्क लिया जा रहा है, जबकि डेयरी या बाजार से निकलने वाले कचरे के हिसाब से दर निर्धारित की जा रही है। स्वयं सहायता समूह घर-घर जाकर लोगों को डस्टबिन बांट रहे हैं। गीला और सूखा कचरा अलग-अलग दिया जा रहा है। इसके बाद हर घर से 60 रुपये प्रतिमाह का यूजर चार्ज भी लिया जा रहा है। योगी सरकार के इस अभियान से ग्रामीण इलाकों में साफ-सफाई और सुंदरता के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी मिल रहा है।