रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में 21 क्विंटल तेल, सवा क्विंटल की बाती..अयोध्या में जलेगा सबसे बड़ा दीपक, 7.5 करोड़ खर्च होने का अनुमान

रामलला के जीवन में कई रिकॉर्ड बनेंगे और कई टूटेंगे। इसे गिनीज बुक आफ द वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने की तैयारी है। दरअसल, प्राण प्रतिष्ठा के समय अब तक का सबसे बड़ा दीपक जलाया जाएगा, जिसमें 21 क्विंटल तेल खर्च होगा और 1.25 क्विंटल बाती का इस्तेमाल होगा। अनुमान है कि इस दीपक को जलाने पर करीब 7.5 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 
 
रामनगरी सज-धज कर कई कीर्तिमान रचने को तैयार है। इस बार अयोध्या में सबसे बड़ा दीपक जलाने का रिकॉर्ड भी बनेगा, जिसकी तैयारी शुरू हो गई है। इस दीपक  को तैयार करने में 7.5 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। दीपक का व्यास 28 मीटर होगा। 22 जनवरी को राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है और इसे भव्य बनाने के लिए हर व्यक्ति के प्रयास से तैयारियां चल रही हैं। इस मौके पर दुनिया का सबसे बड़ा दीया जलाने की तैयारी की जा रही है। READ ALSO:-UP : अच्छी खबर! अब उत्तर प्रदेश के इस शहर से भी जल्द शुरू होंगी हवाई उड़ाने, DGCA से मिला लाइसेंस!

 

दीपक का नाम दशरथ दीप होगा। इसे रामघाट के  तुलसीबाड़ी में 28 मीटर व्यास वाले दीपक में जिसका नाम प्रभु श्रीराम के पिता महाराज दशरथ के नाम पर रखा गया है। 21 क्विंटल तेल डालकर दीपक जलाने की तैयारी की जा रही है। त्रेतायुग में भगवान राम अपने पूरे परिवार के साथ तुलसीवाड़ी में पूजा करते थे। सरयू तट पर स्नान करने के बाद वे यहां पूजा के लिए आते थे, इसलिए आज भी इसका नाम रामघाट है। सरकारी दस्तावेज़ों में भी इसे इसी नाम से जाना जाता है। 

 

ये है विशेष 
  • दीपक का व्यास 28 मीटर है। 
  • 108 लोगों की टीम इस दीपक को तैयार कर रही है। 
  • 7.5 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान। 
  • 125 किलो रुई से बाती तैयार की जाएगी। 

 

कोलकाता से लायी गयी मशीन से पकेगा दीपक 
इतने बड़े दीपक को ढालने का काम कुम्हार करेंगे। इसे पकाने के लिए कोलकाता से मशीन लायी जा रही है। यह मशीन इस दीपक को तीन से चार घंटे में पकाकर तैयार कर देगी।

 

रामलला तुलसीवाड़ी में ही पूजा करते थे
स्वामी परमहंस ने बताया कि त्रेतायुग में भगवान राम अपने पूरे परिवार के साथ तुलसीवाड़ी में पूजा करते थे। सरयू तट पर स्नान करने के बाद वे यहां पूजा के लिए आते थे, इसलिए आज भी इसका नाम रामघाट है। सरकारी दस्तावेज़ों में भी इसे इसी नाम से जाना जाता है। 

 

स्वामी परमहंस ने बताया कि त्रेतायुग में मनुष्य की ऊंचाई 21 फीट होती थी।
तपस्वी छावनी के संत स्वामी परमहंस ने बताया कि शास्त्रों और पुराणों का अध्ययन करने के बाद त्रेतायुग के मनुष्यों के आकार के अनुरूप दीपक का आकार तैयार किया जा रहा है। परमहंस के अनुसार त्रेतायुग में मनुष्य की ऊंचाई 21 फीट यानी 14 हाथ हुआ करती थी। इसका वर्णन शास्त्रों और पुराणों में मिलता है। सत्ययुग में यह 32 फीट यानी 21 हाथ का था, द्वापर में यह 11 फीट यानी सात हाथ का था। कलयुग में लंबाई पांच से छह फीट के बीच होती है।

 

साढ़े सात करोड़ खर्च होंगे
दीये को तैयार करने में करीब साढ़े सात करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसकी बाती सवा क्विंटल कपास से तैयार की जा रही है। इसके लिए 108 लोगों की टीम बनायी गयी है। स्वामी परमहंस ने दावा किया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा दीपक होगा। इसमें देशभर के श्रद्धालुओं की आस्था, मेहनत और भक्ति भी शामिल है। इससे पहले केवल नौ मीटर व्यास वाला दीपक जलाया जाता था। रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की टीम से भी संपर्क किया गया है।