Nipah virus : पाम जूस और खजूर से फैल रहा है निपाह वायरस, दिखाई दे ये लक्षण तो जल्दी से जाएं अस्पताल

निपाह वायरस क्या है, इससे कैसे बचें, क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? ये वो सवाल हैं जो आज हर कोई जानना चाहता है क्योंकि इस वायरस ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी है।  दरअसल, निपाह वायरस से मृत्यु दर लगभग 75 प्रतिशत है, जिसके कारण लोगों में डर बढ़ता जा रहा है।
 
भारत में निपाह के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) का कहना है कि निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर कोरोना महामारी की तुलना में बहुत अधिक है। कोरोना से मृत्यु दर जहां दो से तीन फीसदी रही है, वहीं निपाह से 40 से 70 फीसदी है। ICMR के इस बयान के बाद लोगों में इस वायरस को लेकर डर बढ़ने लगा है। READ ALSO:-WhatsApp चैनल: आप WhatsApp पर अपना खुद का चैनल बना सकते हैं! इस तरह ये काम मिनटों में हो जायेगा

 

वहीं, केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस का एक और मामला सामने आया है। 39 वर्षीय एक व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित पाया गया है और उसका इलाज किया जा रहा है। कोझिकोड में निपाह वायरस के अब तक 6 मामले सामने आ चुके हैं। 

 

डॉक्टरों का कहना है कि निपाह कोई नई बीमारी नहीं है। कोरोना वायरस की तरह ये कोई नया नहीं है। इसके बारे में सबसे पहले 18 साल पहले मलेशिया में पता चला था। उस समय कुछ किसानों में यह वायरस पाया गया था। ये किसान खेती करते थे और जानवरों, विशेषकर सूअरों के साथ रहते थे। इस बीमारी की सबसे गंभीर बात यह है कि इसमें मृत्यु दर बहुत अधिक है। विश्व के आंकड़ों के अनुसार मृत्यु दर 40 से 75 प्रतिशत तक है। इसे नियंत्रित किया जा सकता है, जैसा कि 1999 में मलेशिया और सिंगापुर ने किया था। इसके बाद वहां कोई केस नहीं मिला।

 

डॉक्टरों कहना है कि निपाह बीमारी के लक्षण पहली बार 2018 में मिले थे, लेकिन भारत में यह सूअरों से नहीं बल्कि चमगादड़ों से फैला था। जब हम पाम जूस पीते हैं या खजूर खाते हैं तो चमगादड़ के मूत्र से संक्रमण फैलता है। उदाहरण के लिए, केरल में पाम जूस का सबसे अधिक सेवन किया जाता है। पाम जूस चमगादड़ के मूत्र से दूषित हो जाता है। 2018 में जब यह वायरस फैला तो 20 मामले ऐसे आए जिनमें ज्यादातर लोगों की मौत हो गई, लेकिन भारत ने इस पर बहुत अच्छे से काबू पा लिया। आपको बता दें कि बांग्लादेश में हर साल इसके मामले सामने आते हैं।

 

उनका कहना है कि इस वायरस के लक्षण डिस्पर्टी बीमारी प्रकार के हैं, जो कि ए सिम्प्टोमैटिक है। यह जरूरी नहीं है कि संक्रमण के बाद हर किसी में ऐसे लक्षण हों। इसमें गले में खराश, सर्दी, खांसी, बुखार और बेहोशी शामिल है। वहीं, जब कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो जाता है तो वह कोमा में चला जाता है। इसके बाद उसकी मौत हो जाती है। 

 

उन्होंने बताया कि गंभीर बात यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है और न ही इसका कोई इलाज है। इसका एक ही इलाज है कि लोग अपनी सुरक्षा स्वयं करें। अगर ऐसा कोई मामला हो तो उस जगह पर न जाएं क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, लेकिन यह कोविड की तरह संक्रमित नहीं है, लेकिन फिर भी आप उन जगहों से दूरी बनाए रख सकते हैं।

 

डॉक्टर्स ने सलाह दी है कि अगर किसी भी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखे तो उसे तुरंत उस जगह से दूरी बना लेनी चाहिए। वहीं, ऐसी जगह पर जाने से पहले पूरी तरह से प्रोटेक्टिव रहना चाहिए। इसके अलावा खाने-पीने की चीजों पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसका स्रोत चमगादड़ है और चमगादड़ को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है लेकिन फिर भी अगर हम सावधानी बरतें तो इस बीमारी से बचा जा सकता है।