भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव पर SC सख्त, योग गुरु की बिना शर्त माफी मंजूर नहीं! SC ने केंद्र और राज्य सरकारों से भी मांगा जवाब

भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और उनकी कंपनी पतंजलि को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि पतंजलि ने कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है। इसके बाद रामदेव माफी मांग रहे हैं, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। मामले में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी। 
 
भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि को आड़े हाथों लिया है। आज हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार पर भी सवाल उठाए। सुनवाई के दौरान रामदेव ने बिना शर्त माफी भी मांगी लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। READ ALSO:-One Vehicle-One Fastag : 'एक वाहन, एक फास्टैग' नियम लागू, हर वाहन के मालिक को जानना चाहिए ये नया नियम....

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि केंद्र और राज्य (उत्तराखंड) सरकारें भी पतंजलि की गतिविधियों में शामिल हैं। केंद्र सरकार को बताना होगा कि कोर्ट के आदेश के बाद भी रामदेव की कंपनी पतंजलि कैसे झूठे और भ्रामक दावे करती रही और सरकार ने आंखें क्यों मूंद लीं। इसका जवाब आयुष मंत्रालय को देना होगा। 

 

 


यह अवमानना मामला पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ झूठे और भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए है। यह याचिका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दायर की गई थी। इसकी सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने की। 

 


भ्रामक विज्ञापनों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक से कहा कि आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि आपके पवित्र वचन को लेकर हलफनामा दाखिल किया जाए। कभी-कभी चीजों को अपने तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। यह पूरी तरह से अवज्ञा है, सुप्रीम कोर्ट ही नहीं बल्कि देश भर की सभी अदालतों द्वारा पारित हर आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आपको कोर्ट में दिया गया वादा निभाना होगा, आपने हर सीमा तोड़ दी है। 

 

'सरकार ने आंखें क्यों बंद कर लीं?'
कोर्ट ने रामदेव को तैयार रहने को कहा है और चेतावनी दी है कि धोखाधड़ी के आरोप लगाए जाएंगे। कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि सब कुछ जानने के बावजूद भारत सरकार ने आंखें क्यों बंद रखीं। पीठ ने कहा कि रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्हें जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है।