अब साल में दो बार होंगी 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं, 11वीं और 12वीं कक्षा के स्टूडेंट्स को पढ़नी होंगी दो भाषाएं, नया नियम 2024 से लागू होगा 

केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए अधिसूचना जारी कर दी। जिसके मुताबिक, अब 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। दोनों परीक्षाओं में जिस में स्टूडेंट के अधिक अंक उस को को गिना जाएगा।
 
केंद्र सरकार ने बुधवार को नई शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए अधिसूचना जारी कर दी। जिसके मुताबिक, अब 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी। स्टूडेंट के दोनों परीक्षाओं में से जिस में सब से अधिक अंक होंगे उसको गिना जाएगा। इसके अलावा 11वीं और 12वीं के छात्रों को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। हालाँकि, छात्र विषय चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे। उनके द्वारा चुनी गई स्ट्रीम के आधार पर उन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।READ ALSO:-चांद पर अपनी मंजिल पर पहुंचा चंद्रयान, साउथ पोल पर लैंडिंग करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन रचा इतिहास....

 

बुक्स का सिलेबस कम होगा, दाम भी घटेंगे 
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि शैक्षणिक सत्र 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किए जा रहे हैं। किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस नहीं रखा जाएगा। किताबों के दाम भी कम होंगे। 

 

नया पाठ्यक्रम नई शिक्षा नीति-2020 को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। जिसमें स्कूल बोर्ड कोर्स पूरा होने के बाद ऑन-डिमांड परीक्षा की मांग कर सकेगा। इन बदलावों के पीछे का मकसद महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के बजाय छात्रों की समझ और उपलब्धि का आकलन करना है।

 

कैबिनेट नसे 29 जुलाई 2020 में मंजूरी मिली
नई शिक्षा नीति को कैबिनेट ने 29 जुलाई 2020 को मंजूरी दे दी थी। इसमें शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने केंद्र और राज्य के सहयोग से नई शिक्षा नीति पर जीडीपी का 6% खर्च करने का लक्ष्य रखा है। नई शिक्षा नीति आने से 34 साल पहले यानी 1986 में शिक्षा नीति बनाई गई थी। 2020 तक सिर्फ उसमें ही बदलाव किये जा रहे थे। 

 

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने अप्रैल 2023 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) का मसौदा जारी किया था। इसमें 12वीं बोर्ड परीक्षा दो सत्रों में लेने का प्रस्ताव रखा गया था। 10वीं-12वीं के नतीजों में पिछली कक्षाओं के अंक जोड़ने की भी सिफारिश की गई।