'शादीशुदा महिला से शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस को किया खारिज

बुधवार (March 6) को एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई शादीशुदा महिला शादी का वादा करके किसी दूसरे पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है और बाद में उस पुरुष पर रेप का आरोप लगाती है तो ऐसे आरोप गलत हैं। 
 
बुधवार (March 6) को सुप्रीम कोर्ट ने विनोद गुप्ता नाम के शख्स को बरी करते हुए कहा कि अगर कोई शादीशुदा महिला अपनी मर्जी से किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती है और अगर बाद में वह पुरुष उससे शादी करने से इनकार कर देता है, तो ऐसी महिला उस पुरुष पर बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती। न्यायमूर्ति रविकुमार और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिला अपने कृत्य के परिणामों को समझने के लिए काफी परिपक्व थी। महिला पहले से ही शादीशुदा थी, फिर भी उसके दूसरे पुरुष के साथ अनैतिक संबंध थे जो पहले से ही अनैतिक था।READ ALSO:-UP : निमंत्रण कार्ड देने के बहाने रुकवाई कार, और मार दी गोली ...BJP जिला मंत्री की हत्या

 

ऐसे में अगर पुरुष महिला से शादी नहीं करता है तो उस पर रेप का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। आरोपी विनोद गुप्ता की ओर से उनके वकील अश्विनी कुमार दुबे ने कोर्ट को बताया कि रेप की शिकायत दर्ज कराने वाली महिला शादीशुदा है।  वह विनोद गुप्ता से 10 साल बड़ी हैं। उनकी एक 15 साल की बेटी है जो अभी भी अपने माता-पिता के साथ रहती है। ऐसे में विनोद गुप्ता द्वारा किया गया शादी का वादा पूरा करने का सवाल ही नहीं उठता। 

 

मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
विनोज गुप्ता को बरी करने के बाद कोर्ट ने दर्ज एफआईआर रद्द कर दी और विवाहिता को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, महिला विनोद गुप्ता से 10 साल बड़ी थी और इतनी बुद्धिमान थी कि नैतिक और अनैतिक परिणामों के बारे में जानती थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असल में यह पति से धोखाधड़ी का मामला है।