सुप्रीम कोर्ट: 'ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाना गैरकानूनी'; शीर्ष अदालत से केंद्र को झटका

 सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि ईडी निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने का केंद्र का फैसला अवैध है। कोर्ट के इस आदेश के बावजूद मिश्रा 31 जुलाई तक पद पर बने रहेंगे। तब तक सरकार को नए प्रमुख की नियुक्ति करनी होगी। 
 
केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार को अवैध करार दिया है।शीर्ष अदालत ने उन्हें अपना लंबित काम निपटाने के लिए 31 जुलाई 2023 तक का समय दिया है। साथ ही, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने ईडी निदेशक के कार्यकाल को अधिकतम पांच साल तक बढ़ाने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम में संशोधन करने को कहा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार कानून बनाकर कार्यकाल बढ़ा सकती है, लेकिन अध्यादेश लाकर ऐसा करना वैध नहीं है। READ ALSO:-5 राज्यों में जबरदस्त बारिश, 72 घंटे में 76 मौतें, उत्तराखंड में MP के 4 पर्यटकों की मौत, हिमाचल में फंसे 500 से ज्यादा लोग, दिल्ली में मंडराया बाढ़ का खतरा

 

संजय कुमार मिश्रा को 2018 में निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था
गौरतलब है कि संजय कुमार मिश्रा को नवंबर 2018 में प्रवर्तन निदेशालय के पूर्णकालिक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। संजय मिश्रा आयकर कैडर के 1984-बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं। उन्हें पहले जांच एजेंसी में प्रधान विशेष निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। ईडी में नियुक्ति से पहले, संजय मिश्रा दिल्ली में आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त के रूप में कार्यरत थे।

 

 

गौरतलब है कि सरकार पिछले साल एक अध्यादेश लेकर आई थी, जिसमें अनुमति दी गई थी कि ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है।

 

सेवा विस्तार को चुनौती दी गई
प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देते हुए विभिन्न याचिकाएँ दायर की गईं। इनमें उनके सेवा विस्तार को अवैध ठहराया गया था। 

 

पिछली सुनवाई पर शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

 

8 मई को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि एसके मिश्रा पुलिस महानिदेशक नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए संसद ने सोच-समझकर निर्णय लिया। मेहता ने कोर्ट को यह भी बताया था कि एसके मिश्रा नवंबर में रिटायर हो जायेंगे।दरअसल, कोर्ट केंद्र के 17 नवंबर 2022 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक एसके मिश्रा का तीसरा कार्यकाल बढ़ा दिया था। 

 

8 मई को सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा को दिए गए तीसरे सेवा विस्तार पर केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या वह इतने महत्वपूर्ण हैं कि सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बावजूद उनका कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है। शीर्ष अदालत ने पूछा था कि क्या कोई व्यक्ति इतना महत्वपूर्ण हो सकता है। शीर्ष अदालत ने अपने 2021 के फैसले में स्पष्ट किया था कि सेवानिवृत्ति की आयु के बाद प्रवर्तन निदेशक का पद संभालने वाले अधिकारियों की सेवा का कोई भी विस्तार छोटी अवधि का होना चाहिए। यह भी साफ किया गया कि संजय मिश्रा को अब कोई एक्सटेंशन नहीं दिया जाएगा। 

 

सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि प्रशासनिक कारणों और भारत के वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के आकलन के लिए मिश्रा का विस्तार आवश्यक था।  इस पर पीठ ने कई सवाल पूछे कि क्या ईडी में कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है जो अपना काम कर सके। क्या एक व्यक्ति इतना महत्वपूर्ण हो सकता है? आपके अनुसार ईडी में कोई अन्य योग्य व्यक्ति नहीं है? 2023 के बाद जब मिश्रा रिटायर होंगे तो इस पद का क्या होगा?

 

केंद्र का तर्क, भारत की रेटिंग कम न हो इसलिए ये जरूरी है
तुषार मेहता ने कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग पर भारत के कानून की अगली समीक्षा 2023 में होनी है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय में नेतृत्व की निरंतरता महत्वपूर्ण है कि भारत की रेटिंग नीचे न जाए। मिश्रा लगातार कार्यबल से बात कर रहे हैं और वह इस काम के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति हैं। कोई भी बिल्कुल आवश्यक नहीं है लेकिन ऐसे मामलों में निरंतरता आवश्यक है।

 

कोर्ट ने रोक लगा दी थी
अदालत ने अपने निर्देश में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को 16 नवंबर, 2021 से आगे बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। केंद्र का तर्क था कि विस्तार केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम में किए गए संशोधन के तहत था, जो ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की अनुमति देता है।