पत्नी के शरीर को अपनी संपत्ति समझना और उसकी इच्छा के विरूद्ध सेक्स करना वैवाहिक बलात्कार : हाईकोर्ट

 
पत्नी के शरीर को पति द्वारा अपनी संपत्ति समझना और उसकी इच्छा के खिलाफ सेक्स कराना भी वैवाहिक बलात्कार है और यह तलाक का दावा करने का ठोस आधार है। यह टिप्पणी केरल हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक की मंजूरी देने के फैसले को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की दो अपीलों को खारिज करते हुए की। यह भी पढ़ें : शादी के वादे पर किया गया सेक्स दुष्कर्म है, इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा- महिलाएं भोग विलास की वस्तु नहीं, इस पर कानून बनाएं

 

न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति कौसर एडप्पागथ की खंडपीठ ने कहा कि शादी और तलाक धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत होने चाहिए और देश के विवाह कानून को फिर से बनाने का समय आ गया है। कोर्ट ने कहा कि 'दंडात्मक कानून के तहत वैवाहिक बलात्कार को कानून मान्यता नहीं देता, केवल यह कारण अदालत को तलाक देने के आधार के तौर पर इसे क्रूरता मानने से नहीं रोकता है। इसलिए, हमारा विचार है कि वैवाहिक बलात्कार तलाक का दावा करने का ठोस आधार है।' यह भी पढ़ें : 15 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करना दुष्कर्म नहींः हाईकोर्ट

पति की अपील खारिज
कोर्ट ने क्रूरता के आधार पर तलाक की याचिका स्वीकार करने वाले पारिवारिक न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति की अपील खारिज कर दी। इसके अलावा अदालत ने पति द्वारा वैवाहिक अधिकारों की मांग करने वाली एक अन्य याचिका को खारिज कर दिया।

इस दंपति की शादी 1995 में हुई थी और उनके दो बच्चे हैं। कोर्ट ने कहा कि पेशे से डॉक्टर पति ने शादी के समय अपनी पत्नी के पिता से सोने के 501 सिक्के, एक कार और एक फ्लैट लिया किया था। पारिवारिक न्यायालय ने पाया कि पति अपनी पत्नी के साथ पैसे कमाने की मशीन की तरह व्यवहार करता था और उसकी इच्छा के विरूद्ध भी जबरन सेक्स करता था। पत्नी ने विवाह की खातिर उत्पीड़न को सहन किया, लेकिन जब उत्पीड़न और क्रूरता बर्दाश्त से परे पहुंच गई तो उसने तलाक के लिए याचिका दायर करने का फैसला किया।