'कमल का निशान 21वीं सदी का चक्रव्यूह है, 6 लोग अभिमन्यु का मार रहे रहे हैं'; बजट पर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का तीखा भाषण

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान बीजेपी और मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश में डर का माहौल है। देश का युवा, किसान, हर कोई डरा हुआ है। भारत बीजेपी के चक्रव्यूह में फंस गया है। 
 
संसद के मानसून सत्र का आज छठा दिन है और बजट पर चर्चा जारी है. विपक्ष के नेता कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लोकसभा में बजट पर भाषण दे रहे हैं और जमकर बयानबाजी हो रही है। राहुल गांधी ने अपने भाषण में महाभारत में रचे गए चक्रव्यूह की कहानी सुनाई तो स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें बीच में ही टोक दिया. इस पर जबदस्त हंगामा हुआ।READ ALSO:- Delhi-Meerut : दिल्ली-देहरादून हाईवे हुआ वन-वे, IG ने कहा- लोग दिल्ली और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से यात्रा करें, कांवड़ियों की संख्या बढ़ी तो एक साइड से वाहन चलेंगे 

 

राहुल गांधी ने अपने भाषण में जहां बजट की बात की, वहीं अग्निवीर भर्तियां, नीट पेपर लीक, किसानों के लिए बनाए गए 3 काले कानून समेत कई मुद्दों पर भी बात की। राहुल गांधी से पहले सदन में शनिवार को दिल्ली के राऊ आईएएस कोचिंग सेंटर में हुए हादसे का मुद्दा गरमाया. स्थगन प्रस्ताव पेश कर इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की गई। वहीं, राहुल गांधी ने अपने भाषण में चक्रव्यूह का जिक्र करते हुए क्या कहा? आइए जानते हैं…

 

 

बजट में किसानों और युवाओं के लिए कुछ नहीं
बजट में किसानों और युवाओं के लिए कुछ नहीं था। वित्त मंत्री ने पेपर लीक के मुद्दे पर एक भी शब्द नहीं कहा। बजट का इंटर्नशिप प्रोग्राम एक मजाक था। 99 प्रतिशत युवाओं का इस इंटर्नशिप प्रोग्राम से कोई लेना-देना नहीं है। पेपर लीक का मुद्दा युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण था, लेकिन इस पर किसी ने कुछ नहीं कहा। अग्निवीरों के लिए एक भी रुपया नहीं दिया गया।

 

सरकार ने मध्यम वर्ग की पीठ में छुरा घोंपा
राहुल ने कहा कि देश के मध्यम वर्ग ने शायद इस बजट से पहले प्रधानमंत्री का समर्थन किया था क्योंकि जब प्रधानमंत्री ने मध्यम वर्ग से कोरोना के दौरान थाली बजाने और मोबाइल जलाने को कहा था तो उन्होंने यह सब किया था। लेकिन इस बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टैक्स बढ़ाकर मध्यम वर्ग के लोगों पर हमला किया है। देश का बजट बनाने का काम 20 अफसरों ने किया है। इन 20 अफसरों में से सिर्फ एक अल्पसंख्यक और एक ओबीसी से है। सरकार ने मध्यम वर्ग की पीठ में छुरा घोंपा है।