समुद्र में बढ़ेगी नौसेना की शक्ति, दृष्टि Drishti 10 Starliner ड्रोन रखेगा दुश्मनों पर पैनी नजर, जानिए इसकी खूबियां

Drishti 10 Starliner ड्रोन अत्याधुनिक UAV तकनीक, युद्ध-सिद्ध और स्वदेशी उन्नत हवाई तकनीक से लैस है। इस ड्रोन की क्षमता 36 घंटे की है। Drishti 10 Starliner ड्रोन 450 किलोग्राम पेलोड क्षमता वाला एक उन्नत इंटेलिजेंस और सर्विलांस (ISR) प्लेटफॉर्म है।
 
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने हैदराबाद में स्वदेशी  Drishti 10 Starliner ड्रोन का अनावरण किया। इस मानवरहित ड्रोन (UAV) को नौसेना में शामिल किया गया।  Drishti 10 Starliner ड्रोन अत्याधुनिक UAV तकनीक, युद्ध-सिद्ध और स्वदेशी उन्नत हवाई तकनीक से लैस है। इस ड्रोन की क्षमता 36 घंटे की है।  Drishti 10 Starliner ड्रोन 450 किलोग्राम पेलोड क्षमता वाला एक उन्नत इंटेलिजेंस और सर्विलांस (ISR) प्लेटफॉर्म है। यह एकमात्र सैन्य मंच है जो सभी मौसमों में दोनों हवाई क्षेत्रों में उड़ान भर सकता है।READ ALSO:-CES 2024: ये टेक्नोलॉजी या मैजिक, हवा में चार्ज हो जाएगा आपका मोबाइल फ़ोन

 

 Drishti 10 Starliner ड्रोन का इस्तेमाल नौसेना के समुद्री अभियानों में किया जाएगा और UAV हैदराबाद से पोरबंदर तक उड़ान भरेगा। पूरी तरह से भारत में विकसित स्वदेशी UAV  Drishti 10 Starliner को नौसेना को सौंप दिया गया है और यह पहला स्वदेशी रूप से निर्मित UAV  Drishti 10 Starliner है। यह ड्रोन भारतीय नौसेना की समुद्री निगरानी क्षमता को और बढ़ावा देगा। मेक इन इंडिया के तहत हर्मीस स्टारलाइनर ड्रोन का निर्माण हैदराबाद में किया गया है। 

 

 

 

 

अडानी ग्रुप ने स्वदेशी तकनीक का ड्रोन बनाया है
एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा, "यह भारत की ISR प्रौद्योगिकी और समुद्री आत्मनिर्भरता की दिशा में एक परिवर्तनकारी कदम है।" "एडमिरल आर हरि कुमार ने न केवल विनिर्माण में बल्कि ड्रोन के रखरखाव और स्थिरता में भी स्थानीय क्षमताओं के महत्व पर जोर दिया।"

 

Drishti 10 Starliner: अडानी ग्रुप की कंपनी ने भारतीय नौसेना के लिए स्वदेशी तकनीक वाला यह एडवांस्ड ड्रोन बनाया है। इस ड्रोन के नौसेना बेड़े में शामिल होने के बाद भारतीय सेना की ताकत और बढ़ जाएगी।

 

पिछले साल डिफेंस एक्सपो के दौरान भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के लिए दृष्टि-10 यूएवी बनाने का ऑफर दिया गया था। भारतीय सेना की एविएशन कोर (Army-Aviation) इन ड्रोन से सीमा की निगरानी करेगी। अरब सागर में हालिया चुनौतियों को देखते हुए इस ड्रोन को सबसे पहले नौसेना को सौंपा गया है। इसे खासतौर पर मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बनाया गया है। नौसेना फिलहाल ऐसे दो ड्रोन लेगी। 

 

यह ड्रोन इजराइल के हेरॉन ड्रोन और अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की तरह ही मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE-MALE) सिस्टम है जो 36 घंटे तक बिना रुके उड़ान भर सकता है। हर्मीस हर मौसम में काम करने वाला ड्रोन है जो करीब 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ता है। यह ड्रोन 450 किलोग्राम तक का पेलोड उठा सकता है।